नीति आयोग की बैठक और विरोधी दल से सामंजस्य व मोदी मंत्र

Niti Aayog meeting and coordination with the opposition party and Modi Mantra

अशोक भाटिया

नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन से बेहद गंभीर मुद्रा में बात करते नजर आए। वहीं, जब पंजाब के मुख्‍यमंत्री भगवंत मान पीएम मोदी से मिले, तो दोनों खिलखिलाकर हंस रहे थे। आंध्र प्रदेश के सीएम एन। चंद्रबाबू नायडू के साथ पीएम मोदी चाय पीते नजर आए। ये नजारा शनिवार को हुई नीति आयोग की बैठक का था, जहां ज्‍यादातार राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री पहुंचे थे। नीति आयोग की बैठक के दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम मोदी खुलकर बातचीत करते नजर आए।

इस बैठक में पीएम मोदी, जिस अपनेपन से राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों के से मिले, उससे ऐसा लगा ही नहीं कि इनके बीच कोई राजनीतिक मतभेद है। ये दृश्‍य देख ऐसा लगा कि ये ही पार्टी के सदस्‍य हैं। हालांकि, पीएम मोदी व्‍यक्तित्‍व ही ऐसा है, वह बड़ी जल्‍दी लोगों के साथ घुल-मिल जाते हैं। फिर उनकी कार्यशैली के मुरीद तो विपक्षी पार्टियों में भी बहुत हैं। पीएम मोदी ने नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि देश को भविष्य के लिए तैयार शहरों के विकास की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने केंद्र और सभी राज्यों से एक साथ मिलकर विकास की गति बढ़ाने का आग्रह किया।

पीएम मोदी ने कार्यक्रम में कहा, “भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। हमें भविष्य के लिए तैयार शहरों की दिशा में काम करना चाहिए। विकास, नवाचार और स्थिरता हमारे शहरों के विकास का इंजन होना चाहिए। हमें विकास की गति बढ़ानी होगी। अगर केंद्र और सभी राज्य एक साथ आते हैं और टीम इंडिया की तरह मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।” बता दें कि यह बैठक केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ‘विकसित भारत : 2047’ के विजन को आगे बढ़ाने के उपायों पर विचार-विमर्श करने और इस बात पर आम सहमति बनाने के लिए एक मंच प्रदान करती है कि कैसे राज्य भारत को एक ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने के लिए आधारशिला बन सकते हैं।

दरअसल नीति आयोग की अवधारणा मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद के दिनों में आई। इससे पहले, एक योजना आयोग था और इसे पंडित नेहरू द्वारा स्थापित किया गया था। लेकिन उस योजना आयोग के दौरान, राज्यों के पास कोई अधिकार नहीं था और केंद्र की मां कहने के अलावा कुछ नहीं था। लेकिन मोदी के आने के बाद, राज्यों को अधिक सरकारी मामलों में अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार मिला और राज्यों को मिला। यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि यह मोदी का एहसान है। तुलना करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह एक तथ्य है कि राज्यों को केंद्र से उनके हिस्से के अनुसार केंद्र से कुछ अधिक मिलना शुरू हो गया है, लेकिन फिर भी। कल की बैठक में, मोदी ने समावेशी शासन के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और यह बहुत मायने रखता है क्योंकि पहले कोई समावेशिता नहीं थी।यह बैठक केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ‘विकसित भारत : 2047’ के विजन को आगे बढ़ाने के उपायों पर विचार-विमर्श करने और इस बात पर आम सहमति बनाने के लिए एक मंच प्रदान करती है कि कैसे राज्य भारत को एक ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने के लिए आधारशिला बन सकते हैं ।

मोदी ने कल की बैठक में एक महान विचार रखा था और वह चल रही क्रिकेट टीम की तरह है। मोदी ने कहा कि टीम इंडिया हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। यानी जैसे टीम इंडिया मिलकर क्रिकेट खेलती है, वैसे ही हमें उससे कुछ सीखना चाहिए।

यह विचार कि हम तभी प्रगति करेंगे जब सभी राज्य और केंद्र सरकारें अपने मतभेदों को सुलझाएं और देश के विकास के लिए मिलकर काम करें। इसे संघवाद कहा जाता है। यह विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं है। कांग्रेस ने हमेशा यह प्रचार फैलाया है कि मोदी ने अपने समय में संघवाद को समाप्त करने का प्रयास किया है। लेकिन मोदी ने समय-समय पर साबित किया है कि यह कितना झूठा और निराधार है और उसी के अनुसार अपना व्यवहार भी रखा है। राज्यों ने देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सभी ने देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मोदी के इस बयान के पीछे एक मजबूत विचार है कि देश तभी विकसित हो सकता है जब राज्य का विकास हो और यह 100 प्रतिशत सच है।

