नीतू जोशी और मिआम चैरिटेबल ट्रस्ट ने उठाया महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं के जीवन में बदलाव का बीड़ा

Neetu Joshi and Miam Charitable Trust took the initiative to change the lives of tribal women in Maharashtra

मुंबई (अनिल बेदाग) : महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में एक खामोश क्रांति आकार ले रही है जिसे सामाजिक कार्यकर्ता नीतू जोशी और उनकी टीम मिआम चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से साकार कर रहे हैं। विशेष रूप से उन आदिवासी महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से, जो या तो अकेली मां हैं या अपने समुदायों में पुरुषों में व्याप्त शराब की लत के कारण उपेक्षा और कठिन परिस्थितियों का सामना कर रही हैं, यह ट्रस्ट सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की एक नई परिभाषा लिख रहा है।

गडचिरोली जैसे क्षेत्रों में आदिवासी महिलाओं के लिए जीवन एक सतत संघर्ष है। शराब की लत के कारण हजारों महिलाएं अपने बच्चों की अकेले परवरिश करने को मजबूर हैं। ऐसे में मिआम चैरिटेबल ट्रस्ट ने इन महिलाओं की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने का बीड़ा उठाया है।

नीतू जोशी के नेतृत्व में शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के ज़रिए महिलाओं को अपनी बात रखने, सामाजिक भागीदारी निभाने और नेतृत्व की क्षमता विकसित करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं, नेतृत्व सत्रों और सार्वजनिक बोलने की ट्रेनिंग के माध्यम से ट्रस्ट एक नई सोच और ऊर्जा वाली पीढ़ी तैयार कर रहा है।

जोशी बताती हैं, “हाल ही में गडचिरोली में एक बड़ी सार्वजनिक सभा के दौरान, कई आदिवासी महिलाओं ने नेताओं, अधिकारियों और आम जनता के सामने निडर होकर अपनी बात रखी। यह केवल एक प्रेरणादायक क्षण नहीं था, बल्कि एक बदलाव की शुरुआत थी। वे महिलाएं, जो कभी अपने ही घरों में बोलने से कतराती थीं, आज समाज के सामने आत्मविश्वास से खड़ी हैं।”

मिआम ट्रस्ट का कार्य केवल महिलाओं के सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है। ट्रस्ट अनाथ और वंचित आदिवासी बच्चों को शिक्षा के माध्यम से नई राह दिखा रहा है। मुफ्त पाठ्यपुस्तकों का वितरण, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, और स्कूल फीस का भुगतान जैसे प्रयासों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हर बच्चा एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सके।

अब तक ट्रस्ट की सहायता से कई छात्र पुलिस, सेना और सरकारी विभागों में नौकरी प्राप्त कर चुके हैं जो इस मिशन की स्थायी सफलता का प्रमाण है।

दयालुता, दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर, नीतू जोशी और मिआम चैरिटेबल ट्रस्ट न केवल बेहतर जीवन बल्कि मजबूत समुदायों का निर्माण कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर उठी ये आवाज़ें अब बुलंद हो रही हैं, और उनके प्रयास यह सिद्ध करते हैं कि निरंतर सामाजिक कार्य किस तरह वास्तविक बदलाव ला सकता है।