पिछलें 23 वर्षों में सभी 200 विधायकों के एक साथ नहीं बैठ पाने की रहस्यमय कहानी !
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान विधानसभा में हाल ही उपचुनाव जीतकर आए सात नव निर्वाचित विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मंगलवार को विधानसभा के अपने चैंबर में शपथ दिलाई। शपथ लेने वाले विधायकों में भाजपा के पाँच विधायक खींवसर से रेवंतराम डांगा, झुंझुनूं से राजेंद्र भांबू, उनियारा देवली से राजेन्द्र गुर्जर, रामगढ़ से सुखवंत सिंह और सलूंबर की नव निर्वाचित्व विधायक शांता देवी मीणा शामिल थे। इनके साथ ही दौसा से विजयी हुए कांग्रेस विधायक दीनदयाल बैरवा और चौरासी से बाप (बीएपी) के अनिल कटारा ने भी शपथ ग्रहण की। यें सभी विधायक विधानसभा के आगामी सत्र में भी आकर्षण का केन्द्र बनेंगे।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान खींवसर से विजयी भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा का अनोखा अंदाज भी देखने को मिला। डांगा अपने समर्थकों एवं साथियों के साथ ट्रैक्टर पर सवार होकर शपथ लेने विधानसभा भवन तक पहुंचे । डांगा ने नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट से रालोपा के सुप्रीमों सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को हराया है।
प्रदेश की सात सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पांच एवं कांग्रेस और भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) ने एक-एक सीट जीती हैं।दौसा से कांग्रेस विधायक दीनदयाल बैरवा भजन लाल सरकार के दिग्गज मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को हरा कर विधानसभा पहुचें है। हालाँकि उप चुनाव के बाद कांग्रेस को तीन सीटों पर बड़ा झटका लगा है। पार्टी ने देवली-उनियारा, झुंझुनूं और रामगढ़ सीटें गंवा दीं और केवल दौसा सीट ही बरकरार रख सकी है। कांग्रेस के पास उप चुनाव से पहले विधानसभा की सात उप चुनाव वाली सीटों में से चार सीटें थीं, जिनमें से तीन सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा है। दूसरी ओर,भाजपा (बीजेपी) को बड़ी जीत मिली है । पार्टी के पास पहले केवल एक सलूंबर सीट ही थी, लेकिन अब उसने पांच सीटों पर चुनाव जीत अपना दबदबा जमाया हैं। खींवसर सीट पर हार के बाद सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) का अब राजस्थान विधानसभा में कोई विधायक ही नहीं बचा हैं।
उप चुनाव में विजयी सभी सात विधायकों के शपथ ग्रहण करने के साथ ही अब राजस्थान विधानसभा में कुल दौ सौ विधायकों में से पूरे 200 विधायकों की सीटें भर गई है तथा अब विधानसभा की कोई सीट खाली नहीं हैं। राजस्थान विधानसभा के जनपथ पर स्थित भव्य और सुन्दर विधानसभा भवन के बारे में यह शुरु से ही यह मिथक हमेशा चर्चा में रहता आया है कि इस भवन के 2001 में बनने के बाद पिछलें 23 वर्षों में विधानसभा भवन में कभी सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पायें है। हर बार कुछ विधायकों के निधन अथवा कतिपय अन्य कारणों से यह संख्या पूरी नहीं हो पाती है जबकि वर्ष 2001 से पहले जयपुर के ऐतिहासिक हवामहल के पास जलेब चौक में स्थित पुराने विधानसभा भवन में ऐसी कोई बात देखने को नहीं मिली थी। नए भवन में यह एक संयोग ही है कि यहां जलेब चौक से विधानसभा के स्थानांतरित होने के बाद से अब तक एक भी बार विधानसभा में सभी 200 विधायक पांच वर्षों तक एक साथ कभी बैठ नहीं पाए हैं । इस बात की चर्चा राजस्थान की राजनीति में ही नहीं वरन् देश भर में हमेशा बनी रही है। बताया जाता है कि प्रायः प्रदेश के विधायकों के मन में विधानसभा के नए भवन के वास्तु दोष और अन्य प्रकार की आशंकाओं को लेकर हमेशा अनचाहा डर सताया करता है। विधानसभा के पूर्व सरकारी सचेतक कालूलाल गुर्जर ने इस विधानसभा भवन के कथित वास्तु दोष को दूर करने के लिए भवन में हवन कराने की मांग भी की थी।
तत्कालीन विधायक हबीबुर्रहमान का कहना था कि विधानसभा भवन पर किसी अनजानी चीज का साया है,जिसके कारण यहां कभी भी एक साथ 200 विधायकों की सीटें पूरी नहीं भर पातीं हैं। इस प्रकार की मांगें समय-समय पर अन्य नेताओं द्वारा भी की जाती रही हैं, लेकिन अभी तक किसी भी पार्टी की सरकार ने विधानसभा भवन में इसे लेकर कभी कोई पूजा-पाठ, हवन या दोष निवारण नहीं कराया है। कुछ लोगों का मानना है कि प्रदेश के मौजूदा विधानसभा भवन के निकट ही एक श्मशान स्थल स्थित है,जोकि भवन में 200 विधायकों के कभी एक साथ नहीं बैठ पाने के इस अनोखे संयोग को और भी अधिक रहस्यमय बनाता है। हालाँकि यह एक अंधविश्वास जैसा ही है,लेकिन विधानसभा भवन में एक साथ सभी विधायकों के कभी भी एक साथ नहीं बैठ पाने का सवाल अभी भी अनुत्तरित ही माना जाता है। कतिपय लोगों का कहना है कि क्या यह महज एक संयोग ही है या इसमें कोई दैवीय शक्ति का हाथ या अन्य कोई गहरा रहस्य छिपा हुआ है?
राजस्थान विधानसभा के इस नए भवन का निर्माण वर्ष 1994 में शुरू हुआ था और यह भवन मार्च 2001 में बनकर तैयार हुआ था। इस भवन में कुल 260 विधानसभा सदस्यों विधायकों के बैठने की क्षमता है और इसकी पांचवीं मंजिल पर प्रस्तावित राजस्थान विधान परिषद के लिए भी एक और अतिरिक्त हॉल है। उसमें भी इतने ही 260 सदस्यों के बैठने की क्षमता है।
संयोग से हाल ही संपन्न हुए विधानसभा उप चुनाव से पहलें सलूम्बर के विधायक अमृत लाल मीणा और अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट के विधायक जुबेर खान का असामयिक निधन होने से विधानसभा की ये सीटें रिक्त हो गई। 15वीं विधानसभा में पांच सालों में छह विधायकों का निधन हुआ। इससे पहले 14वीं विधानसभा के दौरान और कोरोना महामारी के दौरान भी तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के केबिनेट मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल, भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी, कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी तथा गजेंद्र सिंह शक्तावत और गौतमलाल मीणा का निधन हुआ था। इस कारण तब भी विधानसभा भवन में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए थे। इस बार विधानसभा उप चुनाव से बाद विधानसभा के सदस्यों का कोरम पूर्ण रूप से पूरा हुआ है।
अब सभी तरफ़ से यह प्रार्थना की जा रही है कि आगे से कभी राजस्थान की विधानसभा को किसी की नजर नहीं लगे और विधानसभा में 200 विधायकों की संख्या हमेशा अक्षुण बनी रहें।