क्योंकि ये सच है कि देश तभी प्रगति कर सकता है जब राज्य मिलकर प्रगति करें। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हर राज्य को कम से कम एक पर्यटन स्थल विकसित करना चाहिए जो विश्व मानक के बराबर हो। इसमें सभी सुविधाएं और बुनियादी ढांचे होंगे। इससे न केवल राज्य का विकास होगा बल्कि देश का विकास भी होगा और देश 2047 की ओर बढ़ेगा। यही प्रधानमंत्री मोदी का आदर्श वाक्य है और यही उनके भाषण का सार था। यदि केंद्र और राज्य इस दिशा में काम करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त करने योग्य नहीं है। इसे कहते हैं एकीकृत संघवाद और यही विचार दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी अब तक की चर्चा में सामने रखा था। लेकिन हमने कांग्रेस के नाम पर इसकी अनदेखी की। लेकिन मोदी के तहत हमने इसके महत्व को महसूस किया है और उनके विचारों को फिर से स्पष्ट करना शुरू कर दिया है। जैसा कि मोदी ने कहा, विकसित भारत हर भारतीय का सपना है और यह 140 करोड़ भारतीय लोगों की आकांक्षा है। देश को 2047 से पहले विकसित भारत बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने एक यथार्थवादी बिंदु रखा कि सभी को विकसित भारत के निर्माण के सपने का हिस्सा बनना चाहिए। मोदी ने कहा कि देश तभी विकसित हो सकता है जब हर राज्य का विकास हो, हर नगरपालिका का विकास हो और हर ग्राम पंचायत विकसित हो।

दीनदयाल उपाध्याय की सोच से क्या अलग था। मोदी को विकसित देश का निर्माण करते समय यह देखना चाहिए कि विकास के अंतिम पायदान पर खड़े हर नागरिक और हर नागरिक को विकास में उचित हिस्सा मिले। क्योंकि यह अमर्त्य सेन का विकास का दृष्टिकोण था। बेशक, प्रधानमंत्री की इस नीति आयोग की बैठक ने दलगत राजनीति, खासकर विपक्ष के विचारों और राजनीति पर भी ग्रहण लगा दिया, क्योंकि कांग्रेस ने बैठक का विरोध किया और राहुल गांधी का काम उनसे अलग है। आप इसकी उम्मीद नहीं कर सकते। लेकिन सभी मुख्यमंत्रियों ने बैठक में भाग नहीं लिया। उनके कारण जो भी हों, प्रधानमंत्री की मौजूदगी में बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने के मुख्यमंत्री के साहस की संघीय सरकार को ही सराहना करनी चाहिए, क्योंकि मुख्यमंत्री को इतनी आजादी है। आखिरकार मोदी ने महिलाओं की भागीदारी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया।

उनका कहना है कि हमें अपने कार्यबल में महिलाओं को सम्मान के साथ शामिल करना चाहिए। क्योंकि अगर महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता है, तो विकास का कोई मतलब नहीं होगा। विकास सबका साथ विकास है। यह मोदी का आदर्श वाक्य है। तदनुसार, मोदी ने उपरोक्त की घोषणा की है। यह प्रधान मंत्री मोदी की उपलब्धि है। यानी भारत एक विकसित भारत बनने के लिए तैयार है और अब यह उसी के अनुसार आगे बढ़ेगा। विपक्षी दल कितनी भी राजनीति क्यों न करें। करें या सहयोग करें। लेकिन मोदी की बयानबाजी जारी रहेगी और भारत विकास की राह पर आगे बढ़ता रहेगा। विपक्ष को अपनी राजनीति का आनंद लेने दीजिए। कांग्रेस के जयराम रमेश ने मोदी के बारे में कहा कि यह एक अनुचित बैठक थी। लेकिन हर कोई जानता है कि रमेश के कांग्रेस शासन के दौरान योजना आयोग की बैठकें कैसे काम करती हैं। इसलिए रमेश कुछ भी कहें, मोदी और भारत का घोड़ा दौड़ता रहेगा।

अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार