अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में नई संभावनाएं

New possibilities in the field of organ transplantation

विजय गर्ग

अंग प्रत्यारोपण चिकित्सा विज्ञान का वह क्षेत्र है, जिसने लाखों जिंदगियों को नई दिशा दी है, लेकिन अंगदान की कमी और प्रत्यारोपण के बाद अंग अस्वीकृति जैसी चुनौतियां हमेशा इस क्षेत्र के विकास में बाधा रही हैं। हाल में चिकित्सकों ने सूअर की किडनी का एक इंसान में सफल प्रत्यारोपण कर चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह सफलता उन लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई है, जो किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे हैं। सूअर के अंगों का उपयोग अंग प्रत्यारोपण में एक बड़ी क्रांति साबित हो सकता है। सूअरों की शारीरिक संरचना इंसानों से काफी हद तक मिलती-जुलती है, जो उन्हें अंगों के संभावित स्रोत के रूप में उभरने में मदद करती है। यह तकनीक न केवल किडनी, बल्कि हृदय, जिगर और अन्य महत्वपूर्ण अंगों के प्रत्यारोपण में भी उपयोगी हो सकती है। इसके अलावा जैव- इंजीनियरिंग और जीन एडिटिंग तकनीकों के जरिये सूअर के अंगों को इंसानी शरीर के लिए और अधिक अनुकूल बनाया जा रहा है।

यह अवधारणा नई नहीं है। 1996 में स्काटलैंड के शोधकर्ताओं ने ‘डाली’ नामक भेड़ को क्लोनिंग तकनीक से बनाया था। इसके बाद से विज्ञानी प्रयोगशालाओं में इंसानी अंगों को विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि पेट्री डिश में स्टेम कोशिकाओं से अंग विकसित करना बेहद चुनौतीपूर्ण काम रहा है, क्योंकि इन कोशिकाओं को सही तरीके से परिपक्व अंगों में बदलना मुश्किल है। यही कारण है कि विज्ञानी अब जानवरों के भ्रूण में मानव स्टेम कोशिकाओं को विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। सूअरों के अलावा गाय, भैंस, चूहे और भेड़ जैसे जानवरों में भी मानव अंगों को विकसित करने के प्रयास जारी हैं। इस तकनीक से अंगदान की भारी कमी को दूर किया जा सकता है। साथ ही 3डी प्रिंटिंग और स्टेम सेल तकनीक जैसी नई विधियां भी अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। भविष्य में इन तकनीकों के व्यापक उपयोग अंग प्रत्यारोपण न केवल सुलभ और सुरक्षित होगा, बल्कि यह अधिक किफायती भी हो सकता है, लेकिन इस क्षेत्र में कई चुनौतियां भी हैं। नैतिक और कानूनी प्रश्न, संक्रमण का खतरा और ऊंची लागत जैसे मुद्दों को सुलझाना अभी बाकी है। कुछ समाजशास्त्री और पर्यावरणविद् इन तकनीकों को प्रकृति के साथ छेड़छाड़ मानते हैं। इसके बावजूद, विज्ञानी इन चुनौतियों का समाधान खोजने में जुटे हैं। बहरहाल इस दिशा में प्रगति जारी रही, तो अंग प्रत्यारोपण चिकित्सा विज्ञान को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। इससे न केवल लाखों मरीजों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि यह तकनीक भविष्य में मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाने में भी सक्षम होगी।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्राचार्य शैक्षिक स्तंभकार