संजय सक्सेना
उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर आलाकमान ने एक बार फिर पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी समाज से आने वाले नेता को बिठाकर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह दलितों के साथ-साथ ओबीसी को भी पार्टी से और मजबूती से जोड़ना चाहता है। ओबीसी वोटरों को लुभाने के उद्देश्य से ही सात बार के सांसद पंकज चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है। भाजपा उनके सहारे समाजवादी पार्टी के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश भाजपा की संगठन कमान संभालने वाले पहले कुर्मी नेता के रूप में पंकज पर आलाकमान का दांव आगामी विधानसभा चुनाव में सपा के पीडीए दांव को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। ठीक वैसे ही जैसे भाजपा ओबीसी और कुर्मी वोट को अपने पाले में लाना चाहती है, वैसे ही कुर्मी समाज की उनसे अपेक्षाएं कहीं अधिक हैं।
उत्तर प्रदेश में कुर्मी जाति की कुल आबादी लगभग डेढ़ करोड़ आंकी जाती है, जो राज्य की जनसंख्या का सात से आठ प्रतिशत बनाती है। यह समाज मुख्य रूप से पूर्वांचल के गोरखपुर, देवरिया, बलिया, आजमगढ़ और वाराणसी जैसे जिलों में फैला हुआ है, जबकि बुंदेलखंड और अवध के कुछ हिस्सों में भी इसकी अच्छी-खासी उपस्थिति है। खेती बाड़ी और छोटे कारोबार से जुड़े इस समाज को राजनीतिक रूप से जागरूक माना जाता है, और कुर्मी वोट बैंक हमेशा चुनावी समीकरण बदलने वाला साबित होता रहा है।
पंकज चौधरी का संगठनिक सफर लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है। महराजगंज जिले के ठेकामा के मूल निवासी पंकज छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। संघ की शाखाओं में सक्रिय भागीदारी से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ, जो बाद में भाजपा युवा मोर्चा तक पहुंचा। महराजगंज से जिला स्तर और प्रदेश स्तर तक उन्होंने संगठन को मजबूत किया, चुनाव प्रचार अभियान चलाए तथा कई प्रत्याशियों की जीत में अहम भूमिका निभाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में भानु प्रताप वर्मा की जीत में उनकी मेहनत सराहनीय रही। वे 1996 में सोनभद्र से पहली बार विधायक बने, फिर 2002, 2007 और 2012 तक चंदौली से लगातार विजयी रहे। 2017 और 2022 में महराजगंज से जीत हासिल की। कुर्मी बाहुल्य क्षेत्रों में संगठन खड़ा करने के अलावा वे प्रदेश कार्य समिति सदस्य और कार्यकारिणी सदस्य के रूप में भी सक्रिय रहे। हल्के से शीर्ष स्तर तक का अनुभव उन्हें दुर्लभ बनाता हैकृवे सड़क से सत्ता तक का सफर तय कर चुके हैं।
हाल ही में भोपाल में हुई भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष चयन प्रक्रिया में पंकज चौधरी का नामांकन वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी और राधा मोहन सिंह ने प्रस्तावित किया, जो आलाकमान के पूर्ण समर्थन को दर्शाता है। पंकज के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गहरे और पुराने रिश्ते हैं। गोरखपुर से सांसद रहते योगी ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपीं। योगी सरकार बनने पर वे कैबिनेट मंत्री बने तथा पशुपालन और डेयरी विकास विभाग संभाला। इस दौरान कुर्मी समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं लागू कीं। योगी के प्रति उनकी निष्ठा अटल रही। संघ परिवार से उनका गहरा जुड़ाव है, जबकि अमित शाह और जेपी नड्डा से निकट संबंध हैं। शाह के यूपी दौरे की संगठनिक तैयारियां पंकज ही संभालते रहे, और नड्डा ने उनकी नियुक्ति पर खुशी जताई। ये रिश्ते उन्हें संगठन में मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
पंकज चौधरी भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं, खासकर कुर्मी समाज की मजबूत पकड़ के कारण। उत्तर प्रदेश में कुर्मी वोटर पारंपरिक रूप से सपा या बसपा की ओर झुकते रहे हैं, लेकिन उनकी नियुक्ति से भाजपा को इस समाज को लुभाने का सुनहरा अवसर मिला है। 2024 के लोकसभा चुनावों में गोरखपुर, देवरिया और महराजगंज जैसे कुर्मी बाहुल्य इलाकों में भाजपा को नुकसान हुआ था, जहां स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने से असंतोष बढ़ा। पंकज इस कमी को पूरा कर सकते हैंकृकुर्मी युवाओं को जोड़ेंगे, नेताओं को बढ़ावा देंगे तथा योगी के खिलाफ कुर्मी विरोधी मिथक तोड़ेंगे। ठाकुर समाज से आने वाले योगी के नेतृत्व में कुर्मी-ठाकुर एकता का संदेश प्रसारित होगा।
पूर्वांचल के कुर्मी किसानों तक किसान योजनाओं को पहुंचाने, लघु सिंचाई और डेयरी विकास पर जोर देकर पंकज ग्रामीण वोटरों को खुश करेंगे। महराजगंज से चंदौली तक फैले कुर्मी बेल्ट में संगठनिक सभाओं, युवा मोर्चा-किसान मोर्चा की सक्रियता, पदयात्राओं और धार्मिक आयोजनों में पार्टी की मौजूदगी बढ़ाएंगे। 2027 विधानसभा चुनावों से पहले यह रणनीति सपा-बसपा गठबंधन को चुनौती देगी, जहां कुर्मी वोट बंटवारा भाजपा की जीत का राज होगा। बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को जगाने वाले अनुभवी संगठनकर्ता के रूप में वे सामाजिक स्वीकार्यता हासिल करेंगे।
राष्ट्रीय स्तर पर भी लाभ होगा, क्योंकि कुर्मी समाज बिहार और झारखंड में प्रभावशाली है। पंकज की सफलता से भाजपा का पैन-इंडिया पिछड़ा वर्ग एजेंडा मजबूत बनेगा, और आलाकमान उन्हें राष्ट्रीय महासचिव जैसे पद दे सकता है। योगी सरकार के लिए यह राहत हैकृमंत्री पद छोड़कर संगठन चुनना उनका बड़ा बलिदान है, जो विपक्ष के आरोपों का मुंहतोड़ जवाब बनेगा। उपचुनावों और महानगर निगम चुनावों में कुर्मी वोट झुकाव देंगे। पंकज इसलिए तुरुप का पत्ता हैं क्योंकि कुर्मी समाज अब भाजपा को अपना मानने लगा है। उनकी नियुक्ति उत्तर प्रदेश के बदलते राजनीतिक परिदृश्य की सूत्रधार बनेगी पूर्वांचल को किलेबंद करेगी. कुल मिलाकर, पंकज चौधरी भाजपा के लिए वरदान सिद्ध होंगे, उनकी कुर्सी पर कुर्मी समाज की सारी उम्मीदें टिकी हैं। संगठन को नई ऊर्जा मिलेगी और चुनावी जीत का मार्ग प्रशस्त होगा। यह रणनीतिक चाल लंबे समय तक फलदायी रहेगी।





