अब ॐ शांति शांति शांति नहीं, ॐ क्रांति क्रांति क्रांति चाहिए : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

जब से बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी को श्री राम मंदिर अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्मिलित होने का न्योता मिला है या यू कहें कि जब से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरु हुआ है, तब से ही उनके तन मन में एक अलग ऊर्जा व्याप्त है। उनसे मिल कर ऐसा लगा कि उनको इस शुभ घड़ी की जन्मोंजन्मों से प्रतीक्षा थी। हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना करने वाले इस युवा संत के पास सभी धर्मों के प्रति आदर है जब तक वो अपने धर्म के दायरे में रहते हैं और अधर्म पर चलने वालों के लिए एक चेतावनी भी है कि सुधर जाओ वरना हम सुधारना भी जानते हैं। देश के युवाओं से उनका आग्रह है कि मर्यादा में रहकर अपने हक के लिए आंदोलित रहना कोई अपराध नहीं। उनका कहना है कि अब ॐ शांति शांतिशांति नहीं ॐ क्रांति क्रांतिक्रांति चाहिए। ये बहुचर्चित युवा संत लगातार अपने किसी न किसी बयान के कारण चर्चा में बना रहता है। अतुल दयाल के धारदार सवालों के बेबाक जवाब सुनिए पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी से इस साक्षात्कार में।

गुरुजी, बहुत बहुत स्वागत है आपका
– आपका और आपके सभी पाठकों का बहुत बहुत साधुवाद

सबसे पहले मैं आपसे ये जानना चाहता हूं कि कुछ समय पहले आपने कहा था कि हिन्दू राष्ट्र लाएंगे तो क्या आपको लगता है कि आप सफल हो गए?
– उसका श्रीगणेश हो चुका है। सफल नहीं हुए लेकिन शुरुआत तो हो चुकी है। राम मंदिर में 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा के बाद हिन्दू राष्ट्र का संकल्प प्रारंभ हो चुका है। द्वार खुल चुका है। ये ट्रेलर है…पिक्चर अभी बांकी है।

अच्छा अगर मैं ऐसा कहूं कि आप हिन्दू राष्ट्र चाहते हैं और देश इस वक्त राम राज्य की तरफ बढ़ रहा है। तो क्या दोनों एक ही बात है?
– हिन्दू राष्ट्र और राम राज्य…जैसे चीनी और शूगर…शक्कर और शूगर..वैसे ही दोनों पर्यायवाची हैं।

कितना अधिक मानते हैं? राम राज्य की परिकल्पना में आप क्या मानते हैं?
– बिल्कुल भी नहीं…किंचित भी नहीं क्योंकि राम राज्य की जो परिकल्पना है वही हिन्दू राष्ट्र है।

नहीं…मेरे कहने का ये मतलब है कि राम राज्य़ में तो कहते हैं कि सब कुछ समान है वहां पर समदर्शी भाव है।
– हिन्दू राष्ट्र में भी एकता है सब कुछ समान है…समदर्शी है। पर नीति और अनीति का ख्याल, धर्म और अधर्म का ध्यान। अधर्मी अधर्मी है धार्मिक धार्मिक है।

राम राज में क्योंकि धर्म में भी वोबाइफॉर्केट नहीं कहते हैं मतलब धर्म को भी अलग नहीं कहते हैं। राम राज्य राम राज्य है। वहां सबको समान देखा जाता है, छोटा बड़ा सबको देखा जाता है।
– हमारे हिन्दू राष्ट्र में भी कोई अलग नहीं है। दोनों समान हैं। धर्म सिर्फ सनातन हैं बांकी सब मजहब और पंथ हैं। उन पंथ मजहबों का भी स्वागत है और सम्मान है और उनके जो ईश्वर हैं जो भगवान हैं उनका भी सम्मान है।

