- जिनके पास भी मेरा नंबर था, किसी ने मुझे संदेश तक नहीं भेजा
- दुनिया के सामने सुझाव देने का कोई मतलब ही नहीं है
- यदि कुछ मेरी बेहतरी के लिए है तो आप मुझसे सीधे बात कर सकते हैं
- जब मैं खेलूंगा, इसी तरह खेलूंगा
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : पूर्व कप्तान और अंतर्राष्टï्रीय क्रिकेट में 70 शतक जड़ चुके विराट कोहली बीते करीब तीन बरस से भारत के लिए किसी भी फॉर्मेट में शतक नहीं जड़ पाए हैं। विराट ने अपने करीब डेढ़ दशक के अंतर्राष्टï्रीय करियर में बीते तीन बरस में उन्होंने क्रिकेट की कटु वास्तविकता को सबसे करीब से देखा और महसूस भी है। विराट की ताकत उनका खुद पर भरोसा और अपनी गजब की फिटनेस है। खुद विराट ने हाल ही में साफ किया था कि एशिया कप से करीब एक महीने पहले तक अपने करियर में पहली बार उन्होंने बल्ले का हाथ तक नहीं लगाया।
विराट ने इसी दौरान बतौर क्रिकेटर और एक इनसान के रूप में खुद को आंका। विराट का एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ ग्रुप ए मैच में 35 रन से आगाज करने के बाद हांगकांग के खिलाफ 59* और फिर पाकिस्तान के खिलाफ रविवार को सुपर 4 मैच में भारत के लिए 60 की पारी खेलना यह बताता है कि वह अपनी पुरानी लय पाने की ओर मजबूती से कदम बढ़ा चुके हैं।
विराट ने पाकिस्तान के हाथों सांस रोक देने वाले सुपर 4 मैच में रविवार रात एक गेंद के बाकी रहते भारत की पांच विकेट से हार के बाद कहा, ‘ मेरे मुश्किल दौर में अकेले पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने ही मुझसे संपर्क किया। मैं आपको एक बात बता सकता हूं जब मैंने भारत की टेस्ट कप्तानी छोड़ी तो मैं जिनके साथ पहले खेल चुका था उनमें से मुझे बस जिस केवल एक व्यक्ति ने संदेश भेजा, वह थे महेंद्र सिंह धोनी। बहुत लोगों के पास मेरा नंबर था। टीवी बैठकर बहुत से लोग सुझाव देते हैं। बहुत कुछ कहते हैं। जिनके पास भी मेरा नंबर था, किसी ने मुझे संदेश तक नहीं भेजा। जब किसी से आपका हकीकत में रिश्ता होता, जिस किसी को भी आप वह इज्जत देते हों तो यह इसी तरह दिखता भी है क्योंकि दोनों को एक दूसरे पर भरोसा होता है। न तो धोनी को मुझसे कुछ चाहिए और न ही मुझे धोनी से मुझे। न तो धोनी मुझसे किसी तरह असुरक्षित थे और न ही मैं उनसे। मैं बस इतना ही कह सकता कि यदि मैं किसी से कुछ कहना चाहता हूं तो मैंं खुद उस तक पहुंचता हूं। भले ही आप मेरी मदद करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा,’दुनिया के सामने सुझाव देने का कोई मतलब ही नहीं है। यदि कुछ मेरी बेहतरी के लिए है तो आप मुझसे सीधे बता सकते हैं। आप यह कह सकते हैं कि आप वाकई कि मेरी मदद करना चाहते हैं। मैं जिंदगी बेहद ईमानदारी से जीता हूं और मैं ऐसी चीजों को देखता भी हूं। मैं यह कतई नहीं कह रहा कि इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप असल चीज देखें। मैं बस इतना ही कह रहा हूं कि जब आप इतने लंबे समय तक खेलते हैं, ईमानदारी से खेलते हैं तो परमात्मा आपको उसका फल देता है। जब तक मैं खेलूंगा मैं इसी तरह खेलूंगा।’