ज्ञान प्रकाश यादव
हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जब तक समाज में भेदभाव रहेगा तब तक आरक्षण रहेगा। आखिर उन्हें यह क्यों बोलना पड़ा? जाहिर है कि मोदी सरकार ने 1 सितंबर 2023 को दिल्ली पुलिस भर्ती का विज्ञापन निकाला है, जिसमें आवेदन की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2023 निर्धारित की गई है। इसमें पदों की कुल संख्या 7547 है, जिसमें अनारक्षित श्रेणी को 4555 पद,गरीब सवर्ण वर्ग या EWS को 810 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग को 429 पद,अनुसूचित जाति को 1301 पद एवं अनुसूचित जनजाति को 452 पद दिए गए हैं। मोदी सरकार ने इस विज्ञापन में अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लगभग समाप्त कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी अपने आप को पिछड़ी जाति का बताते हैं और सरकारी नौकरियों में पिछड़ों के ही आरक्षण को ख़त्म करते हैं।मोदी का यह पिछड़ा प्रेम पिछड़े समाज की हकमारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मोदी को भरपूर भरोसा है कि वह पिछड़े समाज का कितना ही विनाश क्यों न कर लें, फिर भी यह समाज उन्हें वोट देगा।
दिल्ली पुलिस भर्ती में कुल पद 7547 हैं। दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है। इसीलिए इस भर्ती का आयोजन कर्मचारी चयन आयोग कर रहा है। केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों में पहले 50.5% पद अनारक्षित श्रेणी के होते थे लेकिन गरीब सवर्ण आरक्षण लागू होने से अब 40.5% पद अनारक्षित श्रेणी के होते हैं।इस हिसाब से दिल्ली पुलिस भर्ती में अनारक्षित श्रेणी के 3056 पद होते हैं लेकिन इस श्रेणी को संघ, भाजपा एवं मोदी की मिलीभगत से 1499 पद अधिक दिए गए हैं।अर्थात् अनारक्षित श्रेणी को मोदी सरकार ने 4555 पद दिया है।
केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों में गरीब सवर्ण वर्ग या EWS को 10% आरक्षण दिया है।इस हिसाब से इनके पदों की संख्या 754 होती है लेकिन इस श्रेणी को अतिरिक्त 56 पद संघ, भाजपा एवं मोदी की मिलीभगत से उपहार में दिए जाते हैं। अर्थात् इस भर्ती में गरीब सवर्ण वर्ग को 810 पद दिया गया है। संघ, भाजपा एवं मोदी का यह सवर्ण प्रेम दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को 56 पद अधिक देने के लिए पिछड़ों के आरक्षण में सेंध लगाई है।
केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 27% है। इस हिसाब से इनके पदों की संख्या 2037 होती है लेकिन मोदी सरकार ने इन्हें मात्र 429 पद पर निपटा दिया है। अर्थात् पिछड़े समाज के हिस्से से 1608 पद छीनकर मोदी सरकार ने किसे दिया है? पिछड़े समाज के व्यक्तियों को पिछड़े समाज के नेताओं एवं मोदी सरकार से यह सवाल अवश्य पूछना चाहिए। पिछड़े समाज के हिस्से की 1608 नौकरियों को मोदी सरकार ने सवर्णों को दे दिया है। आरक्षण की इतनी बड़ी डकैती होने के बाद भी भाजपा में शामिल पिछड़े समाज के नेता केशव प्रसाद मौर्या,अनुप्रिया पटेल,ओमप्रकाशराजभर एवं संजय निषाद मौनव्रत धारण किये हैं। यदि आप इन नेताओं के कहने पर भाजपा को वोट देते हैं तो फिर इनसे अपनी हकमारी पर सवाल क्यों नहीं करते हैं?
केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति को 15% आरक्षण दिया गया है। इस हिसाब से अनुसूचित जाति के 1132 पद होते हैं लेकिन इन्हें 169 पद अधिक दिये गये। अर्थात् अनुसूचित जाति को 1301 पद दिया गया। आरक्षण में यह उतार-चढ़ाव किसके कहने पर हो रहा है? आखिर किसके हिस्से से छीनकर 169 पद अनुसूचित जाति को दिए गए?
केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 7.5% है। इस हिसाब से इनके पदों की संख्या 566 होती है लेकिन इन्हें मात्र 452 पद ही दिए गए।अनुसूचित जनजाति के हिस्से के 14 पद किसे दिए गए? मोदी सरकार ने दिल्ली पुलिस भर्ती में ओबीसी आरक्षण को अनुसूचित जनजाति के आरक्षण से भी कम कर दिया है। जहाँ अनुसूचित जनजाति को 452 पद दिया गया, वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग को मात्र 429 पद।इससे साबित होता है कि संघ शासित मोदी सरकार पिछड़ा विरोधी है।
अन्य पिछड़ा वर्ग समाज में 3743 जातियाँ शामिल हैं। सरकारी आँकड़ों में इनकी जनसंख्या 52% बताई जाती है। इन्हें मंडल कमीशन के तहत सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण दिया गया है।लेकिन मोदी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण को 5.6% तक ही सीमित कर दिया है। जब मोदी सरकार आरक्षण को सीधे-सीधे ख़त्म नहीं कर पा रही है तब वह इनके लिए आरक्षित पदों की संख्या को घटा रही है, जिसकी तरफ लोगों का ध्यान कम जा रहा है। इस प्रक्रिया के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े अधिकारियों का महत्वपूर्ण हाथ है। अतः स्पष्ट है कि संघ, भाजपा एवं नरेन्द्र मोदी ने मिलकर पिछड़े समाज के ओबीसी आरक्षण को ख़त्म कर दिया है।