लेकिन संविधान के हिसाब से तो भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है?
– भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। इसमें कोई संदेह नहीं है। ये सब बात है लेकिन सनातन धर्म ही एक धर्म है। बांकि सब एक मजहब है। भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है या नहीं संविधान के उपर तो हम कुछ नहीं कहना चाहेंगे। भारत अगर धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है तो हम इसका स्वागत करते हैं लेकिन राम इस राष्ट्र की आत्मा हैं और सनातन इस राष्ट्र की सांस हैं। उसको आप अलग नहीं कर सकते।

अच्छा महाराज जी अभी जो देश के अंदर चल रहा है, 500 साल के बाद मंदिर का निर्माण हो रहा है। राम ललागर्भ गृह मेंविराजने जा रहे हैं। इस परिकल्पना को आप कैसे देखते हैं। आपके नजरिए से राम क्या है और ये जो पूरी परिकल्पना बन रही है ये क्या है?
– 500 बरस की अबतक की सबसे बड़ी जीत सनातनी हिन्दूओं की है। यह राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा। अब तक की सबसे बड़ी विजय, भक्तों की भी, आस्था की भी, संस्कृति की भी है और राम भक्तों के आदर्शों की भी है। इस पूरे परिपेक्ष्य को हम सिर्फ यही कहते हैं कि सत्य परेशान हो सकता है, परास्त नहीं होता। विधर्मी ताकतें देश में रहने वाले जो भारत को बंटवारे की तरफ ले जा रहे हैं, जो भारत को तोड़ने की नित्य़ तैयारी करते हैं। उनको हम ये जवाब देना चाहते हैं कि आप कितना भी प्रयास कर लें, सत्य निकल कर बाहर जरुर आएगा और सत्य जब आएगा, ऐसे ही 22 जनवरी का उत्सव लेकर के आएगा। इसलिए फायदा इसी में है अभी भी मौका है सुधर जाओ वरना सिधर जाओगे।

लेकिन कुछ लोग विरोध कर रहे हैं, विरोध वो कर रहे हैं जो कह रहे हैं कि राम मंदिर में जो पूजा करेंगे। जो मुख्य पुजारी जो मुख्य महंत होंगे, उनका विरोध कर रहे हैं। देश में जो शंकराचार्य है चारों पिठाधीश्वर हैं, उनमें से कुछ शंकराचार्य कह रहे हैं कि ये गलत हो रहा है। हम ताली बजाने नहीं जाएंगे।
– हम शंकराचार्य के उपर तो कुछ नहीं कहना चाहते लेकिन जो कह रहे हैं कि मंदिर के पुजारी को केवल लाभ है, ये मुर्खतापूर्ण बात है। इस पर कभी भी वो हमसे डिटेल में बात करें, अगर हम आपको प्रति उत्तर में इसका जवाब दें तो एक राम मंदिर अयोध्या में बन जाने से केवल ब्राह्मण को लाभ नहीं मिलेगा बल्कि माली को लाभ होगा। ऑटो चालक को लाभ होगा। वाहन चालक को लाभ होगा। होटल्स को लाभ होगा। पर्यटन को लाभ होगा। दीप बेचने वालों को लाभ होगा। किराना दुकान वालों को लाभ होगा। दूध बेंचनेवालों को लाभ होगा। चाय की दुकानों को लाभ होगा। वहां पर सेवा करने वालों को लाभ होगा और राम मंदिर में केवल ब्राह्मण नहीं रखे जाते सिक्योरिटी गार्ड भी तो होंगे। उनको भी जीविका मिलेगी। राम मंदिर में केवल ब्राह्मण ही नहीं रखे जाते माली भी रखे जाते हैं उनको भी लाभ होगा और वर्तमान समय में राम मंदिर में दो अन्य जातियों के पुजारी सम्मिलित किए जा रहे हैं। उनको भी तो लाभ होना है। राम मंदिर अंगड़े या पिछड़े का विषय नहीं है, ये इस देश को तोड़ने का एक महत्वपूर्ण एजेंडा है कि ब्राह्मणों पुजारियों कि बुराई कर दो, संतों की बुराई कर दो, देश टूट जाएगा। अपितु राम मंदिर से पूरे विश्व को लाभ होना है। भारत को तो लाभ होना ही है, अयोध्या और उत्तर प्रदेश को तो लाभ होना ही है, इसे कोई रोक नहीं सकता। दूसरी बात, वर्तमान में अगड़े और पिछड़े की लड़ाई लगभग खत्म हो चुकी है। इस देश के प्रधानमंत्री ओबीसी हैं, राष्ट्रपति आदिवासी हैं। करीब सात से ज्यादा मुख्यमंत्री ओबीसी हैं। जब प्रमुख पदों पर बैठे लोग, पिछड़े लोग जिन्हें कहा जाता था, वो आज अगली पंक्ति में बैठे हैं, इससे निश्चय हो रहा है कि भारत में अब अगड़े-पिछड़े की लड़ाई नहीं बची ये सिर्फ एक प्रोपोगेंडा है देश को दिशा से भटकाने का।

