मुंबई बनेगी अध्यात्म की धरती: सामूहिक जैन दीक्षा समारोह 4 फरवरी 2026 से

Mumbai to become a land of spirituality: Mass Jain initiation ceremony from February 4, 2026

5 दिवसीय ऐतिहासिक जैन दीक्षा समारोह में शामिल होंगे भारत और अमेरिका के मुमुक्षु

मुंबई (अनिल बेदाग) : महाराष्ट्र ने 23 नवंबर को एक आध्यात्मिक उपलब्धि का साक्षी बनकर इतिहास रचा, जब पहली बार 59 मुमुक्षुओं ने भव्य सामूहिक जैन दीक्षा का मुहूर्त ग्रहण किया। जैन आचार्य सोमसुंदरसूरिजी, श्रेयांसप्रभसूरिजी और योगतिलकसूरिजी की पवित्र उपस्थिति में आयोजित यह शुभ अवसर अध्यात्म, भक्ति और त्याग की ऊँचाई को स्पर्श करता नज़र आया। दीक्षा मुहूर्त में 200 से अधिक श्रमण भगवंत और 500 से अधिक श्रमणी भगवंत की उपस्थिति रही — जो स्वयं इस आयोजन की आध्यात्मिक महत्ता को प्रमाणित करती है।

14,000 वर्ग फुट के विशाल पंडाल में 5,000 से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बीच वातावरण में वीतराग संगीत, दर्शन और भक्ति का अद्वितीय संगम दिखाई दिया। मंगल प्रभात लोढ़ा और भरत भाई शाह जैसे विशिष्ट अतिथियों ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। इस अनंत पुण्यमय अवसर का लाभ प्रतिष्ठित परोपकारी श्रीमान बाबूलालजी मिश्रीमलजी भंसाली द्वारा लिया गया।

मुंबई अब एक और ऐतिहासिक अध्यात्मिक यात्रा के लिए तैयार है। 5 दिवसीय सामूहिक जैन दीक्षा समारोह 4 फरवरी 2026 से 8 फरवरी 2026 तक, बोरीवली पश्चिम, मुंबई में आयोजित होगा। इस समारोह में दीक्षा लेने वाले मुमुक्षु भारत के प्रमुख राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ के साथ अमेरिका से भी शामिल होंगे। कुल 59 मुमुक्षुओं में 18 पुरुष और 41 महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने सांसारिक मोह को त्यागकर मोक्ष मार्ग को अपनाने का संकल्प लिया है।

महाराष्ट्र से हर्षिलभाई, जैनमभाई और साक्षीबेन हैं. अमेरिका से सुजाताबेन राजनभाई वोहरा और संगीताबेन संजयभाई शाह, रायपुर से एक ही परिवार के चार लोगों आशीषभाई, आर्यनभाई, आयुषभाई और ऋतुबेन का एक साथ संसार त्यागना पूरे समारोह का प्रेरक अध्याय बनेगा।

जैन समाज में आचार्य योगतिलकसूरिजी की आध्यात्मिक महत्ता अद्वितीय है। पिछले 10 वर्षों में 350 से अधिक दीक्षा प्रदान करने वाले वे अकेले जैन आचार्य हैं। वर्तमान में उनके 100 से अधिक शिष्य हैं जिसे जैन धर्म में एक अद्वितीय सिद्धि माना जाता है। इन्हीं के प्रवचनों और आध्यात्मिक मार्गदर्शन से प्रेरित होकर मुमुक्षुओं ने यह दिव्य निर्णय लिया है। जब 4 फरवरी 2026 को मुंबई में 59 दीक्षार्थी क्षुल्लक और क्षुल्लिका के पवित्र जीवन में प्रवेश करेंगे, वह क्षण जैन समाज ही नहीं, भारतीय अध्यात्म के इतिहास में सदा-सदा के लिए दर्ज हो जाएगा।