- लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले भाजपा के पहले नेता
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भाग में कोचिंग हब के नाम से विख्यात चंबल नदी के विशाल तट के निकट स्थित कोटा शहर के बाशिन्दे ओम बिड़ला का नाम इन दिनों ज़बर्दस्त चर्चाओं में है।
लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में अपना एक कार्यकाल पूरा करने के बाद, संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए फिर से सांसद के रूप में चुने जाने वाले पिछलें 20 वर्षों में वे पहले व्यक्ति हैं।साथ ही लगातार दो बार अध्यक्ष बनने वाले दो सांसदों में से एक सांसद भी हैं,अन्यथा अब तक यह देखा गया है कि लोकसभा अध्यक्ष रहने वाले सांसद प्रायः पुनः चुनाव जीत कर नहीं आते और चुनाव जीत कर आते भी है तो अध्यक्ष नहीं बनते।ओम बिरला इस संवैधानिक पद पर लगातार दो बार विराजमान होने वाले भारतीय जनता पार्टी और राजस्थान के मूल के पहले जननेता हैं, हालांकि इससे पूर्व राजस्थान से ही निर्वाचित बलराम जाखड़ भी लोकसभाध्यक्ष रहे है, लेकिन वे राजस्थान मूल के नहीं होकर मूलतः पंजाब प्रान्त के निवासी थे । वे सातवीं और आठवीं लोकसभा के दोनों कार्यकालों में अब तक सबसे लंबे समय तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे है।उनका कार्यकाल 9 साल और 329 दिन रहा था। जाखड़ ने 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद हावी होने से राजस्थान के सीकर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और वे जाट राजनीति के लोकप्रिय चेहरों में से एक थे।ओम बिरला अगले पाँच वर्षों तक लोकसभाध्यक्ष रहने के साथ ही इस रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते है अथवा उसे तौड़ सकते है। बिरला के पुनः लोकसभाध्यक्ष बनने के साथ ही एक बार फिर से संसद के दोनों सदनों का संचालन राजस्थान के दो यशस्वी नेता करते हुए देखेंगे। यह भी अपने आपमें एक अनौखा इतिहास हैं।
राज्य सभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी राजस्थान के शेखावटी अंचल से ही है।
ओम बिरला को जब ध्वनि मत से 18 वीं लोक सभा का अध्यक्ष घोषित किया गया तब भारत की महान संवैधानिक परंपराओं की झलक देखने मिली। परम्परा के अनुसार सदन के नेता, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ,प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और केन्द्रीय संसदीय कार्य मन्त्री किरण रिजिजू ओम बिरला की सीट के पास गये और उनको अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए तथा उन्हें आसन पर बैठाया । इस दौरान नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी ने ओम बिरला से हाथ मिला कर बधाई और शुभकामनाएँ दी। यह भारत के संसदीय इतिहास का एक ऐतिहासिक पल था।
ओम बिरला राजस्थान के हाड़ौती अंचल कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र के लोकप्रिय नेता है। वे इस संसदीय क्षेत्र लगातार तीसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं ।छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले ओम बिरला स्नातकोत्तर है।61 वर्षीय बिरला के लिए कोटा उनकी जन्म एवं कर्मभूमि दोनों ही है । उनका जन्म 23 नवंबर 1962 को एक हिंदू बनिया परिवार में श्रीकृष्ण बिड़ला और शकुंतला देवी के घर हुआ था । उन्होंने गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज, कोटा और महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर से वाणिज्य में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की। 1991 में उनकी शादी अमिता बिरला से हुई और उनकी दो बेटियाँ हैं, आकांक्षा और अंजलि हैं।अमिता बिरला पेशे से राजस्थान में चिकित्सक रहें है।
राजस्थान का यह लोकप्रिय राजनीतिज्ञ व्यवसाय से एक जाने माने उद्योगपति भी हैं। वे 19 जून 2019 को पहली बार लोकसभा के अध्यक्ष बने। बिरला राजस्थान के कोटा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से 2014 से निरन्तर लोकसभा के सांसद चुने जा रहे है। लोकसभा सांसद के रुप में इस बार उनका यह तीसरा टर्म है। इसके पहले ओम बिरला 2003 से 2014 तक कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए राजस्थान विधानसभा के सदस्य भी रहे।
ओम बिड़ला ने 2003 में कोटा दक्षिण से चुनाव लड़कर अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था। उन्होंने कॉंग्रेस के शांति धारीवाल को 10,101 मतों के अंतर से हराया था। उन्होंने अगला विधानसभा चुनाव 2008 में कांग्रेस के अपने निकटतम उम्मीदवार राम किशन वर्मा को 24,300 मतों के अंतर से हराया था । संसद सदस्य बनने से पहले, उन्होंने 2013 में कांग्रेस के ही पंकज मेहता के खिलाफ़ अपना तीसरा विधानसभा चुनाव लगभग 50,000 मतों के भारी अन्तर से जीता था। 2003-08 में विधानसभा के अपने कार्यकाल के दौरान, वे राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव (एमओएस रैंक) भी रहें हैं।
कोटा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में बिरला लगातार 16 वीं,17 वीं और 18 वीं लोकसभा के लिए चुने गए हैं। 16वीं लोकसभा में वे ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मन्त्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति के सदस्य थे ।पहली बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उनका चयन सभी के लिए एक आश्चर्य जनक बात थी और विभिन्न कयासों के बावजूद उन्हें जून 2024 में दूसरी बार भी ध्वनि मत से लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया। 19 जून 2019 को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चुनाव के लिए प्रस्ताव के बाद ओम बिड़ला को 17वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया । कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम दलों ने भी बिड़ला के लिए नोटिस पेश किए और उनसे निचले सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में निष्पक्ष रहने का आग्रह किया। लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला एक बार फिर अपनी मुस्कान के लिए सदन में चर्चा का विषय बने हैं। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने उद्बोधन में ओम बिरला की मुस्कराहट का जिक्र किया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि है लोकसभा में इस बार मजबूत विपक्ष को देखते हुए लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला गंभीर से गंभीर मुद्दों को अपने चेहरे पर हमेशा रहने वाली मुस्कान से कैसे निबटने में सफल होंगे?
वे कोटा शहर की कोटा दक्षिण से राजस्थान विधानसभा के लिए लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 में राजस्थान विधान सभा के सदस्य भी रहें एवं एक सक्रिय विधायक रहने के साथ-साथ विधानसभा में संसदीय सचिव भी रहे हैं । राजस्थान विधानसभा में सार्थक बहस के लिए उन्हें छह से अधिक बार ‘सदन के सितारे’ सूची में शामिल किया गया । बिरला ने कोटा में जन सेवा के अनेक अभिनव कार्यक्रम शुरू कर समाज के हर वर्ग का दिल जीता।
अपने हर मतदाता और उनके परिवारजनों को जन्म दिवस एवं विशेष अवसरों पर बधाई एवं शुभकामनायें देना और संसदीय क्षेत्र में हर परिवार क़े घर में कोई अनहोनी होने या दुखद अवसर आने पर उसमें शामिल होकर शोक-संतप्त परिवार को ढांढस बंधवाना ओम बिरला को खास व्यक्तित्व का धनी बनाता हैं । उनके कार्यकर्ताओं की समर्पित टीम और क्षेत्र क़े विकास क़े लिए बिरला की ‘माइक्रो लेवल प्लानिंग’ भी देखने योग्य है ।
बिरला भारतीय जनता पार्टी में संगठन के विभिन्न पदों पर भी रहें।वे 1987–91 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा, कोटा के जिला अध्यक्ष, 1991-1997 तक राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष, 1997-2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहने के साथ ही राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड के उपाध्यक्ष, 2003-2015 तक कोटा दक्षिण से विधायक, जून 1992 से जून 1995 तक कॉन्फेड, जयपुर के
अध्यक्ष भी रहें है।बिरला का 17 वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद का कार्यकाल 19 जून 2019 से 3 मार्च 2024 तक रहा हैं और अब 18 वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रुप में उनका कार्यकाल 26 जून 2024 से शुरू हुआ है। ओम बिरला की अध्यक्षता में 17वीं लोकसभा में कुल 221 विधेयक पारित किए गए। हालाँकि, उनमें से एक तिहाई से अधिक विधेयक एक घंटे से भी कम चर्चा के साथ पारित किए गए, 13 प्रतिशत विधेयक 1-2 घंटे की चर्चा के साथ, 22 प्रतिशत विधेयक 2-3 घंटे की चर्चा के साथ और 30 प्रतिशत विधेयक 3 घंटे से अधिक की बहस के साथ पारित किए गए। केवल 16 प्रतिशत विधेयकों को आगे की जांच के लिए स्थायी समितियों को भेजा गया, जो पिछली लोकसभा में 28 प्रतिशत से कम था और पहली और दूसरी यूपीए सरकारों के सत्ता में रहने के दौरान 60 प्रतिशत और 71 प्रतिशत से काफी नीचे था।
हमेशा मुस्कुराने वाले बिरला सदन में अनुशासन के पक्षधर है। दिसंबर 2023 में कुछ लोगों ने संसद की सुरक्षा भंग कर दी और नारे लगाते हुए लोकसभा में घुस गए। उस दौरान विपक्षी सांसदों ने इस पर बहस की मांग की और लोकसभा की कार्यवाही को लगातार बाधित किया। इस पर कठोर कार्यवाही करते हुए उन्होंने 100 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया। यह किसी भी लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया गया रिकॉर्ड तोड़ने वाला निलंबन था। प्रतिपक्ष उन पर पूरी 17 वीं लोकसभा के कार्यकाल में लोकसभा का उपाध्यक्ष नहीं बनाने तथा प्रतिपक्ष के सांसदों के भाषणों के समय माईक बंद हो जाने आदि कई आरोप लगाता रहा है लेकिन उनके 17 वीं लोकसभा कार्यकाल के दौरान नये संसद भवन का बनना उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
बिरला ने राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलनो में कई बार भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है और भारत में भी जी 20 संसदीय सम्मेलन का सफल आयोजन कराया हैं।बिरला ने कई देशों की यात्रा कर भारत के गौरव को बढ़ाया है।
ओम बिरला ने साबित किया है कि वाकई वे बिरले व्यक्तित्व के धनी हैं…और ऐसे ही बिरले लोग ही लोकतंत्र के मंदिर के प्रथम सेवक बनते है ।