महाराज जी, आप शंकराचार्य पर क्यों नहीं बोलते?
– भारत के वो हमारे सनातन के प्रहरी गण हैं और हमको इतनी योग्यता नहीं मिली कि हम उनके लिए कुछ बोलें। अगर अधर्म की बात करें तो फिर बोलेंगे, इसमें कोई संदेह की बात नहीं।

तो फिर जब उन्होंने बोला कि प्रधानमंत्री पूजा करने जाएंगे तो क्या हम ताली बजाएंगे
– देखिए वो व्यक्ति विशेष के विरोध में बोल रहे हैं, राम के विरोध में नहीं औऱ हमारा ध्यैय और हमारा बोलना सिर्फ राम विरोधियों के लिए है।

आप इस वक्त देश के प्रधानमंत्री के साथ हैं या फिर शंकराचार्य के साथ हैं?
– हम तो राम के साथ हैं, जो राम के साथ हैं वोसबके साथ हैं।

राम के साथ इस वक्त प्रधानमंत्री हैं?
– कह नहीं सकते हैं, ये उनसे पुछ सकते हैं। हम राम के साथ हैं, वो हैं या नहीं हैं ..

राम के साथ शंकराचार्य हैं?
– हम शंकराचार्य जी को भी कह नहीं सकते कि वो हैं या नहीं हैं, ये प्रश्न उनका है। दोनों ही राम से अलग नहीं हैं, क्योंकि दोनों ने ही राम की बुराई नहीं की है।

महाराज जी, इस वक्त हिन्दूस्तान के ज्यादा से ज्यादा लोग आपको सुनते हैं। आपके बारे में सोचते हैं, आपके भक्त हैं, आपको मानते हैं, आपके अनुयायी हैं वो।
– बालाजी के भक्त हैं वो, हम सिर्फ सत्य की बात बोलते हैं। इसलिए कभी भी किसी के उपरकमेंट्स करने से पहले दस बार सोचते हैं और कोई भी ऐसी बात नहीं बोलते हैं, जिससे उनके हृदय के ठेस पहुंचे और बागेश्वर धाम के मानने वालों की नाक नीचे हो या उन्हें नीचा करके देखना पड़े। लोग हमारे पुजारी नहीं हैं, ना हमको मानते हैं, हम जो सत्य बोलते हैं, उस सत्य के उपासक हैं। क्योंकि हम इस देश में एकता चाहते हैं अखंडता चाहते हैं, संप्रभुता चाहते हैं, सामंजस्य चाहते हैं, संस्कृति और संस्कृत का प्रचार चाहते हैं और भारत को विश्व गुरु बनाना चाहते हैं और वर्तमान समय में युवाओं को इससे बेहतरीन मौका नहीं है। हम ना प्रधानमंत्री के खिलाफ हैं और ना शंकराचार्य के खिलाफ हैं। ना प्रधानमंत्री के पक्ष में हैं और ना शंकराचार्य के पक्ष में हैं हम। हम राम के पक्षधर है रावण के खिलाफ हैं और रहेंगे। इस सिद्धांत से हम कभी नहीं, उसके लिए किसी का भी सामना करना पड़े, किसी के खिलाफ भी बोलना पड़े, राम का कोई विरोध करेंगे, तो भारत में रहने वाला हिन्दू, भारत में रहने वाला सनातनी, जितना भी हमने इस भारत को अब कर हमने समझा है, वो छोड़ेगा नहीं।

