नर्सें रोगी के लिये करुणा एवं मुस्कान बांटती है

Nurses share compassion and smiles with patients

ललित गर्ग

दुुनिया में नर्सों की सेवा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, हर दिन, नर्सें शांत शक्ति, स्थिर हाथों और करुणा से भरे दिलों के साथ अस्पतालों, क्लीनिकों और विभिन्न सामुदायिक स्थानों पर कदम रखते हुए रोगियों के लिये देवदूत बनती हैं। नर्से भगवान का रूप होती है, वे ही इंसान के जन्म की पहली साक्षी बनती है और उनमें करुणा का बीज बोती है। एक रोगी को स्वस्थ करने में वे अपना सब कुछ दे देती हैं। रोगी की सेवा करते हुए वे अपना पारिवारिक सुख, करियर, जीवन और वर्तमान सबकुछ झांेक देती है। नोबल नर्सिंग सेवा की शुरुआत करने वाली फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिवस पर हर साल दुनिया भर में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस 1965 से इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा शुरु हुआ है, बहुत से लोग इस दिन का उपयोग अपने देश एवं दुनिया में नर्सों द्वारा किए गए अद्भुत सेवा कार्यों का सम्मान करने के लिए करते हैं। इस दिवस की 2025 की थीम है ‘हमारी नर्सेंः हमारा भविष्य-नर्सों की देखभाल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है।’ यह थीम नर्सों की भलाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए न केवल उनकी व्यक्तिगत भलाई के लिए बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों के अधिक लाभप्रद एवं सशक्त बनाने पर बल देती है। नर्सों को दूसरों की देखभाल करने के लिए जाना जाता है, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भी उनकी देखभाल करनी चाहिए। उचित समर्थन के बिना, सबसे कुशल पेशेवर भी उपेक्षा, आर्थिक शोषण, तनाव और थकान का सामना कर सकते हैं।

किसी बीमारी से उबरने में जितना बड़ा योगदान चिकित्सकों, दवाओं और इलाज का होता है, उतना ही सही देखभाल का भी होता है। इसमें डॉक्टर्स से कहीं बड़ी जिम्मेदारी नर्सेज निभाती हैं, जो 24 घंटे मरीज की देखरेख में लगी रहती हैं। वास्तव में उनकी निःस्वार्थता एवं सेवाभावना उन्हें रोगियों के लिए स्वर्गदूत बनाती है, एक फरिश्ते के रूप में वे जीवन का आश्वासन बनती है और उनका बलिदान-योगदान उन्हें मानवीय सेवा का योद्धा बनाता है। यदि चिकित्सक किसी रोगी के रोग को ठीक करता है तो उसके दर्द को कम एक नर्स करती है। जो अपना जीवन मरीजों की प्यार से देख-रेख में व्यतीत करती है। एक नर्स ना केवल अपना व्यवसाय समझ रोगी की सेवा करती है बल्कि वो उससे भावनात्मक रुप से जुड़ जाती है और उसे ठीक करने में जी-जान लगा देती है। नर्से ही इंसान के जन्म की पहली साक्षी बनती है और उनमें करुणा का बीज बोती है, मुस्कान बांटती है।

पूरी दुनिया में हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते है कि नर्सिंग सेवाएं दुनिया में सबसे बड़ी स्वास्थ्य देखभाल का पेशा है। रोगियों के स्वास्थ्य और कल्याण को बनाये रखने के लिये नर्सों का प्रशिक्षण एवं कौशल विकास अपेक्षित है, भारत की नर्सों को नयी ऊर्जा, नयी दिशा एवं नया परिवेश मिले, उसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार कोई प्रभावी योजना लागू करें ताकि वे और अधिक अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने में सक्षम हो सके। इससे भारत की नर्सों के लिये गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिये अनुकूल वातावरण सुनिश्चित होगा। इससे नर्सें रोगियों की अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक भलाई करने में सक्षम होगी। ऐसी योजनाओं को निजी अस्पतालों को भी प्रोत्साहन देना चाहिए। मरीज जब ठीक होकर मुस्कुराते हुए अपने परिवार वालों के साथ घर जाता है, तो वह खुशी नर्सों को और भी हिम्मत देती है। इलाज के दौरान नर्सोंे और मरीज के बीच पारिवारिक रिश्ता हो जाता है। सचमुच नर्सों की दुनिया अद्भुत है। वे दवा के साथ उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत करती हैं और रोगों से लड़ने की प्रेरणा एवं शक्ति बनती है। यह शक्ति अधिक तेजस्वी एवं प्रखर बने, यही विश्व नर्स दिवस मनाने का मूल उद्देश्य होना चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, नर्सिंग कार्यबल वैश्विक स्वास्थ्य के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर लॉन्च की जाने वाली विश्व नर्सिंग 2025 की स्थिति रिपोर्ट वैश्विक नर्सिंग कार्यबल का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करेगी। यह रिपोर्ट नर्सिंग शिक्षा, प्रवास, कार्य स्थितियों और नेतृत्व जैसे प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डालती है तथा आवश्यक डेटा प्रदान करती है जो दुनिया भर में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए भविष्य की नीतियों को आकार देने में मदद कर सकता है। जब नर्सों को अच्छी तरह से समर्थन एवं प्रोत्साहन मिलता है, तो स्वास्थ्य सेवा प्रणालियां अधिक प्रभावी ढंग से काम करती हैं, जिससे रोगियों और समाजों के लिए बेहतर परिणाम सामने आते हैं। नर्सिंग देखभाल चिकित्सा दिनचर्या से परे है, यह अक्सर दर्द के दौरान स्थिर हाथ, सर्जरी से पहले आश्वस्त करने वाली आवाज, या ठीक होने की राह पर कोमल प्रोत्साहन होता है। मरीज अक्सर नर्सों के साथ अपने अनुभवों का वर्णन सांत्वना देने वाले, समझदार, धैर्यवान और भरोसेमंद जैसे शब्दों का उपयोग करके करते हैं। एक दयालु नर्स की उपस्थिति शांति, मुस्कान और आशा की भावना लाती है। जब नर्सिंग देखभाल सही तरीके से की जाती है, तो यह न केवल शरीर को ठीक करती है, बल्कि आत्मा को भी ऊपर उठाती है।

