अशोक मधुप
दिल्ली हाईकोर्ट ने मुखर्जी नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर में गुरुवार को लगी आग की घटना का शुक्रवार को खुद से संज्ञान लिया. कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली फायर सर्विस डिपार्टमेंट, दिल्ली पुलिस और एमसीडी को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है. कोर्ट ने फायर सर्विस डिपार्टमेंट को निर्देश दिया कि वो ऐसे सभी संस्थानों में आग से बचाव के इंतजामों (फायर सेफ्टी ऑडिट) और उनके फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की जांच करे. न्यायालय ने आदेश कर दिया।ये ही आदेश जांच अधिकारियों ने लिए लूट का अधिकार दे देगा.इस आदेश के बाद जांच अधिकारी जाएंगे, कोचिंग सैंटर में कमी निकालेंगे.नोटिस देंगे. अपना सुविधा शुल्क वसूलेंगे और कुछ दिनों बाद सब फाइलों में दबकर रह जाएगा. कुछ समय बाद फिर हादसा होगा, फिर जांच होंगी।फिर अधिकारियों को आपदा में अवसर मिलेंगे.फिर खेल होगा. सब ऐसे ही चलता रहेगा, जैसे चल रहा है। इस भ्रष्ट हो चुकी सरकारी मशीनरी के सुधरने की उम्मीद नहीं लगती। कठोर अनुशासन लागू किये बिना ये सुधरने वाली नहीं।जरूरत सरकारी तंत्र को सुधारने की है।
जस्टिस जसमीत सिंह और जस्टिस विकास महाजन की वेकेशन बेंच ने आदेश में कहा कि हमने अखबारों में छपी घटना से जुड़ी खबर और वॉट्सएप पर सर्कुलेट हो रहे मेसेज देखे। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मुखर्जी नगर में डीडीए कमर्शल सेंटर की चार मंजिला बिल्डिंग में चल रहे एक कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले 500 बच्चे बाल-बाल बचे। हम दिल्ली सरकार, दिल्ली फायर सर्विस डिपार्टमेंट, एमसीडी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हैं। फायर सर्विस डिपार्टमेंट को निर्देश देते हैं कि वो ऐसी सभी इमारतों का फायर सेफ्टी ऑडिट करें ताकि यह तय किया जा सके कि उनमें पर्याप्त अग्नि सुरक्षा उपाय मौजूद हैं या नहीं। इसी बीच दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल (स्थायी अधिवक्ता) संतोष कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट से कहा कि इन संस्थानों के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट है या नहीं, इसकी जांच करना भी जरूरी है. लिहाजा, कोर्ट ने निर्देश दिया कि फायर सर्विस अथॉरिटी यह भी देखेगी कि इन संस्थानों के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट है या नहीं. कोर्ट ने अथॉरिटी को अपने-अपने जवाब देने के लिए दो हफ्तों का वक्त दिया और कहा कि मामले को आगे के निर्देशों के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट में तीन जुलाई को सुनवाई के लिए लगाया जाए.
दिल्ली के मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर में गुरुवार (15 जून) को आग लग गई. छात्रों को कोचिंग सेंटर की खिड़की से निकलर जान बचानी पड़ी. इस हादसे में 60 छात्र घायल भी हुए. आग लगने का कारण बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर पर लगे मीटर में आग लगी थी, जिसका धुआं पूरी बिल्डिंग में फैल गया . धुआं निकलते ही पूरी बिल्डिंग में अफरा-तफरी मच गई जिसके बाद छात्रों ने खिड़कियों से बिल्डिंग से बाहर आने की कोशिश की और उनमें से कुछ को चोटें आईं. इस हादसे में घायल 60 लोगों को इलाज के लिए तीन अस्पतालों में भर्ती कराया गया, घटना स्थल का जिला क्राइम टीम ने मुआयना किया और फोटोग्राफी भी की. इस घटना के समय बिल्डिंग में संचालित विभिन्न कोचिंग सेंटरों में 200-250 छात्र मौजूद थे.