आपको तो अवश्य निमंत्रण मिला होगा?
– हां मिला है, हमने स्वीकार किया है और 22 जनवरी को हम जाएंगे।

तो आपके शंकराचार्य तो नहीं जाएंगे, वो कह रहे हैं कि हम ताली बजाने नहीं जाएंगे। आप तो कहते हैं कि शंकराचार्य आपके गुरु हैं।
– हम शंकराचार्य जी के खिलाफ नहीं बोल सकते, वो प्रधानमंत्री के लिए बोल रहे हैं। वो क्यों नहीं जाएंगे वो उनका विषय है। हम तो जाएंगे। ये हमारा विषय है।

तमाम राजनीतिक दल के जो लोग हैं…कांग्रेस को देख लीजिए, समाजवादी पार्टी को देख लीजिए, सबके अंदर एक विरोधाभास है…सब कह रहे हैं कि हम नहीं जाएंगे…किसी के बुलावे पर नहीं जाएंगे…लेकिन राम तो सबके हैं…वो किसी पार्टी के तो नहीं हैं…
– हां..राम तो सबके हैं। 22 को बुलावा है, 22 को ना जाएं…23 को जा सकते हैं, 24 को जा सकते हैं। बुलावा 22 का है। 25 को जा सकते हैं, 26 को जा सकते हैं। जनवरी बाद फरवरी में भी जा सकते हैं। अरे भाई मार्च में भी जा सकते हैं। राम अगर सबके हैं तो तुम जाओ। 22 को मत जाओ, 19 को हो आओ, 20 को आओ…खैर अब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई होगी। 22 को रामजी बैठ जाएंगे।

अच्छा, क्या आपको लगता है कि राम या राम मंदिर दोनों अब राजनीति के विषय हैं?
– वर्तमान में ऐसा को दिखाई पड़ रहा है लेकिन हमें तो राजनीति से तो मतलब नहीं, हमें राम से मतलब है। हमें तो राम दिखाई पड़ रहे हैं पूरे देश में।

आपका क्या मानना है कि धर्म और राजनीति दोनों अलग है?
– एक दूसरे के पहलू हैं। एक दूसरे के पूरक हैं। पूर्व में हम बहुत बार कह चुके हैं कि धर्म से राजनीति है और राजनीति से धर्म है।

आप क्या चाहते हैं?
– राम राज्य…खास तौर से हिन्दू राष्ट्र…राम राज्य के भावपूर्ण हिन्दू राष्ट्र।

दोनों के अलग मायने हैं…
– पर्यायवाची हैं।

बेहतर क्या होगा? अगर कहा जाय कि दोनों में से एक को चुनना है तो…एक को बोलना है…एक चीज चुनना है आपको।
– शूगर और शक्कर दो नाम हैं। किसी को शूगर समझ में आ रही है को किसी को शक्कर समझ में आ रही है। शक्कर तो शक्कर है।

