
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को अपना 46 वा स्थापना दिवस मनाया । इस मौके पर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर पार्टी अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने पार्टी का झंडा फहराया। इस मौके पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अन्य कई नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के श्री लंका यात्रा पर होने तथा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जयपुर के निकट पावटा में एक कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण इस कार्यक्रम में उपस्थित नहीं थे। राजस्थान में भी भाजपा के जयपुर स्थित प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में पार्टी का झंडा फहरा कर स्थापना दिवस मनाया।
भाजपा के 46 वें स्थापना दिवस पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने समक्ष मौजूद आसन्न खतरों और चुनौतियों से निपटने के लिए एक रोड मैप बनाने का संकल्प लिया है । भाजपा के सामने आने वाले दिनों में अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव कराने के साथ ही कुछ प्रदेशों की विधान सभा चुनावों का मुकाबला करने के अलावा अन्य कई चुनौतियां है।
संसद के बजट सत्र के बाद वक्फ बिल के खिलाफ विपक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले पर इन दिनों भाजपा अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। पार्टी का कहना है कि वक्फ बिल गरीब मुसलमानों के लिए है। इस बिल पर चर्चा करने के बाद इसे संसद के दोनों सदनों में पास किया गया है। जम्मू कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने तथा अयोध्या में श्री राम मन्दिर की भव्य स्थापना के बाद भाजपा का यह एक और बड़ा कदम है, जिसकी सर्वत्र चर्चा हुई है।
इसके अलावा भी भाजपा को अन्य कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें जातिवाद और क्षेत्रवाद के कारण भाजपा को देश के कुछ हिस्सों में कतिपय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न जातियों और क्षेत्रों के लोगों की अलग-अलग अपेक्षाएं और मांगें हैं, जिन्हें पूरा करना पार्टी के लिए मुश्किल हो रहा है।
इसके अलावा भाजपा पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया जाता है,जिससे प्रतिपक्ष द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा की जा रही है।
भाजपा को राजनीतिक हिंसा के कारण भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं पर देश के पश्चिम और दक्षिणी भागों में हमले किए जाते हैं,जिससे उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है।
भाजपा को केन्द्र ने लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के बाद भी देश में व्याप्त गरीबी और बेरोजगारी के कारण होने वाली चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है। देश में अभी भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं और बेरोजगारी देश की एक बड़ी समस्या है। भाजपा पर आर्थिक असमानता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया जाता है, जिससे अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ सकती है।
भाजपा को लैंगिक भेदभाव के कारण भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। देश में अभी भी महिलाओं के प्रति भेदभाव किया जाता है और उनकी स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।
भाजपा को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। देश में अभी भी बड़ी संख्या में लोग शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं।भाजपा को देश में बढ़ रही मंहगाई और बेरोजगारी के कारण आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है।
बताया जा रहा ही भाजपा अपने नए अध्यक्ष के चुनाव के अवसर पर आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में इन चुनौतियों पर चर्चा करेगी और राजनीतिक और आर्थिक प्रस्तावों के माध्यम से अपनी भावी कार्य योजना को भी प्रस्तुत करेंगी।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भाजपा को अपने समक्ष खड़ी इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ नए और प्रभावी तरीके ढूंढने होंगे। पार्टी को अपने नेताओं को भी प्रशिक्षित करना होगा और उन्हें जनता के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इसके अलावा, पार्टी को अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को आम जनता की जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुसार बनाना होगा।
देखना है आने वाले दिनों में भाजपा अपनी पार्टी की अंदरूनी चुनौतियों और देश के सामने खड़े आसन्न खतरों को अपने सहयोगी दलों के साथ मिल कर किस प्रकार से निपटेगी?