सैम नहीं, अब लोग कह रहे है ‘शेम’ पित्रोदा

No Sam, now people are saying 'Shame' Pitroda

गिरीश पंकज

रायपुर से लगभग 240 किलोमीटर दूर स्थित टिटलागढ़ (उड़ीसा) में जन्मे सत्यनारायण गंगाराम उर्फ सैम पित्रोदा पिछले कुछ अरसे से अपनी विचित्र किस्म की बयानबाजियों के कारण चर्चा में हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौर में पित्रोदा ने उनके सलाहकार थे। तब सूचना क्रांति के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया था, इससे किसी को इनकार नहीं। ये दूर संचार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। यहाँ तक तो सब ठीक ही था। लेकिन धीरे-धीरे अति बौद्धिक किस्म के लोग अराजक भी हो जाते हैं ।

इसका एक जीवंत उदाहरण बन गए हैं सैम पित्रोदा, जिनको लोग अब शेम (शर्म) पित्रोदा भी कहने लगे हैं। 1984 में हुए दंगों में हजारों सिखों की जान ले ली गई थी । उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पित्रोदा ने कभी कहा था, ‘हुआ तो हुआ’। तब उनकी ही नहीं, कांग्रेस की भी निंदा हुई थी क्योंकि पित्रोदा कांग्रेस के सलाहकारों में एक हैं। कुछ दिन पहले इन्होंने अमेरिका में लागू ‘विरासत टैक्स’ के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इसे भारत में भी लागू करना चाहिए । उसे लेकर राहुल गांधी भी कुछ ऐसे बयान देने लगे थे, जो कांग्रेस की छवि ही खराब कर रहे थे। जैसे बहुसंख्यकों के पास जो संपत्ति है ,उसका हम सर्वे करेंगे और अल्पसंख्यकों को बांट देंगे। उनके इस बयान को भाजपा ने खूब भुनाया और कहा कि देखिए कांग्रेस आ जाएगी तो विरासत टैक्स लगा लागू कर देगी। और इस बयान के कुछ दिन बाद तो शेम पत्रोदा ने तो अति ही कर दी इसीलिए अब लोग उन्हें शेम पित्रोदा कहने लगे हैं। उन्होंने दो दिन पहले अपने विचार व्यक्त करते हुए अजीब किस्म के उदाहरण प्रस्तुत किए। वह कह रहे थे कि भारत विविधता वाला देश है। यहां तरह-तरह के लोग रहते हैं। यहां तो बात ठीक थी लेकिन उनके उदाहरण उनकी नस्लीय मानसिकता और दिवालियापन को दर्शाने वाले थे। जैसे उन्होंने कहा कि दक्षिण भारतीय लोग अफ्रीकी जैसे नजर आते हैं । उत्तर भारत के लोग अंग्रेजों की तरह गोरे दिखते हैं। पश्चिम के लोग अरब देश के नागरिकों की तरह नजर आते हैं, और नार्थ ईस्ट के लोग चीनी जैसे दिखते हैं। उनके इस बयान से हंगामा मचना स्वाभाविक था। प्रधानमंत्री मोदी ने तो उनकी बातों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक चुनावी सभा में कहा कि मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है। हालांकि एक अच्छी बात है कि कांग्रेस ने पित्रोदा की टिप्पणी से अपनी असहमति जाहिर की है। बवाल को देखते हुए अंततः सैम ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उनसे लिया गया है । क्योंकि पद पर रहते हुए पित्रोदा की कही गई कोई भी बात अंततः कांग्रेस की बात ही मानी जाएगी ।इसलिए कांग्रेस ने उनसे इस्तीफा ले लिया। लेकिन सैम पित्रोदा तो शेम पित्रोदा हैं।

वह सुधरने से रहे । कल को फिर हो सकता है, कोई नया विवादास्पद बयान देकर सनसनी फैला दें । पित्रोदा ने अपना हुलिया तथाकथित गंभीर बुद्धिजीवियों वाला बना कर रखा हुआ है। लेकिन उनकी बातों से ऐसा लगता नहीं कि वह गंभीर बुद्धिजीवी है।

अंग्रेजी बोलने भर से कोई बहुत बड़ा बुद्धिजीवीनहीं हो जाता। इसका उदाहरण पित्रोदा हैं। उनके बयानों से उनकी निम्नस्तरीय मानसिकता झलकती है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के चेहरों या चमड़ी के बारे में जो कुछ कहा, उससे तो यह और स्पष्ट हो गया है कि व्यक्ति कभी रहा होगा सूचना क्रांति का जनक लेकिन अब यह ‘सूचना-भ्रांति’ का शिकार है। इनके कथन को सुनकर लोग इन पर हँस रहे हैं । कुछ गुस्सा भी कर रहे हैं । आतंकवादियों द्वारा जब पुलवामा में हमला किया गया तो उसका जवाब देते हुए भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया था। तब पित्रोदा ने कहा था कि कुछ आतंकियों ने गलती की है तो पूरे पाकिस्तान को क्यों दंड दिया जाए। ऐसा बयान दे कर वह अपनी अधिक उदारवादी छवि बनाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन वह यह नहीं समझ पाए कि ऐसा कह कर के वह अपनेआप को देशविरोधी भी साबित कर रहे हैं । ऐसे समय जब पूरा देश एयर स्ट्राइक को लेकर देश की सराहना कर रहा था,तो शेम पित्रोदा भारत की कार्रवाई की आलोचना कर रहे थे।

पित्रोदा की अनेक हरकतों के कारण कांग्रेस की छवि खराब हुई है । बेचारी कांग्रेस बैक फुट पर आ गई। न निगलते बने, न उगलते बने की स्थिति बन गई। चुनाव के समय पित्रोदा के बिगड़े बोल ने भाजपा की जैसे बल्ले-बल्ले कर दी । उनके हर बयान को पकड़ कर भाजपा यह सिद्ध करने पर लगी हुई है कि देखिए यह है कांग्रेस के मानसिकता। प्रधानमंत्री मोदी ने तो अपनी एक चुनावी सभा में पित्रोदा के बयान को पकड़कर के पूछ ही लिया कि ”क्या हमारी राष्ट्रपति अफ्रीकी है ? संविधान को सिर पर रखकर नाचने वाले लोग त्वचा के रंग के आधार पर अब देशवासियों का अपमान कर रहे हैं।” भाजपा का हर प्रवक्ता पित्रोदा के बयान को जनता के बीच ले जाकर कांग्रेस को कोस रहा है। विपक्ष को तो मौका चाहिए और मजे की बात यह है कि सैम पित्रोदा ऐसे मौके देते रहते हैं । उनका ‘हुआ तो हुआ’ वाला बयान भी पिछले चुनाव के आसपास ही तो आया था।