गुरुदेव लोग तो ये जानना चाहते हैं कि महाराज बागेश्वर धाम सरकार क्या कहते हैं? एक कौन सी चीज की परिकल्पना होनी चाहिए इस वक्त?
– हम सिर्फ रामचरित मानस के आधार पर जीवनयापन चाहते हैं। सबमें एकता काहू से ना दोस्ती काहू से ना बैर। प्रेम पूर्वक रहें, राम के उपर कोई पत्थर ना फेंके। राम चरित मानस को कोई ना फाड़े। राम को कोई काल्पनिक ना कहे। राम को कोई इस तरह की राजनीति ना हो। राम के उपर ऐसी कोई डिबेट ना हो। विवाद ना हो, संवाद हो। हम ये चाहते हैं, अंगड़ी और पिछड़ी के बीच लड़ाई ना बिछे।

अच्छा वर्ण व्यवस्था को मानते हैं आप?
– जब हमारा जन्म हुआ था तो हम ब्राह्मण थे, ब्राह्मण…शुक्ल वंश, गर्ग गोत्र, लेकिन वर्तमान में हम सिर्फ कर्तव्य सुनाते हैं।

सनातन में वर्ण व्यवस्था है
– बिल्कुल है…बिल्कुल मानते हैं। पर व्यवस्था है। जातियां नहीं, जातिवाद नहीं। ये भी मानते हैं।

महाराज जी, मुझे ये बताइए कि दस मानव, 10 इंसान हैं। उसमें वर्ण व्यवस्था कैसे तय की गई?
– हमारे पूर्व ऋषि-मुनियों ने कर्म के आधार पर जाति को बांटा, जो जैसा कर्म करता है वैसा लिखा, लेकिन इसमें कोई जातिवाद नहीं था। अगर जातिवाद फैलाते तो रामचरित मानस में ये निषाद राज का वर्णन मित्रता वाला नहीं होता। मैत्री वाला था राम का। सबरी का वर्णन, ये कोई औऱ नहीं लिख रहा बल्कि गोस्वामी तुलसी दास जी लिख रहे हैं।

आप प्रधानमंत्री के साथ खुल कर नहीं बोलते हैं?
– मैं किसी के साथ खुल कर नहीं बोलता हूं। मैं सिर्फ राम के साथ खुल कर बोलता हूं। हिन्दू राष्ट्र के साथ खुल कर बोलते हैं।

प्रधानमंत्री जी कैसा काम कर रहे हैं?
– राम राज्य की स्थिति से राम मंदिर की स्थिति से बहुत अच्छा…पीओके हमारी बांकि है।

पीओके चाहते हैं आप?
– बिल्कुल..बेझिझक…वर्तमान में मौका बिल्कुल अच्छा है, इससे बेहतर नहीं हो सकता है।

कैसे?
– वर्तमान में भारत का पूरे विश्व में सम्मान हुआ। भारत ने अभी जी-20 का सम्मेलन करवाया। भारत ने पूरे विश्व को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया। भारत ने अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ते को और गहरा किया। वर्तमान समय में कोई भी भारत के खिलाफ बोल नहीं सकता। ऐसी स्थिति में पाक अधिकृत कश्मीर जो है, उसे वापस ले लेना चाहिए।

आप जिस तरह से देश के हर हिस्से में जाते हैं, लोगों से मिलते हैं, लोगों के साथ जो आप धर्म की बात करते हैं, सनातन की बात करते हैं। जम्मू-कश्मीर चाहेंगे?
– अभी हम हो कर आए हैं। वैष्णों देवी भी गए थे। वहां से हम पौनी भी गए थे। वहां हमारे प्रिय योगेश्वर बालक जी की जन्म स्थली भी है। हम तो और भी जाएंगे। हमें तो भारत में कहीं जाने में डर नहीं लगता है। कुछ लोगों को तो भारत से डर लगता है। हमें भारत से कोई डर नहीं लगता है।

