अब सोने के बाद चांदी की चमक चकाचौंध होगी

Now after gold the shine of silver will dazzle

प्रमोद शर्मा

सोने ने अपनी चमक दिखाई और सारी दुनिया को चकाचौंध किया। अब बारी है चांदी की। यह धवल धातु सदियों से भारत में डिमांड में रहा है और महिलाएं खासकर ग्रामीण और वनवासी इसके गहने चाव से पहनती हैं। किसी समय यह एक ऐसेट था जो बड़े किसान, कारोबारी वगैरह घर पर ऱखते थे और यह तत्काल नकदी की जरूरत पूरी करता था। वक्त के साथ चांदी की कद्र कम हो गई और सोना ही मुख्य धातु बन गया। पिछले कुछ वर्षों से इसके दाम बढ़ते ही गए और इसके सारे रिकॉर्ड टूट गये। सोना आम आदमी की सहज पहुंच से बाहर हो गया और चांदी ही उसका सहारा बनी रही। लेकिन उसके भी दामों में उछाल आया और अब वह एक लाख रुपए प्रति किलो के लक्ष्य की ओर जा रहा है। दिल्ली के सर्राफा बाज़ारों में वह 90 हजार रुपये प्रति किलो (टैक्स सहित) तक जा पहुंचा है। इससे रिटेल बिजनेस चौपट हो गया है। अकेले मई महीने में ही उसकी कीमतों में प्रति किलो 6600 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। सर्राफा कारोबारी मान रहे हैं कि इस साल के अंत तक यह एक लाख रुपये प्रति किलो तक भी जा सकती है। भारत में चांदी पर 12 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और 5 फीसदी जीएसटी है जिससे चांदी बहुत महंगी हो जाती है। दिलचस्प बात यह है कि चांदी के कारोबारी यह बता रहे हैं कि इस समय ग्राहकी एकदम नीचे है यानी चांदी खरीदने खुदरा ग्राहक नहीं आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है कि इसकी कीमतें पहले की तुलना में ज्यादा है, शादी-ब्याह का सीजन नहीं है और ग्राहकों की रुचि भी नहीं है। इसकी कीमतें पिछले तीन वर्षों से लगातार बढ़ती जा रही हैं और बढ़ी हुई कीमतों के कारण ग्राहक दूर चले गये। सदर बाजार सर्राफा एसोसिएशन के चेयरमैन कैलाश चंद खंडेलवाल बताते हैं कि पहसे गरीब से गरीब आदमी भी दीवाली पूजन वगैरह के लिए चांदी ले जाता था और थोड़ी ज्यादा इनकम वाले दस-दस सिक्के ले जाते थे लेकिन पिछले तीन वर्षों से यह क्रम टूट गया। 70-75 हजार रुपये जब था तो इसकी बिक्री बहुत थी लेकिन अब यह थम गया है। चांदी के दाम बेतहाशा बढ़ने के कारणों के बारे में एक और एक्सपर्ट दिल्ली के कूचा महाजनी सर्राफा एसोसिएशन के महासचिव सुशील जैन बताते हैं कि पहले चांदी के गहने में लोग पैसा लगाते थे। हजारों सालों से लोग भारत ही नहीं कई अन्य देशों में भी चांदी के गहने बनाते रहे हैं लेकिन बाद में सोने का चलन बढ़ गया तो इसका वह स्थान नहीं रहा। हाल के वर्षो में चादी का इंडस्ट्रियल इस्तेमाल बहुत बढ़ा है। स्मार्टफोन, टैबलेट्स, फोटोवैल्टेक सेल, इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों से लेकर मोबाइल फोन, गुटका, तंबाकू सभी में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल तो हो ही रहा है क्योंकि चांदी बिजली का सबसे अच्छा संवाहक (गुड कंडक्टर) है। इलेक्ट्रॉनिक चिप में टांके लगाने में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। कुछ मेडिकल उपकरणों में भी इसका इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों में चांदी की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है 2024 के पहले चार महीनों में ही भारत ने 2023 के बराबर यानी 4,172 मीट्रिक टन चांदी का आयात कर लिया। इस कारण से इसकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं। कैलाश चंद खंडेलवाल कहते हैं कि इसकी कीमतों पर कोई अंकुश नहीं है क्योंकि चांदी भी सोने की तरह बाहर से आती है। भारत में अब इसका खनन नहीं होता है। इसलिए इसकी कीमतों पर भारतीयों की कोई पकड़ नहीं है। विदेशों में बैठे बड़े अरबपति सटोरिये इसकी कीमतों को ऊपर-नीचे करते रहते हैं। लेकिन अभी भाव ऊपर ही जा रहे हैं। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड हरीश वी कहते हैं कि बड़े खिलाड़ियों द्वारा इसकी आक्रामक खरीदारी जारी रहेगी जिससे कीमतें बढ़ती जा सकती हैं।

