संदीप ठाकुर
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सारनाथ और निर्माणाधीन नए संसद भवन के टॉप
पर स्थापित किए गए शेरों की तस्वीर को पोस्ट करते हुए देश के सामने एक
सवाल खड़ा किया है। महुआ मोइत्रा ने अपने ट्वीटर पर लिखा है कि सच कहा जाए
तो सत्यमेव जयते से सिंहमेव जयते तक हम पहुंच गए हैं। लंबे समय से आत्मा
में पड़ा संक्रमण बाहर आया है। उनके ट्वीट पर अब न्यू पार्लियामेंट भवन
के टॉप पर स्थापित किया गया शेरों का मुद्दा खासा गरमा गया है। चैनलों पर
बहस छिड़ गई है। दावा किया जा रहा है कि कांस्य निर्मित नए शेर का मुंह
काफी खुला हुआ है। इससे साफ है कि वह आक्रामक मुद्रा में है। यह देश की
शांत और सौम्य छवि के उलट है। बहस में गरमाहट की वजह यह भी है कि सारनाथ
और सांची के शेरों से ये शेर अलग हैं। अलग इस मामले में इन दोनों जगहों
पर शेर काफी शांत मुद्रा में दिखते हैं। वहीं, न्यू पार्लियामेंट की छत
पर स्थापित किए गए शेर की मुद्रा आक्रामक है। हालांकि, इसको लेकर
विशेषज्ञों के मत अलग-अलग हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि सम्राट अशोक
के शेर और नए शेर में कोई खास अंतर नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर गत 11 जुलाई यानी कल
देश के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का अनावरण किया था। कांस्य का बना यह
प्रतीक 9,500 किलोग्राम वजनी है। इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है। लेकिन पुराने
शेर के मुख मुद्रा में अंतर स्पष्ट है। यह बनाने वाले की गलती है या फिर
उससे ऐसा बनवाया गया है यह अलग मुद्दा है। लेकिन इसने एक नए विवाद काे
जरूर जन्म दे दिया है। अशाेक स्तंभ का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था।
सम्राट अशोक ने बिहार के वैशाली, लौरिया और रामपुरवा में भी स्तंभों का
निर्माण कराया था। यहां पर बने पिलर पर दो शेर बैठे दिखते हैं। एक शेर
चौंका हुआ और दूसरा सुस्ताया सा दिखता है। सम्राट अशोक को युद्ध और शांति
का प्रतीक माना जाता है। 304 ईसा पूर्व में उनका जन्म हुआ था। 232 ईसा
पूर्व तक उनका साम्राज्य का व्यापक विस्तार हो चुका था। सम्राट अशोक ने
देश के कई स्थानों पर अशोक स्तंभ का निर्माण कराया गया था। स्वतंत्र भारत
के प्रतीक चिन्ह के रूप में अशोक स्तंभ को अपनाया गया। वाराणसी के सारनाथ
संग्रहालय में रखे गए अशोक लाट को देश के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में 26
अगस्त 1950 को अपनाया गया। यह प्रतीक सरकारी लेटरहेड का हिस्सा है। साथ
ही, यह देश की मुद्राओं पर भी दिखता है। भारतीय पासपोर्ट की भी पहचान
अशोक स्तंभ से होती है। इस स्तंभ के नीचे स्थित अशोक चक्र भारतीय ध्वज के
मध्य भाग में लगाया जाता है। यह प्रतीक चिन्ह देश में सम्राट अशोक की
युद्ध और शांति की नीति को प्रदर्शित करता है।
अब तक मिले अशोक स्तंभों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि सारनाथ और सांची में
सिंहों का ऊपरी हिस्सा दिखता है। सारनाथ के जिस अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय
प्रतीक चिन्ह में शामिल किया गया है, उसमें चार एशिया मूल के शेर दिखाई
देते हैं। ये शेर शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव को प्रदर्शित करते
हैं। इसके नीचे एक घोड़ा और एक बैल है। इसके बीच में धर्म चक्र है। चक्र
के पूर्वी भाग में एक हाथी, पश्चिमी भाग में एक बैल, दक्षिणी भाग में
घोड़े और उत्तरी भाग में शेर है। ये बीच में बने पहियों से अलग होते हैं।
राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह नए शेर में मुख मुद्रा काे छाेड़ सब कुछ पूर्ववत
है। विवाद मुख मुद्रा काे ही लेकर है।