लीलाधर
कोटा जिले के कनवास उपखण्ड के मादंल्याहेड़ी गांव की द्वारक्या बाई को अब भरण-पोषण के लिए प्रति माह 3 हजार रूपये मिलेगा।
वाक्या यह है कि द्वारक्या बाई के दो बेटे है। बड़ा बेटा गांव में खेतीबाड़ी का काम करता है तथा दूसरा बेटा जालोर में सरकारी सेवा में कार्यरत है। लेकिन द्वारक्या बाई को गुजारे के लिए खर्च पानी के पैसे छोटे बेटे द्वारा नहीं दिया जाता है। जबकि बड़े बेटे की इतनी आमदनी नहीं है।
इस संबंध में द्वारक्या बाई ने कनवास उपखण्ड अधिकारी श्री राजेश डागा को प्रार्थना पत्र पेश कर निवेदन किया। श्री डागा द्वारा दोनों बेटो की समझाईश किए जाने पर द्वारक्या बाई को भरण-पोषण का अधिकार दिलाया।
उपखण्ड अधिकारी ने बताया कि द्वारक्या बाई द्वारा प्रार्थना पतर्् पेश कर निवेदन किया कि उसके दो बेटे है बड़ा बेटा गांव में ही खेती-बाड़ी का काम संभालता है जबकि छोटा बेटा जालोर में सरकारी सेवा में कार्यरत है। द्वारक्या बाई अपने बड़े बेटे के साथ ही रहती है एवं बड़े बेटे के द्वारा ही उसकी देखरेख की जाती है। जबकि छोटे बेटे के द्वारा न तो उसकी देखरेख की जाती है और ना हीं उसके गुजारे के लिए खर्चे पानी के पैसे भिजवाए जाते है। उन्होंने संज्ञान लेते हुए प्रार्थना पत्र को दर्ज रजिस्टर किया एवं द्वारक्या बाई के छोटे बेटे राजेन्द्र को जर्ये सम्मन तलब किया, दोनों मां-बेटे न्यायालय में उपस्थित हुए।
उन्होंने बताया कि उसके बेटे द्वारा कहा गया कि नौकरी अधिक दूर होने के कारण उसका यहां आना-जाना नहीं होता जिस कारण केवल वह फोन पर ही मां के हाल-चाल पूछ लेता है एवं साथ ही उनके हिस्से की सारी जमीन उसके बड़े भाई द्वारा ही की जाती है जिस कारण खर्चे-पानी की सभी जिम्मेदारी बड़े भाई की ही है एवं मेरे द्वारा मकान निर्माण के लिए लोन ले रखा है, इसलिए मैं ज्यादा खर्चा वहन नहीं कर सकता हूं। उन्होंने लोक अदालत की भावना से समझाईश की और निर्णय लिया कि राजेन्द्र अपनी मां को हर महीने 3 हजार रूपये यानी कुल 36 हजार रूपये एक साल में उसकी स्वयं की जरूरत को पूरा करने के लिए देगा, राजेन्द्र 3000 रूपये जुलाई माह से देना प्रारंभ करेंगा।