- जो टी-20 विश्व कप के लिए टीम में चुने गए हैं सभी सर्वश्रेष्ठï हैं
- भारत में होने वाले वन डे विश्व कप की बाबत अभी नहीं सोच रहा
- मेरा ध्यान अब हर वन डे सीरीज में बढिय़ा प्रदर्शन करने पर
- टी-20 में ध्यान बराबर लेंग्थ पर देना पड़ता है, वन डे में गति परिवर्तन पर
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : बतौर लेफ्ट आर्म लेग स्पिनर कुलदीप यादव भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अनूठे हैं और टी-20 और वन डे में उसे एक अलग तरह का विकल्प उपलब्ध कराते हैं। एक समय कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल जैसे अलग-अलग अंदाज के लेग स्पिनरों की जोड़ी ‘कुलचा’ के नाम से ख्यात हुई और भारतीय स्पिन गेंदबाजी आक्रमण की जान बन गई। क्रिकेट में चोट और फॉर्म कभी भी गड़बड़ा सकती है। बड़ा और बेहतरीन गेंदबाज वही है जो इन दोनों से उबर कर फिर टीम में अपनी जगह बनाए। चोट के बाद वापसी करने और लय पाकर कुलदीप यादव फिर से भारतीय स्पिन गेंदबाजी आक्रमण की जान बन गए हैं। कुलदीप यादव ने स्पिन का जाल बुन मात्र 18 रन देकर चार विकेट चटका कर भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मंगलवार को तीसरा और अंतिम वन डे क्रिकेट मैच जिताने के साथ पिछडऩे के बाद सीरीज 2-1 से जिताने में अहम भूमिका निभाई।
भारत के वन डे और सीरीज जीतने के बाद कुलदीप यादव ने कहा, ‘ मैं ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में न चुने जाने पर निराश नहीं हूं क्योंकि जो चुने गए हैं वे सभी सर्वश्रेष्ठï हैं। मेरा पूरा ध्यान पर मैच दर मैच अपना खेल बेहतर करने पर है। जहां तक अपने जोड़ीदार युजवेंद्र चहल की कमी अखरने की बात है तो मैं बस यही कहूंगा कि चहल फिलहाल भारत की टी-20 विश्व कप टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया के साथ हैं। मैं चहल के टी-20 विश्व कप में बढिय़ा प्रदर्शन की कामना करता हूं। वहीं मैं खुद यही आस करता हूं कि मैं वन डे में ऐसा ही बढिय़ा प्रदर्शन जारी रखूं। मेरा आत्मविश्वास हमेशा बना रहा है। मैं अब मन के मुताबिक गेंदबाजी कर रहा। रही बात अगले साल भारत में होने वाले वन डे विश्व की तो मैं फिलहाल वह दूर है। और उसकी बाबत अभी नहीं सोच रहा। सच कहूं मैं अब यूं भी व्यावहारिक हो गया हूं। अब हमें अगले वन डे विश्व कप से पहले बहुत वनडे सीरीज खेलनी हैं। मेरा ध्यान अब आगे हर वन डे सीरीज में लगातार बढिय़ा प्रदर्शन पर है’।
वह कहते हैं, ‘ बतौर गेंदबाज आपको यह बात अच्छी तरह समझनी होगी कि टी-20 और वन डे क्रिकेट का मिजाज एकदम अलग है। टी-20 में आपको बराबर ध्यान अपनी लेंग्थ पर देना पड़ता है और इसमें आप तभी फ्लाइट देते हैं जब आप देखते हैं कि बल्लेबाज दबाव में है। वन डे में आपको अलग अंदाज में गेंदबाजी करनी होती है। वन डे में गति में बदलाव करना होता है। मैंने चोट के बाद अपनी लय पर काम किया और स्पिन से समझौता नहीं किया है।मैं हमेशा आत्मविश्वास से सराबोर रहता हूं। विकेट के मिलना या न मिलना आत्मविश्वास से नहीं जुड़ा है।मैं अपना ध्यान बराबर मैच खेलने और इसमें बढिय़ा प्रदर्शन पर लगाना चाहता हूं। मैं मानता हूं कि किस्मत से मुझे बराबर मैच खेलने को मिल रहे हैं। बतौर गेंदबाज आपको ध्यान अपनी बेसिक्स, गेंदबाजी कौशल और क्वालिटी पर लगाना चाहिए। यदि पिच में थोड़ा सा भी टर्न है तो बतौर स्पिनर आपको मदद मिलेगी। जहां तक तीसरे और अंतिम वन डे में हैट-ट्रिक न मिल पाने की बात तो बस लगा कि मैंं सही लय से जरा चूक गया। यों भी हैट-ट्रिक आसानी से नहीं आती है औरइसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।’