दिल्ली फायर सर्विस के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि आग लगने की सूचना दोपहर 12.27 मिनट पर मिली थी, जिसके बाद 11 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया और राहत व बचाव कार्य शुरू किया गया. दमकल विभाग ने इस घटना का एक वीडियो भी साझा किया था जिसमें लोगों को खिड़कियों के माध्यम से बाहर निकलते हुए देखा जा सकता है. इमारत से धुआं निकलते हुए भी देखा जा सकता है. खिड़की से निकले छात्र अपना बैग फेंकते और एक-दूसरे की मदद करते नजर आए. आग लगने की घटना के बाद इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. दमकल विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राहत व बचाव कार्य में जुटी दमकल की गाड़ियों ने आग पर काबू पा लिया है.
दरअस्ल मुकर्जी नगर हिंदी भाषी छात्रों का सिविल सेवा की तैयारी करने का बड़ा केंद्र बन गया है। यहां कई कोचिंग संस्थानों का घर है। सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी के लिए इसे मक्का कहा जाता है। हर वर्ष सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सबसे ज्यादा अभ्यर्थी भी यहीं से चयनित होते हैं।
एक जानकारी के अनुसार यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करने के लिए मुखर्जी नगर व आसपास के क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष करीब एक लाख छात्र तैयारियों के लिए पहुंचते है। मुखर्जी नगर इलाका अपने आप में मिनी भारत है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के जिन छात्रों को हॉस्टल नहीं मिलती है, वे भी यहीं रहकर पढ़ाई करते हैं। यहां हर वर्ष प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, उड़ीसा, पूर्वोत्तर राज्यों से भी छात्र पहुंचते हैं.मुखर्जी नगर में यूपीएससी की सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले महंगे से लेकर सस्ते कोचिंग भी मौजूद हैं. यही वजह है कि यहां पर आर्खिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले बच्चे भी अपनी तैयारी आसानी से कर लेते हैं.
मुखर्जी नगर रिहायशी इमारतों में व्यावसायिक गतिविधियां चलाने का गढ़ बन चुका है. बीते एक दशक में यहां कोचिंग सेंटरों की बाढ़ आ गई है. ज्यादातर घरों में या तो कोचिंग सेंटर चल रहे हैं या फिर लाइब्रेरी या पीजी बनाकर संपत्ति मालिक चांदी काट रहे हैं लेकिन नगर निगम को शुल्क देने में अब भी कतराते हैं. इन संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है लेकिन संपत्ति मालिकों ने अभी तक इनका कन्वर्जन नहीं कराया . इस हादसे के बाद निगम के अनुसार अभी तक छह संपत्तियां सील हैं जबकि तीन संपत्ति मालिकों ने हलफनामा देकर सील खुलवा ली थी कि वह भविष्य में फिर से इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं करेंगे. निगम सूत्रों के ज्यादातर इमारतों को कोचिंग संस्थान में बदलने के लिए भवन उपनियमों का उल्लंघन किया गया है. तय मानकों को नजरअंदाज कर कमरों को हाल में तब्दील कर दिया गया है। इसके चलते कई इमारतें ढांचागत रूप से कमजोर भी हो गई हैं. इन इमारतों की जांच भी जाएगी. एक अधिकारी ने बताया कि जो इमारत भवन निर्माण के नियमों का उल्लंघन करते हुए पाई जाएगी, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.कोचिंग संस्थान में सुरक्षा की मांग को लेकर सैकड़ों छात्रों ने बृहस्पतिवार रात से लेकर शुक्रवार दोपहर तक सड़क जाम कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. आक्रोशित छात्रों का कहना है कि मुखर्जी नगर स्थित कोचिंग संस्थानों में आग से बचने के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं हैं.
