गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : राजस्थान में व्याप्त गभीर जल संकट से निपटने के लिए अब पूर्वी राजस्थान की तर्ज़ पर पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना की माँग भी गूँजने लगी हैं। लोकसभा में सांसद पी पी चौधरी और राज्य विधानसभा में निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने पश्चिमी: राजस्थान के लोगों की पीड़ा को उजागर किया।
पाली सांसद और पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री पी पी चौधरी ने शुक्रवार को लोकसभा के शून्य काल में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाते हुए पश्चिमी राजस्थान में जल संकट के स्थायी समाधान के लिए केन्द्र सरकार से पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना को धरातल पर लाने का आग्रह किया। सांसद चौधरी ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल का ध्यान आकृष्ट करते हुए क्षेत्र के आमजन, सिंचाई और उद्योगों के लिए पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना की तत्काल आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा, जिस तरह हमारी सरकार ने हाल ही में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के माध्यम से पूर्वी राजस्थान में पानी की कमी को दूर करने का सराहनीय कदम उठाया हैं, उसी तरह डब्ल्यूआरसीपी परियोजना के द्वारा जोधपुर, पाली, जालोर और बाड़मेर जैसलमेर जिलों सहित रेगिस्तान से घिरे सम्पूर्ण पश्चिमी राजस्थान में पानी की कमी को दूर करने के लिए इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अब जमीन पर लाना आवश्यक हो गया है।राजस्थान नहर परियोजना के बाद मरुभूमि के इतिहास में यह एक और एक अति महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम होगा।
सांसद चौधरी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में भाजपानीत एनडीए सरकार द्वारा जल प्रबंधन के लिए अनेकों सराहनीय कार्य किए जा रहें है। भारत सरकार एवं जलशक्ति मंत्री को ज्ञात ही है कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना के माध्यम से पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों को सिंचाई और पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन पाली, जोधपुर, जालोर, बाड़मेर और सिरोही जिलों में इससे सिर्फ पेयजल प्रयोजनों के लिए केवल सीमित मात्रा में पेयजल पाइप कनेक्शन ही मिलते हैं, वह भी मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में। ग्रामीण इलाक़े अभी भी इसका भरपूर लाभ नहीं उठा पा रहें है।
सांसद चौधरी ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना, जिसका दायरा ईआरसीपी के समान ही है, ये हमारे पश्चिम राजस्थान के जिलों के रहने वाले आमजन और विशेष रूप से किसानों और उनके जीवन को सामाजिक एवं आर्थिक रुप से पूर्ण रूप से बदल सकती है। यह ऐतिहासिक कार्य दूरदराज के क्षेत्रों में पीने का पानी और बहुत जरूरी सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने के लिहाज़ से वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने परियोजना को धरातल पर लाने के लिए कुछ सुझाव दिए और कहा कि मुख्य रुप से तीन महत्वपूर्ण कार्य बिंदू अपनाने की जरूरत हैं। प्रथम, ईआरसीपी की महत्वाकांक्षा परियोजना को प्रतिबिंबित करते हुए एक व्यापक पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना के लिए व्यवहार्यता (फिजिबलिटी) अध्ययन करवाना चाहिए। द्वितीय, आवश्यक वित्तीय एवं तकनीकी सहायता सुनिश्चित करते हुए इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना योजना के अंतर्गत शामिल करने की संभावना को तलाश करना चाहिये और परियोजना के महत्व को देखते हुए, इसके कार्यान्वयन में तेजी लाने के तरीकों पर भी विचार किया जाना चाहिये।
सांसद चौधरी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से हम पश्चिमी राजस्थान के जल भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। साथ ही कृषि और आर्थिक संकट को भी रोक सकते हैं। जिस प्रकार ईआरसीपी का लक्ष्य पूर्वी राजस्थान के 21 जिलों को लाभ पहुंचाना है, उसी तरह पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना, पानी की कमी वाले पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों के लिए एक जीवन रेखा साबित हो सकती है।
बाड़मेर के चर्चित निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने भी नर्मदा नहर और इन्दिरा गाँधी परियोजनाऑ के निर्धारित समय में विस्तार नहीं होने पर चिंता व्यक्त की और पूर्वी राजस्थान की तर्ज़ पर पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना शुरू करने की मांग का समर्थन किया।
उल्लेखनीय है कि पिछलें गुरुवार को राजस्थान की यात्रा पर आये 16 वें वित्त आयोग के सामने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी प्रदेश की हर विषम परिस्थितियों का विस्तार से विवरण करते हुए देश के सबसे बड़े भौगोलिक प्रदेश राजस्थान का पक्ष मजबूती से रखा है। मुख्यमंत्री भजनालाल ने वित्त आयोग से प्रदेश में भीषण जल संकट को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय सहायता देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश करने का पूरज़ोर आग्रह भी किया है।
यहां यह बताना भी सही होगा कि रेगिस्तान प्रधान राजस्थान में देश का दस प्रतिशत भू भाग है लेकिन भूमिगत और सतही जल मात्र एक प्रतिशत हैं जिसकी वजह से प्रदेश के अधिकांश ब्लॉक डॉर्क जोन में आ गये हैं। पानी की गुणवत्ता भी बहुत ख़राब है और इस वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बहुत खराब प्रभाव पडता है। उन्हें दाँतों,पेट और हड्डियों से जुड़े रोगों के साथ अन्य कई गंभीर बीमारियों से भी जूँझना पड़ता है। पश्चिमी राजस्थान में सेवाओं की लागत अन्य प्रदेशों के मुकाबले बहुत अधिक आती हैं। बाड़मेर और जैसलमेर संसदीय क्षेत्र इतने बड़े है कि इसमें विश्व के कई देश एक साथ समा जायें। सौभाग्य से इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के माध्यम से हिमालय का मीठा पानी राजस्थान को मिल रहा है और इसमें भी कोई सन्देह नहीं कि इससे पश्चिमी राजस्थान के बहुत बड़े इलाक़े का कायाकल्प भी हुआ है। इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान में कच्चे तेल,गैस और मीठे पानी के अथाह भंडार भी मिले है जिससे पूरे इलाक़े का नक़्शा बदलने की उम्मीद हैं। मीठे पानी के अथाह भंडारों से पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना की माँग को भी नये पंख लगेंगे।
देखना है कि राजस्थान जैसे विशाल और मरुस्थलीय प्रधान प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार देश के सबसे बड़े प्रान्त की किस प्रकार मदद करने के लिए आगे आती हैं।