- गोलरक्षक श्रीजेश और डेविड हार्ट हैं बतौर गोलरक्षक मेरे आदर्श
- प्रिंस अपनी लंबी कदकाठी के चलते फुलबैक से हॉकी गोलरक्षक बन गए
- बड़े सपने बुन कर उन्हे सच करने में यकीन करता हूं
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : पठानकोट के किसान परिवार से आने वाले गोलरक्षक प्रिंसदीप सिंह भारत को चेन्नै में जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप 2025 में कांसा जिताने को अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में पहचान बनाने का पहला यानी शुरुआती कदम मानते हैं।प्रिंसदीप सिंह ने मुझसे अपने अब तक हॉकी सफर पर चेन्नै में खुल कर बात की। भारतीय हॉकी के आने वाले समय के नए सितारे हैं 21 बरस के गोलरक्षक प्रिंसदीप सिंह को हॉकी में अपने लिए बड़े सपने बुनने का हौसला संयुक्त परिवार में उनके अपने गांव चौहान में खेती के साथ छोटी दुकान चलाने वाले उनके पिता बलविंदर सिंह और ताउ जी रछपाल सिंह से मिला। वह बताते हैं कि उनके ताउ रछपाल सिंह को हमेशा भरोसा था कि वह हॉकी में देश और परिवार का नाम रोशन करेंगे और बेशक वह इस ओर अब मजबूती से कदम बढ़ा चुके हैं। प्रिंसदीप सिंह ने हॉकी का ककहरा 2015 में बटाला में चीमा अकेडमी में सीखा। शुरु में वह हॉकी में फुलबैक के रूप में खेले और फिर फुटबॉल में बतौर गोलरक्षक खेले। बाद में वह लुधियाना की मालवा हॉकी अकेडमी में खेले वहां राउंडग्लास पंजाब हॉकी क्लब अकेडमी मोहाली में अपने हॉकी कौशल को निखार कर राउंडग्लास हॉकी अकादमी को दूसरी हॉकी इंडिया जूनियर पुरुष अकादमी राष्ट्रीय चैंपियनशिप जिताई। प्रिंसदीप ने फिर पंजाब को पांचवें खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 2022 में कांसा जिताने में अहम भूमिका निभाई और 2023 में 13वीं हॉकी इंडिया जूनियर पुरुष राष्ट्रीय हॉकी चैंपियनशिप में शिरकत की। हार्दिक की कप्तानी में प्रिंसदीप सिंह ने बतौर गोलरक्षक 2025 में पंजाब को हॉकी इंडिया सीनियर पुरुष राष्ट्रीय हॉकी खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई। 2024 में प्रिंसदीप का चयन जूनियर पुरुष राष्ट्रीय शिविर के लिए चुने गए 40 संभावितों में हुआ और वह भारत की जूनियर एशिया कप 2024 में स्वर्ण और सुलतान ऑफ जोहोर कप 2025 में कांसा जीतने वाली टीम के सदस्य रहे।
लंबी कदकाठी के प्रिंसदीप ने अपने हॉकी कोच की सलाह पर पर गोलरक्षक बनना तय किया। प्रिंसदीप हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल)में तमिलनाडु ड्रैगंस में भारत के रशर और ड्रैग फ्लिकर अमित रोहिदास की कप्तानी में देश के उदीयमान स्ट्राइकर उत्तम सिंह के साथ खेल कर बतौर गोलरक्षक अपनी छाप बना चुके हैं। भारत की जूनियर टीम के चीफ कोच पीआर श्रीजेश बतौर गोलरक्षक अपनी 16 नंबर की जर्सी में अपनी मुस्तैदी के चलते डेढ़ दशक तक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में छाए रहे। श्रीजेश की तरह ही प्रिंसदीप सिंह भी बतौर गोलरक्षक उसी 16 नंबर की जर्सी को पहन कर खेलते हैं और उन्हीं के नक्शेकदम पर चल अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं। फिलहाल एमिटी यनिवर्सिटी से बीए प्रथम वर्ष के छात्र प्रिंसदीप ने बतौर चेन्नै में गोलरक्षक जूनियर हॉकी विश्व कप 2025 में बेल्जियम के खिलाफ क्वॉर्टर फाइनल में निर्धारित समय में दो दो की बराबरी के बाद शूटआउट में बेहतरीन बचाव कर भारत को जीत दिलाने और कांस्य पदक के लिए मुकाबले में अर्जेंटीना के खिलाफ शानदार बचाव कर 4-2 से जीत दिला पदक जिताने में अहम भूमिका निभाई। प्रिंसदीप सिंह 2023 के आखिरी में भारत की जूनियर हॉकी टीम के शिविर में आए। गोलरक्षक प्रिंसदीप कहते हैं,‘मैं बड़े सपने बुन कर उन्हें सच करने में यकीन करता हूं। मैं अपने सपने को साकार करने के लिए पूरी शिद्दत से मेहनत करता हूं। मेरा सपना अब भारत की सीनियर हॉकी टीम की नमाइंदगी कर उसे ओलंपिक में स्वर्ण पदक जिताना है। बतौर गोलरक्षक मेरा आदर्श हमारी टीम के कोच भारत को पिछले लगातार दो ओलंपिक में कांसा जिताने वाले गोलरक्षक पीआर श्रीजेश और ऑस्ट्रेलिया के गोलरक्षक डेविट हार्ट हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि पीआर श्रीजेश हमारी जूनियर भारतीय हॉकी टीम के चीफ कोच हैं वह बराबर यही कहते हैं कि कुछ बनना है तो सपने बड़े होने चाहिए। हमारे चीफ श्रीजेश चूंकि खुद बतौर गोलरक्षक भारत को पिछले दो ओलंपिक में हॉकी में कांसा जिता चुके हैं और ऐसे में वह शिविर में अभ्यास के दौरान मुझे बतौर गोलरक्षक छोटी से छोटी गलत को बता कर उसे सुधारने के लिए अहम सलाह देते हैं। मैं अब भारत की सीनियर हॉकी टीम में जगह बनाने के लिए कोई कसर नही छोड़ना चाहता हूं। मैं इसी शिद्दत से बतौर गोलरक्षक मेहनत जारी कर अपने लिए एक अलग मुकाम बनाना चाहता हूं। मुझे एचआईएल में खेलने पर जो पांच लाख रुपये मिले मैंने अपने पिता को दे दिए।‘