इन सब से हट कर मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं कि आप धर्म गुरु हैं। आपके करोड़ों अनुयायी हैं औऱमैनेवो जत्था भी देखा है, जहां आप जाते हैं प्रवचन करने। वहां लोग किस तरह से आपसे मिलते हैं, लोगों की हर समस्या का समाधान आपके पास रहता है। थोड़ा ही सही लेकिन आप उस समस्या का निवारण करते हैं। लेकिन आज लोग कहते हैं कि युवा वर्ग जो है वो भटक रहा है।
– युवा भटक नहीं रहा है बल्कि रस्ते पर आ रहा है। युवाओं को इस सवर्णिम काल का सबसे बड़ा अवसर है, सुधरने का। व्यसन से बचने का, नशा से बचने का, अपनी संस्कृति के प्रति आदर्श स्थापित करने का और अपने माता-पिता औऱ गुरु के महत्व को जानने का। राष्ट्र को जानने का। अपने सनातन धर्म को जानने का। हमारे देश में तो ऐसे कितने लोग हैं, जो हिन्दू हैं, हिन्दू कहलाते है लेकिन उन्हें हिन्दूत्व का कोई पता नहीं। सनातनी हैं, सनातनी कहलाते हैं लेकिन उन्हें सनातन का कोई पता नहीं। वर्तमान समय का युवा बहुत बदल रहा है। आज युवाओं की भीड़ कथाओं में देखी जा रही है। इससे सिद्ध हो रहा है कि आज युवा बदल रहा है। कथा में वो जय श्रीराम के नारे, जगह जगहवो दीपावली मनाने की तैयारियां, जगह जगहवो तिलक लगा कर के उनका निकलना, वो हाथ में ध्वज लेकर कर के बाहर निकलना, वो रामनवमी की यात्राएं, वो हनुमान चालिसा के पाठ। इससे ये सिद्ध हो रहा है कि इस देश का युवा बदल रहा है।

आप कह रहे हैं कि जो झंडा उठा रहा है, सड़क पर निकल रहा है क्या वहीं युवा बेहतर है? जो किसी और धर्म को मानता है या फिर धर्म को नहीं मानता है क्या वो अच्छा इंसान नहीं?
– हमने कभी उनको बुरा नहीं कहा। वो जब किसी के उपर टिप्पणी करते हैं, वो जब अमानवीय कृत करते हैं, जब वो झंडा उठाने वालों पर पत्थर फेंकते हैं। जब वो राम पर पत्थर फेंकते हैं। जब वोहिन्दूओं को आतंकवाद कहते हैं, तब वो मानव नहीं। वो युवा जब हनुमान चालिसा पढ़ता है। जब ध्वज उठा कर चलता है। वोसबकी इज्जत करता है। माता-पिता का सम्मान करता है।

आप भी युवा हैं तो मैं आपसे ये पुछना चाहता हूं कि आज हमारे देश के युवाओं को रास्ते पर कैसे लाएं?
– प्रवचन से, मोटिवेशन से, लोगों रे उदाहरण देकर, रामचरित मानस को पढ़ा कर के,रामचरित मानस को समझा कर के, राम के आदर्श के बतला कर के, राम की मर्यादा को बता कर के।

ऐसा भी तो हो सकता है कि बहुत सारे युवा जो दूसरे धर्मों को मानते हैं, वो आपके पास नहीं आएंगे।
– राम केवल सनातन धर्म के नहीं हैं। आपलोगों की यही सबसे बड़ी भूल है कि आपने राम को केवल सनातन तक ही सीमित रखा है। राम इस विश्व के मानवों की आचारसंहिता हैं। राम ना तो सनातन के हैं, राम सबके हैं। अपने अपने राम ही नहीं, सबकेसबके राम। जो माने राम, उसके हैं। जो राम की मर्यादा को स्वीकार करें, राम उसके हैं। हमने कभी नहीं कहा कि राम सिर्फ सनातनियों के हैं। हमने को स्वागत किया ना कि आप फूल-माला लेकर खड़े हो, चलो सभी को अयोध्या चलना चाहिए। अजमेर पर हिन्दू भी जाकर चादर चढ़ाते हैं, तो हमने कभी खिलाफ नहीं बोला। जब हिन्दू जा सकते हैं तो मुसलमानों को भी जाना चाहिए। हम तो स्वागत करते हैं।

