नीति गोपेंद्र भट्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मन्त्री अमित शाह के गृह प्रदेश में इस वर्ष के अन्त में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीति के जादूगर के नाम से मशहूर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मोदी -शाह एक दूसरे को शह और मात देने के लिए आमने सामने होंगे। पाँच वर्ष पहलें 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस ने गुजरात की बाजी जीतने का भरसक प्रयास किया था लेकिन वे उसमें सफल नही हो पायें थे। अब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व सोनिया गाँधी राहुल गाँधी आदि ने उन्हें पुनः गुजरात भेजा है जहाँ उनके शागिर्द और राजस्थान के पूर्व चिकित्सा और स्वास्थ्य तथा सूचना एवं जन सम्पर्क मंत्री डॉ रघु शर्मा को पहले ही प्रभारी बना कर भेजा जा चुका है। गहलोत अपने पड़ौसी प्रदेश गुजरात की राजनीति को बखूबी जानते है । वे सोनिया गाँधी के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को राज्यसभा का चुनाव में जीत दिला अपनी राजनीतिक चतुरता का लोहा मनवा चुके है। उसी अनुरूप अपनी राजनीतिक चौसर बिछाने हाल ही गुजरात के दो दिन के प्रवास पर रहें है ।आने वाले दिनों में राजनीति के जादूगर माने जाने वाले अशोक गहलोत एवं उनके शिष्य डॉ रघु शर्मा तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य कहें जाने वाले अमित शाह की जोड़ियों के मध्य राजनीतिक दाँवपेंच के दिलचस्प नज़ारे देखने मिल सकते हैं। इस मध्य दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी अपनी राजनीतिक दाल का अलग से ही तड़का लगाने को बेचैन दिख रहें है।देखना होगा कि सत्ताईस वर्षों से सत्ता से बाहर कांग्रेस और अपनी बेटिंग की ओपनिंग करने उतर रही आप पार्टी इस बार गुजरात में क्या गुल खिला पायेंगी?
गुजरात विधानसभा के चुनाव इस वर्ष 2022 के दिसंबर में होने हैं। इसके लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल पिछले काफी अर्से से सक्रिय हैं, भाजपा और कांग्रेस की परम्परागत लड़ाई के साथ ही इस बार आम आदमी पार्टी (आप )भी सक्रिय हो गई है। गुजरात में भाजपा जहां पिछले 27 सालों से सत्ता में है तो वहीं कांग्रेस पार्टी सत्ता पाने के लिए बेचैन है।भाजपा की चुनावी तैयारियां जहां पिछले एक डेढ़ साल से चल रही हैं वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी अपनी अलग अलग रणनीति बना काम कर रही है, अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी के मैदान में उतरने से कांग्रेस और भाजपा दौनों पार्टियों को अपने वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका है।आप अपने लोक लुभावने मुफ़्त योजनाओं से विधानसभा चुनाव में कितना असर दिखायेंगी यह अभी भविष्य के गर्भ में है।
भारतीय जनता पार्टी गुजरात में पिछले 27 सालों से सत्ता में है जिनमें अकेले पन्द्रह वर्षों तक नरेन्द्र मोदी स्वयं मुख्यमंत्री रहें।गुजरात में 1995 के बाद कांग्रेस कभी भी भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से विमुख नहीं कर सकी है।भाजपा की यह मजबूती कांग्रेस के घावों का नासूर बन चुकी है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी पिछले साल से अधिक तेज गति से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है।भाजपा गुजरात में विकास का ऐसा मॉडल तैयार करना चाहती है जो पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सके. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए लगातार गुजरात में नए नए प्रोजेक्ट पर काम हो रहे हैं।भाजपा ने रणनीति बनाई है की आगे विधानसभा चुनाव में हर विधानसभा में बड़े नेता रैली करेंगे.
उधर कांग्रेस गुजरात की प्रमुख विपक्षी पार्टी है। पिछलें 27 वर्षों से लगातार प्रयास के बावजूद भी सत्ता हासिल करने में सफल नही हो पाई है।हाँ पिछलें 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहाँ बेहतर प्रदर्शन किया था और 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी।वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए भी कांग्रेस ने काफी पहलें ही अपनी चुनावी तैयारियां शुरु कर दी है। कांग्रेस प्रदेश में महंगाई को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है,वही पार्टी में नए सदस्यों को जोड़ने का काम भी किया जा रहा है। पार्टी के युवा नेता जिग्नेश मेवानी युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने के लिए जुटे हुए हैं। इसके अलावा राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश भी की गई है। कांग्रेस ने कोरोना से मृत हुए लोगों को मुआवजा न दिए जाने का मुद्दा भी यहाँ खूब उठाया है।
इधर गुजरात में आम आदमी पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है।अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने रोड शो से लेकर जनसभा करने तक का सिलसिला शुरू कर दिया है। पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है।इसके अलावा आप पार्टी तिरंगा यात्रा के माध्यम से सरकार की नीतियों की खामियां उजागर कर रही है और राज्य में शिक्षा को प्रमुख मुद्दा बनाया जा रहा है। केजरीवाल गुजरात के स्कूलों से दिल्ली के स्कूलों की तुलना कर रहें है। साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा , महंगाई भ्रष्टाचार के माध्यम से भाजपा की सरकार पर हमले किए जा रहे हैं. आप पार्टी नेताओं कि प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में रैली की योजना है।
हालाँकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुजरात में भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुक़ाबला बता कर आप पार्टी की भूमिका को गौण बताया है। उन्होंने अपने बयानों द्वारा भाजपा पर प्रहार जारी रखते हुए कहा है कि देश की जनता बहु प्रचारित ‘गुजरात के विकास मॉडल’ का खोखलापन समझ चुकी हैं।
उन्होंने गुजरात के चुनावी परिदृश्य में आम आदमी पार्टी की एंट्री को ख़ास तवज्जो नहीं देते हुए दावा किया कि असली मुकाबला कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच होगा। उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्मस्थली होने के बावजूद गुजरात में शराब और मादक पदार्थ खुले आम उपलब्ध हैं। बीजेपी को इस पर शर्म आनी चाहिये ।
आने वाले समय में चुनावी गर्मी बढ़ते ही तीखे बयानों की धार और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। हालाँकि बीजेपी का दावा है कि 220 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी की 125 सीटों पर जीत तय है बाकी सीटों पर कांग्रेस आप और बीटीपी जैसी पार्टियाँ भाजपा से मुक़ाबला में कहाँ टिकेंगी यह आने वाला समय ही बतायेगा,वैसे सपने तों हर कोई देख सकता है। कुल मिला विरोधी पार्टियों को कुछ हाथ नहीं लगने वाला हैं।