हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच अभी बातचीत का दौर जारी है। काँग्रेस पार्टी व आम आदमी पार्टी का इण्डिया ब्लाग के तर्ज पर गठबन्धन करने बैठको का दौर जारी है वही दुसरी तरफ हरियाणा में विधानसभा चुनाव के पास आते ही राजनीतिक पारा तेजी से ऊपर चढ़ने लगा है।
विनोद कुमार सिंह
राजधानी दिल्ली से सटे हुए पड़ोसी राज्य हरियाणा की चर्चा चहुँ दिशाओं में हो रही है। हालाकि हरियाणा व हरियाणवी लोक संस्कृति,चौपाल व अखाड़े व किसानों को लेकर होती रहती है।चाहे वह किसान आन्दोलन हो कुश्ती व अन्य खेलो पदकों के जीत का जशन हो आदि।आज आप का ध्यान हरियाणा के राज्य विधानसभा चुनावी दंगल से सम्बधित दाव पेंच पर करने वाले है।जैसा कि आप सभी को मालुम है कि दो राज्यों अर्थात जम्मु कश्मीर व हरियाणा में विधान सभा के होने वाली है जम्मु- कश्मीर में धारा370के हटने के बाद10 वर्षो के बाद चुनाव हो रही है।वही हरियाणा में 5 वर्ष बाद जहाँ कुछ महीनों राज्य के मुख्य मनोहर लाल कट्टर को हटाकर सैनी को सता की कमान सौंपी गई थी।जैसा कि हमने आपसे वादा किया था आज हम हरियाणा के विधान सभा चुनाव पर चर्चा करेंगे।आप को बता दे कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच अभी बातचीत का दौर जारी है। काँग्रेस पार्टी व आम आदमी पार्टी का इण्डिया ब्लाग के तर्ज पर गठबन्धन करने बैठको का दौर जारी है दुसरी तरफ हरियाणा में विधानसभा चुनाव के पास आते ही राजनीतिक पारा तेजी से ऊपर चढ़ने लगा है। तमाम राजनीतिक पार्टियाँ अपने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने के साथ ही अब चुनाव प्रचार पर अपना ध्यान कर रही है।राज्य के दोनो राजनीतिक दलों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची तक जारी कर दी है।बीजेपी ने अपनी पहली सूची में जहाँ हरियाणा की 90 में से 67सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है तो वहीं कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में कुल32उम्मीद वारों के नामों का ऐलान किया है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच अभी बातचीत जारी है।आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रिंयका कक्कड़ ने कहा कि दोनों पार्टी में बातचीत जारी है।उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में लगातार काम कर रही है।हम सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।हमारा संगठन पूरी तरह से मजबूत है।हम एक-दो दिन में उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर देंगे।इसके साथ ही आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि गठबंधन को लेकर कोई न कोई निष्कर्ष निकल जाएगा।
गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस आम आदमी पार्टी (आप) के साथ भी सीट बंटवारे पर बातचीत कर रही है।हालांकि, शुक्रवार को दोनों पार्टियों के बीच सीट-बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई थी।इससे गठबंधन की संभावनाएं धूमिल होती नजर आ रही थीं।लेकिन शनिवार को आम आदमी की प्रवक्ता ने कहा है कि अभी बात चल रही है तथा अभी उम्मींद बची हुई है।हरियाणा राजनीति पर पैनी नजर रखने वालें राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन पर आपत्ति जताई है।जानकारी के मुताबिक हुड्डा गुट और कुछ अन्य नेता आप के साथ सीट बंटवारे के खिलाफ हैं।इन नेताओं का मानना है कि केजरीवाल की पार्टी का हरियाणा में कोई खास आधार नहीं है।वहीं, कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को 32उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की।इसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को गढ़ी सांपला-किलोई,पहलवान विनेश फोगाट को जुलाना और राज्य इकाई के प्रमुख उदयभान को होडल सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति(सीईसी)की नयी दिल्ली में हुई बैठक के बाद उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गई।इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे,पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी महासचिव एवं संगठन प्रभारी के.सी.वेणुगोपाल,अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी)के हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया और हुड्डा समेत अन्य लोग शामिल हुए।एक तरफ काँग्रेस पार्टी व आम आदमी पार्टी का इण्डिया ब्लाग के तर्ज पर गठबन्धन करने बैठको का दौर जारी है वही दुसरी तरफ हरियाणा में विधानसभा चुनाव के पास आते ही राजनीतिक पारा तेजी से ऊपर चढ़ने लगा है। तमाम राजनीतिक पार्टियाँ अपने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने के साथ ही अब चुनाव प्रचार पर अपना ध्यान कर रही है।राज्य के दोनो राजनीतिक दलों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची तक जारी कर दी है।बीजेपी ने अपनी पहली सूची में जहां हरियाणा की 90 में से 67 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है तो वहीं कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में कुल 32 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।