उनका कहना है कि इस समय सोने के नेतृत्व में सभी इंडस्ट्रियल मेटल रैली कर रहे हैं। वह सलाह भी देते हैं कि निवेश की दृष्टि से थोड़ी-थोड़ी चांदी खरीदना उचित रहेगा। लेकिन चांदी के साथ एक और बात है कि इसकी कीमतें तेजी से चढ़ती-उतरती हैं।

ऐसे में ज्यादा खरीदारी से बचना चाहिए। बड़े निवेशक ही इस खेल में शामिल हो सकते हैं। इस समय राजधानी दिल्ली ही नहीं देश के अन्य भागों में भी चांदी की बिक्री में ग्रहण लग गया है। सुशील जैन कहते हैं कि दिल्ली के सबसे बड़े सर्राफा बाज़ार कूचा महाजनी में चांदी की दुकानों पर सन्नाटा है। ग्राहक नहीं हैं, यह हालत पिछले कुछ महीनों से है। ग्रामीण मांग भी फिलहाल ठहर गई है क्योंकि चांदी की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। बिक्री में अभी तुरंत सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती क्योंकि डर है कि चांदी एक लाख रुपये प्रति किलो तक जा सकती है। 9 जुलाई को दिल्ली में चांदी की कीमत 94,500 रुपये प्रति किलो थी।

इसके पहले यानी 8 जुलाई को यह 95,000 रुपये पर पहुंच गई थी। 18 जुलाई को इसके भाव 96,000 रुपये प्रति किलो से ऊपर चले गये। नतीजतन कोई भी खरीदकर इसे रखना नहीं चाहता है। एक और बात है कि बाज़ार में हर चीज तेज है और महंगाई दिख रही है तो चांदी कैसे पीछे रह सकती है। ग्राहक सोने की तरह भविष्य के लिए चांदी खरीदना नहीं चाहते क्योंकि एमसीएक्स में इसके दाम फ्लक्चुएट (ऊपर-नीचे) कर रहे हैं। इसकी कीमतें अस्थिर हैं और कल क्या होगा, कोई नहीं बता सकता। चांदी सभी तरह के मेटल में कीमतों की दृष्टि से अस्थिर है। फिर भी एक्सपर्ट मानते हैं कि यह अभी तुरंत गिरेगा नहीं।

फिलहाल कीमतें ऊपर हैं। ऐसे में ज्यादा खरीदारी नुकसानदेह भी हो सकती है। अतीत में एक बार ऐसा हो चुका है कि सोने-चांदी के दाम एक ही दिन में धड़ाम हो गये जिससे कारोबारियों को भारी घाटा उठाना पड़ा और कइयों का तो दीवाला निकल गया था। चांदी की कीमतें बढ़ने का एक बड़ा कारण है चीन। दुनिया के सबसे ब़ड़े इस औद्योगिक देश में चांदी का इस्तेमाल जमकर हो रहा है, चाहे वो इलेक्ट्रॉनिक आयटम हों अथवा ईवी की बैटरी या फिर सोलर लाइट्स, सभी में चांदी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसलिए चीन पिछले पांच वर्षों से हर महीने औसतन 390 टन चांदी खरीद रहा है। इससे भी विश्व बाज़ार पर काफी असर पड़ा है। चीन में वो लोग जो अब सोना महंगा होने के कारण उसे नहीं खरीद पा रहे हैं, चांदी खरीद रहे हैं। चीन सोना खरीदने के मामले में भी दुनिया में नंबर एक देश है। वहां बिजनेसमैन चांदी पर बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।