काश्मीर में एक बार फिर आतंक का कायर घिनौना चेहरा

Once again the cowardly and ugly face of terror in Kashmir

राकेश शर्मा

दिल और दिमाग बार बार सिहर उठ रहा है यह सोचकर भी की जिन 27 सैलानियों की पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने निर्मम हत्या कर दी उनके घर वालों ने कितना हंसी खुशी विदा किया होगा की काश्मीर की वादियों में सैर सपाटा कर उनके घर वाले , रिश्तेदार खुशगवार यादगारें लेकर वापस आकर उनसे साझा करेंगे लेकिन अब इस दुर्दम्य घटना के बाद उनके शवों का रोते बिलखते सगे संबंधी इंतज़ार कर रहे हैं । अब जीवन की अंतिम सांस तक सिर्फ़ खोए गए परिवार जन उनकी यादों में ही रहेंगे, उनके अंतिम शब्द उनके कानों में गुंजायमान रहेंगे । अब बाक़ी का अंधकारमय जीवन कैसे कटेगा कोई नहीं जानता । इस दुख को महसूस करने के लिए मानवीय संवेदनाओं से भरे हृदयों को सिर्फ़ इतना ही सोचना है की यदि यह हमारे परिवार के होते तो हमारे घर में कैसा कोहराम हो रहा होता । कानपुर के एक परिवार की बच्ची जो अपने पति के साथ पहलगाम गयी हुई थी उसके सामने ही उसके पति के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई । उसकी तो शादी अभी दो महीने पहले फ़रवरी में ही हुई थी । उसने जब इन हृदयविहीन आतंकियों से कहा की मुझे भी मार दो तो उन्होंने कहा नहीं तुम जाकर मोदी को यह बताओ । लड़की और लड़के के परिवार का क्या हाल हो रहा होगा , समझ से परे है। ऐसी ही व्यथा कथा बाकी मृतकों के परिवारों की भी है ।

इस घटना ने 1990 के दशक की कश्मीर की आतंकी घटनाओं और कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से निष्कासन की याद ताजा कर दी है जब हिंदुओं को चुन चुन कर मारा जाता था, उन्हें कश्मीर छोड़ने को कहा जाता था, हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाता था, हिंदुओं के घर , दुकान जलाए जाते थे, भारत विरोधी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते थे , सेना पर पत्थरबाजी होती थी । पहलगाम की घटना भी कुछ कुछ उसी की पुनरावृत्ति दिख रही है क्यूंकि कल की घटना में भी धर्म , नाम पूछकर, कपड़े उतरवाकर लिंग देखकर मारा गया, और भी पक्का करने को की कहीं यह मुस्लिम तो नहीं है कलमा पढ़ने को भी कहा गया।

लग रहा है की भारत में हिंदू होना ही अपराध है । जहाँ देखो वहाँ हिंदुओं पर अत्याचार , उनकी हत्या की जा रही है, चाहें पहलगाम हो , मुर्शिदाबाद हो या 24 परगना ।

मोदी जी तो सऊदी अरब की सरकारी यात्रा बीच में ही छोड़कर आ गए लेकिन निर्दोष और निरीह सैलानी जिनकी निर्मम हत्या की गई वह अब कभी नहीं आयेंगे ।

अब इस घटना का जितना मर्ज़ी पोस्टमार्टम कर लो जाने वाले कभी नहीं आयेंगे, किसी का बेटा, किसी का पति, किसी का पिता असमय ही गोलोक पहुँच दिए गए। कोई घर का अकेला चिराग था, कोई अकेला कमाने वाला रहा होगा, कितनी विधवा हो गईं, कितनों की गोद सुनी हो गई , कितने पिता के प्यार से वंचित हो गए।

आज आतंकवाद से दुनिया दहली हुई है , सभी देश किसी ना किसी रूप से इस बीमारी से ग्रसित हैं और विभिन्न मंचों पर आतंकवाद को समाप्त करने का संकल्प भी लेते है लेकिन यह ऐसी नागफनी है जो बार बार उग आती है । पूरा विश्व जब तक आतंक का बीजनाश करने का संकल्प नहीं लेता तब तक पाकिस्तान जैसे देश आतंकवाद जैसे जहरीले सर्प को दूध पिलाते रहेंगे ।

आतंकवादियों के मंसूबे जब तक समाप्त नहीं होते वह नए नए रूपों में अवतरित होता ही रहता है। कश्मीर को ही लें मोदी सरकार ने कश्मीर में 30 साल के आतंकवाद को धारा 370 हटाने के बाद काफ़ी हद तक सीमित कर दिया था , कश्मीर में स्थिति सामान्य दिखने लगी थी, अभी पिछली कश्मीर यात्रा में अमित शाह ने कहा था कि अब कश्मीर में आतंकवाद इतिहास हो गया है ।

शायद यह बात इन पाकिस्तानी आतंकवादियों को रास नहीं आयी और उन्होंने अपने आकाओं को खुश करने के लिए पहलगाम की घटना को अंजाम दे दिया ।

इस आतंकवादी घटना के पीछे और भी कई कारण दिखाई पड़ते हैं जैसे कश्मीर में तेज़ी से बढ़ती सैलानियों की संख्या जिससे वहाँ के नवयुवकों को रोजगार मिल रहा था । ज्ञातव्य हो कि 2018 में कश्मीर में सैलानियों की संख्या आठ लाख थी जो 2019 में धारा 370 हटने के बाद 2024 में बड़कर 34 लाख हो गई (लगभग 350 प्रतिशत की वृद्धि) जो इस साल और अधिक होने की उम्मीद थी । आतंकियों का दुख था कि होटल, टैक्सी, रेस्टोरेंट, दुकानदारों की इससे आमदनी बढ़ेगी और स्थानीय लोग आतंक का विरोध करेंगे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति वैन्स की यात्रा से भी इसे जोड़ा जा रहा है, मोदी की सऊदी यात्रा से भी आतंकवादी दुखी थे, और अंत में इनका उद्देश्य भारत को असहज करने का है ।

इस हमले को इजरायल में हुए हमास द्वारा 2023 के कायराना हमले के लेंस से भी देखा जा रहा है । वहाँ भी एक मनोरंजन कार्यक्रम का आनंद लेते 217 निर्दोषों को हमास के आतंकवादियों ने भून दिया था । लेकिन इजरायल एक छोटा सा दृढ़ संकल्पित राष्ट्र है । उन्होंने पिछले डेढ़ साल में हमास की कमर ही तोड़ दी है, घुटनों पर ला दिया है और गाजा पट्टी को ही श्मशान बना दिया । उन्होंने अपने आत्म सम्मान के सामने किसी की भी परवाह ना करते हुए अपने लक्ष्य को पूरा किया है ।

समय तो पहले ही पाकिस्तान और आतंकवादियों के ख़िलाफ़ इज़रायल जैसा एक्शन करने का था लेकिन अब तो पानी सर से पार हो गया है ।

मोदी सरकार से प्रार्थना है कि जब पूरा विश्व इस घटना की निंदा कर रहा है तब नपा तुला जवाब देने की बजाय और सिर्फ बात करने की बजाय पाकिस्तान अनुमोदित/प्रायोजित आतंकवाद और जेहाद को जड़ से समाप्त करें इसके लिए चाहे पाकिस्तान से युद्ध ही क्यों ना करना पड़े । लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे ।