- हमसें से किसी के लिए भी कोई उपलब्धि निजी नहीं बल्कि टीम प्रयास का नतीजा
- बतौर कप्तान आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है
- नतीजे पाने के लिए हमारी कोशिश हमेशा एक दूसरे की मदद करने की रहती है
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारतीय महिला हॉकी टीम के किले की मजबूत ‘प्रहरी’ अनुभवी गोलरक्षक सविता पूनिया ने 2021-22 की एफआईएच की वर्ष की सर्वश्रेष्ठï गोलरक्षक के लिए नामित किए जाने पर आभार जताते हुए कि वह यह महसूस करती हैं कि वह सही दिशा में बढ़ रही हैं। बीते वर्ष की वर्ष की एफआईएच की वर्ष की सर्वश्रेष्ठï गोलरक्षक रह चुकी सविता पूनिया ने कहा कि भारतीय टीम की साथी खिलडिय़ों और कोचिंग स्टाफ से मिला सहयोग और समर्थन बेहद मददगार रहा।
सविता कहती हैं, ‘लगातार दूसरी बार एफआईएच की वर्ष की सर्वश्रेष्ठï गोलरक्षक के लिए नामित किया जाना बहुत बढिय़ा है। बीते बरस टोक्यो ओलंपिक के बाद से हमने पूरे बरस बहुत पसीना बहाया। एफआईएच के 2021-22 की वर्ष की सर्वश्रेष्ठï गोलरक्षक के लिए नामित किए जाने से मुझे ऐसा अहसास हुआ कि मेरी ट्रेनिंग में सही दिशा में बढ़ रही है। हमारे लिए अगले साल होने वाले एशियाई खेल सबसे अहम टूर्नामेंट हैं। हमारी टीम हालांकि इस साल दिसंबर में एफआईएच महिला नेशंस कप में शिरकत करेगी लेकिन हमारा मुख्य मकसद खुद को अगले साल होने वाले एशियाई खेलों के लिए तैयार करना है। मुझे कोचिंग स्टाफ और टीम की साथियों का बहुत सहयोग मिला। हम सभी हर टूर्नामेंट में मिलकर मेहनत करती हैं। हमसें से किसी के लिए भी कोई उपलब्धि निजी नहीं बल्कि टीम प्रयास का नतीजा है। बतौर गोलरक्षक मेरी जिम्मेदारी यह है कि टीम मेरे प्रयास से खुश रहे। नतीजे पाने के लिए हमारी कोशिश हमेशा एक दूसरे की मदद करने की रहती है। यदि हममें कोई एक नामित होता है तो टीम के हर सदस्य की इसके लिए सराहना होती है और मैं इससे ही खुश होती हूं।’
सविता की कप्तानी में ही भारत ने 2021-22 में पहली बार एफआईएच महिला हॉकी प्रो लीग में शिरकत कर तीसरा स्थान हासिल किया। सविता की कप्तानी में भारत ने लंबे इंतजार के बाद हाल ही बर्मिंघम में न्यूजीलैंड को निर्धारित समय तक एक-एक की बराबरी के बाद शूटआउट में 2-1 से हरा कर सम्पन्न राष्टï्रमंडल खेलों में कांसे के रूप में फिर पदक जीता। भारत की गोलरक्षक और कप्तानी की दोहरी जिम्मेदारी की बाबत सविता कहती हैं, ‘ गोलरक्षण एक अलग तरह की जिम्मेदारी है। अनुभवी गोलरक्षक के रूप में मैं हमेशा ही इस सोच के साथ ट्रेनिंग करती हूं कि मुझे अपनी टीम की मदद करनी है। बतौर कप्तान आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है क्योंकि आपको आपके खेल का तो ख्याल रखना ही पड़ता है अपनी टीम के प्रदर्शन की भी जिम्मेदरी आपकी ही होती है। मुमकिन है कि किसी दिन आपकी टीम अच्छा प्रदर्शन न कर पाए और ऐसे में तब आपको कप्तान के रूप में टीम की हौसलाअफजाई करनी पड़ती है। चीफ कोच यॉन्की शॉपमैन के मार्गदर्शन में हम अपनी जिम्मेदारी आपस में बांट लेती हैं। मेरा मानना है कि इससे मुझे खुल कर बिना किसी दबाव के खेलने में मदद मिलती है।’
भारतीय महिला हॉकी टीम का दिसंबर में होने वाले एफआईएच महिला हॉकी नेशंस कप के लिए शिविर 29 अगस्त से साई बेंगलुरू में शुरू हो चुका हैे। साथ ही भारतीय महिला टीम की निगाहें एशियाई खेलों पर हैं। सविता बताती हैं,’ राष्टï्रमंडल खेलो में 16 बरस के लंबे अंतराल के बाद कांसे के रूप में फिर पदक जीतने से हम सभी शिविर के शुरू होने के बेताबी से इंतजार कर रही थी जिससे कि हम अपनी उन खामियों को सुधारने के लिए मेहनत कर सकें।’