इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे मानव तस्करी नेटवर्क को खत्म करने के लिए बुधवार को बड़ा अभियान चलाया।
एनआईए ने इस नेटवर्क के 44 लोगों को पकड़ा/ गिरफ्तार किया है।
एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और राज्य पुलिस बलों के साथ मिलकर 8 नवंबर की सुबह चलाए गए इस अभियान का उद्देश्य भारत-बांग्लादेश सीमा के पार से अवैध प्रवासियों की घुसपैठ कराने और उन्हें भारत में बसाने में शामिल मानव तस्करी सहायता नेटवर्क को खत्म करना था।
एनआईए द्वारा दर्ज मानव तस्करी के चार मामलों में त्रिपुरा, असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, हरियाणा,पुदुचेरी, राजस्थान और जम्मू कश्मीर में कुल 55 स्थानों पर छापे मारी और तलाशी ली गई।
एनआईए ने तलाशी के दौरान बीस लाख रुपये नकद और 4550 अमेरिकी डॉलर,
मोबाइल फोन, सिम कार्ड, पेन ड्राइव आदि बरामद किए। आधार कार्ड और पैन कार्ड सहित बड़ी संख्या में पहचान संबंधी दस्तावेजों के जाली होने का संदेह है।
एनआईए ने कुल 44 गुर्गों को पकड़ा/ गिरफ्तार किया है। इनमें त्रिपुरा से 21, कर्नाटक से 10, असम से 5, पश्चिम बंगाल से 3, तमिलनाडु से 2, पुदुचेरी, तेलंगाना और हरियाणा से एक- एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
प्रारंभिक मामला दिनांक 9.9.2023 को असम पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा दर्ज किया गया था। यह भारत-बांग्लादेश सीमा के पार अवैध प्रवासियों की घुसपैठ और पुनर्वास के लिए जिम्मेदार मानव तस्करी नेटवर्क से संबंधित था। जिसमें रोहिंग्या मूल के लोग भी शामिल हैं। इस नेटवर्क का संचालन देश के विभिन्न हिस्सों तक फैला हुआ है, जिसमें भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्र भी शामिल हैं। मामले के अंतरराष्ट्रीय और अंतर-राज्य संबंधों और इसकी जटिलता को देखते हुए, एनआईए ने गुवाहाटी में एनआईए पुलिस स्टेशन में 06.10.2023 को मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
एनआईए की जांच से पता चला कि इस अवैध मानव तस्करी नेटवर्क के विभिन्न मॉड्यूल तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों में फैले हुए थे। इन जांच निष्कर्षों के आधार पर एनआईए ने देश के विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों में स्थित इस व्यापक नेटवर्क के मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने के लिए तीन नए मामले दर्ज किए।
इन अवैध मानव तस्करी नेटवर्कों की गतिविधियों और कार्यप्रणाली की आगे की जांच से इन नेटवर्कों के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करना जारी रहेगा।