वही हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत दौर चल रही है,लेकिन इन सबके बीच बीजेपी और कांग्रेस के लिएअपने ही नेता मुसीबत खड़ी करते नजर आ रहे हैं।ये वो नेता है जिन्हें पार्टी ने उनकी सीट से इस बार टिकट नहीं दिया है।अब ये नेता अपनी पार्टी के खिलाफ ही विद्रोह की विगुल बजाते हुए नजर आ रहे हैं।राज्य विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे है राजनीतिक दलों के लिए मुसीबत बढ़ती नजर आ रही है।राज्यों के विधान सभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों में अपने दलों की उम्मीदवारों के लिस्ट जारी करने के लिए माथा पच्ची व मैराथन बैठकों के दौर के बाद कुछ उम्मींदवारों की सुची जारी हो के बाद कई राजनेताओं नें अपना विरोध जताया है।कुछ न तो पार्टी के आला कमान के फैसले के विरोध अपनी पार्टी से इस्तीफा दे कर विरोधी दलों के खेमें में शामिल तक हो गया।ऐसा दृश्य पहले भाजपा के बाद अब कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी के खिलाफ ही चुनाव लड़ने का किया ऐलान तक कर दिया है।पार्टी के द्वारा सुची के सामने आने के बाद काँगेस पार्टी के अंदर कई नेता आलाकमान से नाराज चल रहे हैं।इस सुची में सबसे पहला नाम बहादुरगढ़ के राजेश जून का है।उन्होंने विधान सभा निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दिया है।कांग्रेस की पहली सूची जारी होने के बाद पार्टी के बड़े नेता राजेश जून ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।उन्होंने ऐलान किया है कि पार्टी ने उन्हें भले उम्मीदवार नहीं बनाया है लेकिन वो बहादुरगढ़ से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।राजेश जून ने चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद अपने समर्थकों के साथ एक बैठक भी की है।उन्होंने कहा मेरे साथ कांग्रेस नेतृत्व ने धोखा किया है,लेकिन मैं हार नहीं मानने वाला हूं मैं इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की तुलना दोगुने वोट लेकर विधायक चुना जाऊँगा । पार्टी के वरिष्ठ नेताओं मुझसे वादा किया था कि वें मुझे टिकट देंगे,लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)ने भी अपने67उम्मीद वारों की पहली सूची जारी की थी।पहली लिस्ट को आए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि बीजेपी में इसे लेकर विरोध के स्वर बुलंद होने लगे थे।बीजेपी के खिलाफ बगावत करने वालों में खास तौर पर तीन बड़े नेता शामिल थे।इन नेताओं ने पार्टी के पदों से इस्तीफा भी दे दिया था. इस लिस्ट में पहले नंबर पर थे कर्णदेव कांबोज आप को बता दे कि कंबोज वर्तमान में हरियाणा में भाजपा के ओबीसी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष थे।उन्होंने इंद्री से टिकट ना मिलने के बाद भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।पार्टी पद से इस्तीफा देने वालों में रणजीत सिंह चौटाला और कविता जैन जैसे नेताओं नाम भी शामिल है।हरियाणा के कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला का भी नाम लिस्ट से गायब था।बीजेपी की पहली लिस्ट से अपना नाम गायब देखने के बाद रणजीत सिंह चौटाला ने अपने समर्थकों की एक बैठक बुलाई थी।वही काँग्रेस पार्टी के लिए एक बुरी खबर आ रही है कि हरियाणा विधान सभा चुनावी दंगल में पार्टी ने दो अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पहलवान विनेश व बजंरग को उत्तरा था।दोनो पहवानों ने आनन फानन में काग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लिया।बजरंग पहलवान को पार्टी में नई जिम्मेदारी सौपी वही विनेश को विधान सभा चुनावी मैदान दंगल में टिकट दे कर उतार दिया।राजनीतिक शतरंज के सह मात में चाल में दोनो पहलवान फॅसते नजर आ रहे है। सर्वविदित रहे कि दोनो पहलवान रेलवे में अपनी सेवा दे रहे है।यानि न रेलवे में दोनो नौकरी करते है। बजरंग की राजनीतिक गतिविधियों को देखते हुए रेलवे ने 4 सितंबर को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था।इसके बाद 6 सितंबर को दोनों पहल वानों ने रेलवे में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।विनेश उत्तर रेलवे में खेल विभाग में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (OSD)के पद पर कार्यरत थी।उन्होंने रेलवे को तत्काल प्रभाव वाला इस्तीफा दिया।बजरंग रेलवे के खेल विभाग में OSD पद पर थे। विनेश के बाद उन्होंने भी रेलवे को तत्काल प्रभाव वाला इस्तीफा भेजा था।दोनों के इस्तीफों को रेलवे ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है।रेलवे के अनुसार कोई कर्मचारी नौकरी में रहते हुए इस्तीफा देता है तो उसे 3 महीने का नोटिस देना पड़ता है।इसके अनुसार 3 महीने तक नोटिस में कभी कर्मचारी का मन फिर से नौकरी में आने का होता है तो वह अपना इस्तीफा वापस भी ले सकता है।अगर कोई कर्मचारी तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता है तो उसमें वापसी की गुंजाइश खत्म हो जाती है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा बनी हुई है कि विना इस्तीफा स्वीकार हुए विनेश चुनाव लड़ पाएंगी ? चुनाव आयोग के अनुसार सरकारी पद पर आसीन किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए पहले अपने पद से इस्तीफा देना होता है।
संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC)लेनी होती है। इसके बिना रिटर्निंग अधिकारी किसी भी उम्मीदवार का आवेदन तक स्वीकार नहीं करते हैं।अब देखना दिलचस्प होगा कि विनेश चुनाव लड़ पाएंगी या नहीं।इस संदर्भ में अभी संदर्भ में अभी कुछ कहा नही जा सकता है।पहल वानों के लिए कही में एक नई मुसीबत बन गया है।दोनो राज्यो के विधान सभा के चुनाव भाजपा व काँग्रेस के लिए चुनाव मे जीतना प्रतिष्ठा बन गया है। दोनो पार्टी अपने अपने सहयोगीयों के साथ मिलकर चुनावी शतरंज सियासी चाल में सह-मात का खेल शुरू कर दिया है।लैकिन इसका असली चाल जनता जनार्दन के पास है,क्योकि उन्हे ही अपना प्रतिनिधि चुनना है। चुनावी दंगल में किसकी जीत होगी ‘ किसकी हार होगी यह तो 8 अक्तुबर को मतगना के बाद ही पता चलेगा। तब तक आप को इंतजार करना होगा।