मैं एक बात और जानना चाहता हूं कि आपके तो इतने बड़े फॉलोवर्स हैं। करोड़ों करोड़ लोग हैं। आप मंच से क्यों नहीं बोलते हैं कि देश में महंगाई है। आप मंच से क्यों नहीं बोलते युवाओं के रोजगार को लेकर करके कि क्या करें?
– अबतक मैंने जितना बोला, सुना नहीं किसी ने। किसी ने इस पर काम नहीं किया। हमने कितनी बार बोला कि हमारे बुंदेलखंड में अस्पताल नहीं है लेकिन किसी ने नहीं सुना। मैं जिस बागेश्वर धाम में रहता हैं वहां एक सड़क तक नहीं है लेकिन एक अधिकारी ने अभी तक संपर्क नहीं किया। हमने कभी नेताओं से याचना नहीं की, हम याचना या प्रार्थना सिर्फ हनुमान जी से की है।

फिर तो मैं यही मान कर चलू कि अब आप याचना नहीं, रण करेंगे निकल कर के?
– रण नहीं, क्रांति करेंगे। रण युद्ध का विषय है औऱ हम विवाद के पक्षधऱ नहीं बल्कि संवाद के हैं। हम अपने युवाओं को जगा कर, मानवता को जगा कर, भारतीय़ों को जगा कर के अधिकारों के लिए प्रेरित करेंगे।

मतलब अब ऐसा माना जाए कि आप नए अवतार में आ रहे हैं?
– नहीं, बिल्कुल नहीं। सनातन औऱ हिन्दू राष्ट्र की खातिर, हम कोई भगवान या अवतार नहीं। ना कोई बाबा औऱ ना कोई अवतारी। हम सिर्फ भारतीय हिन्दू, जागे हुए हिन्दू हैं। हमारा हिन्दू राष्ट्र ही राम राज्य है और राम राज्य ही हिन्दू राष्ट्र है।

राम राज्य की परिकल्पना को आप साकार करेंगे?
– बेझिझक, युवाओं से ही नहीं, देश में रहने वाले प्रौढ़ों, बालकों से भी कहेंगे। प्रबुद्धों से भी कहेंगे, बुद्धों से भी कहेंगे। शुद्धों से भी कहेंगे। केवल युवाओं से ही क्यों…राम राज्य, हिन्दू राष्ट्र की कल्पना तो सबकी है। भाव सबकी है, जीना सबको है। हम मुसलमानों से भी कहेंगे। आओ वेलकमटूयू। हम उनको भी कहेंगे। तुम स्वागत करो हमारा, हम तुम्हारा विरोध नहीं करेंगे। लेकिन हां…छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं। ये तय है…

ये किसको कहेंगे आप?
– धर्म विरोधियों को, जो राम के उपर उंगली उठाते हैं। धर्म को राजनीति बनाने वालों को…

एक आखिरी सवाल…क्या आपको लगा रहा है कि इस वक्त देश में राजनीति के शुद्धिकरण की जरूरत आन पड़ी है?
– बिल्कुल, बेझिझक…इसमें कोई संदेह नहीं। राजनीति अब बची नहीं है।

तो क्या ये अलखबागेश्वर धाम सरकार जगाएंगे?
– जी नहीं, ये हमारा विषय नहीं है। हमारा विषय है इंसानों के अंदर के विकारों को मिटाना। विचारों को बदलना, उसमें अगर राजनेताओं के विचार भी बदल जाते हैं तो अच्छी बात है।

 मतलब हनुमान जी का गदा चलेगा?
– बेझिझक चलेगा…भारत में रहना है तो सीता राम कहना होगा।

महाराज जी, आपने अपना कीमती वक्त हमारे लिए निकला इसके लिए आपको कोटि-कोटि नमन और धन्यवाद…