अबतक यूपीएससी, एसएससी आदि की तैयारी करने वाले छात्र कोचिंग संस्थान संचालकों की मनमानी के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहे थे. इन्हें क्लास में भेड़-बकरियों की तरह ठूस कर पढ़ाया जाता है.बृहस्पतिवार की घटना के बाद छात्र आक्रोशित हैं. उन्होंने रातभर प्रदर्शन किया व कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.इसके बाद शुक्रवार दोपहर को पुलिस अधिकारी के आश्वासन के बाद उन्होंने धरना समाप्त किया.कई छात्रों ने बताया कि एक कक्षा में 500 से 700 छात्रों को पढ़ाया जाता है.इतने बच्चों के बीच सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है.जांच में प्रकाश में आया कि जब इमारत का निरीक्षण किया गया तो अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त उपाय नहीं थे. इमारत की छत पर टैंक में पानी नहीं था.इसके अलावा बिल्डिंग में लगे अग्निशमन यंत्र पुराने लगे हुए थे, जो काम करने की स्थिति में नहीं थे.भवन में धुएं के संकेतक भी नहीं लगे थे.
लक्ष्मी नगर से लेकर मुखर्जी नगर, कालू सराय, कटवारिया सराय और राजेंद्र नगर जैसे इलाके कोचिंग सेंटरों के हब बन चुके हैं. ज्यादा पूछताछ इस काम में होती नहीं है और नियमों में भी तिकड़म चल जाता है. इसलिए मकान मालिक भी संपत्ति को किराये पर देकर मुनाफा कमा रहे हैं.दिल्ली नगर निगम के अनुसार मुखर्जी नगर वार्ड क्षेत्र में 631 व्यावसायिक संपत्तियां हैं. इसमें से 524 ने कन्वर्जन चार्ज जमा करा रखा है लेकिन शेष 107 ने अभी तक कन्वर्जन चार्ज नहीं जमा कराया है। हालांकि निगम ने इसके लिए नोटिस जारी कर रखे हैं.
25 मई 2019 को गुजरात के सूरत के एक कोचिंग में आग लगने से 22 छात्र की मौत के बाद गुजरात सरकार ने अग्नि सुरक्षा निरीक्षण किए जाने तक गुजराज सरकार ने राज्य के सभी निजी कोचिंग केंद्रों को बंद करने का आदेश दिया. सरकार ने स्कूलों, कॉलेजों, कोचिंग सेंटरों, अस्पतालों, शॉपिंग मॉल और अन्य व्यावसायिक भवनों के अग्नि सुरक्षा निरीक्षण का भी आदेश दिया. दिल्ली अग्निशमन सेवा ने दिल्ली के सभी कोचिंग सेंटरों का अग्नि सुरक्षा निरीक्षण करने का निर्णय लिया था. उस समय भी आदेश हुए थे.जांच हुई. नियमों के विपरीत चलने वालों को नोटिस देकर कार्रवाई पूरी कर दी गई. लोगों से संबधित अधिकारियों का प्रसन्न कर दिया. काम पहले ही तरह ही चलता रहा.इसमें भी ऐसा ही होता लगता है।दरअस्ल इस तरह की बड़ी घटनाएं संबधित अधिकारियों की आय का माध्यम बनते हैं.देखने में आया है कि अग्निशमन विभाग के अधिकारी निरीक्षण कर कमी बता देते हैं। नोटिस भेज देतें हैं.प्राय इन्होंने ही अग्निशमन सुरक्षा के उपकरण लगाने वालों से मेल−जोल कर रखा है। ये उपकरण लगाने वाले विभागीय अधिकारियों के चहेते होते हैं तो काम मानक के अनुरूप नही करते। पूरा पैसा लेकर भी काम पूरा नही करते।सब पहले की तरह ही चलता रहता है. ऐसे में हादसे होने पर जब तक व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई नही होती , तब तक कुछ सुधरने वाला नही है.कोर्ट को जांच कराने के साथ ये भी अपनी देखरेख में यह जांच करानी चाहिए कि इसमें किस− किस विभाग के अधिकारी की गलती रही है. किसने जिम्मेदारी नही निभाई.जिम्मदारी तै होने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई भी होनी चाहिए,भले ही वह रिटायर हो गए हों. यह भी तै होना चाहिए कि 2019 की सूरत की घटना के बाद हुई जांच में क्या हुआ था।इसके बिना कुछ होने वाला नही है. न्यायालय संज्ञान लेते रहेंगे। न्यायालय का नाम लेकर जांच अधिकारी और मोटा धन कमाते रहेंगे.