आने वाले वर्षों में गुणवत्तापूर्ण देखभाल सुनिश्चित करने के लिए नर्सिंग कार्यबल में निवेश, प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन करना आवश्यक है। नर्सिंग स्वास्थ्य सेवा की शांत शक्तियों में से एक है, जो करुणा, कौशल और अथक समर्पण पर आधारित है। चाहे गंभीर देखभाल का प्रबंधन करना हो या सांत्वना के शब्द देना हो, नर्सें उपचार में मानवता लाती हैं। उनकी भूमिका केवल इलाज करना ही नहीं है, बल्कि मरीजों की सबसे कमजोर स्थितियों में उनकी बात सुनना, उनका समर्थन करना और उनके साथ खड़ा होना है। नर्सों की सेवाएं जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही विश्वस्तर पर उनकी जरूरत है। अपेक्षित नर्सों की उपलब्धता न होना, एक चिन्तनीय विषय है। विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अच्छे वेतनमान और सुविधाओं के लालच में आज भी विकासशील देशों से बड़ी संख्या में नर्से विकसित देशों में नौकरी के लिए जाती है जिससे विकासशील देशों को प्रशिक्षित नर्साें की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिसकी वजह से इस समस्या से निपटने के लिए एवं नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यता प्रदान करने के लिए भारत सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार की शुरुआत की। पुरस्कार प्रत्येक वर्ष 12 मई को दिये जाते हैं। यह पुरस्कार प्रति वर्ष महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये जाते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस सिर्फ जश्न मनाने का दिन नहीं है, यह चिंतन और कृतज्ञता का समय है। उनका समर्पण, करुणा और विशेषज्ञता हर जगह स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों की नींव है। अब हमारा यह नैतिक कर्तव्य है कि हम उनकी अनूठी एवं निःस्वार्थ सेवाओं के बदले वापस कुछ लौटाये और उनका भविष्य उन्नत करें। इस दिवस को मनाते हुए हम अपनी नर्सों के करियर को फिर से परिभाषित करेे, उनके सेवा का मूल्यांकन करते हुए नए सिरे से उन्नत नर्स सेवा को विकसित करें और कौशल विकास की शक्ति के साथ उनके जीवन को बदले। कोविड़-19 के संकट में एक योद्धा की तरह हर मुश्किल घड़ी में अपनी जान की परवाह किये बिना मरीजों के साथ जो खड़ी रही, वे नर्से ही थी, जिन्हें हम और आप अक्सर सिस्टर कह कर पुकारते हैं। आम दिन हो या महामारियांे के खिलाफ जंग, ये नर्स बिना किसी डर के सहजता और उत्साह से अपने कर्तव्य का पालन करती है। इसलिए नहीं कि यह उनका काम है और उसके लिए उन्हें पैसे मिलते हैं बल्कि इसलिए कि वह सबसे पहले दूसरों के स्वस्थ होने और उनकी जान की फिक्र करती हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में मां के स्वरूप में स्नेहपूर्ण और फिक्र के साथ हर किसी की देखभाल और परवाह करने के शब्द को ही नर्स कहा जाता है। वे अस्पताल की रीड होती है। ऐसी मानवीय सेवा की अद्भूत फरिश्तों के कल्याण एवं प्रोत्साहन का चिन्तन अपेक्षित है। उससे निश्चित ही नर्सों की सेवाएं अधिक सक्षम, प्रभावी एवं मानवीय होकर सामने आयेगी।