जन्मों के पुण्य जगते हैं तभी कथा सत्संग में पहुंचते हैं – अरविन्द भाई ओझा

Only when the virtues of our births are awakened, we reach the Katha Satsang - Arvind Bhai Ojha

दीपक कुमार त्यागी

पिलखुवा : सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर परतापुर पिलखुवा की सहायतार्थ राम कथा प्रारम्भ हुई कथा से पूर्व बड़ी संख्या में माता बहनें उपस्थित हुई और संकीर्तन करते हुए कलश यात्रा निकली गयी जो कथा स्थल से प्रारम्भ होकर विभिन्न मार्गो से होते हुए कथा स्थल पर समाप्त हुई। कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने राम कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा जब हम पर परमात्मा की अति कृपा होती है और जन्मजन्मांतर के पुण्य जाग्रत होते हैं तभी हम कथा सत्संग में पहुंच पाते हैं। इन कथाओं में संतों सज्जनों के सानिध्य में हमारा विवेक जाग्रत होता है जिससे बुद्धि अच्छे और बुरे का भेद कर पाती है।

हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों होती है लेकिन कथाओं में आने से हमारे जीवन की भक्ति जागृत होती है और भक्ति करने से हमारा विवेक जाग्रत होता है जीवन में अच्छाईयां बढने लगती है। जिस प्रकार हीरा और कोयला एक ही स्थान पर पैदा होते हैं पर अपने अपने गुणों के कारण हीरा मुकुट की शोभा बढ़ाता और कोयला जल कर नष्ट हो जाता इसलिए परमात्मा ने हमें मनुष्य जीवन अनमोल दिया है जिसे हमें भक्ति के तराश कर हीरा बनाना चाहिए। भगवान शिव की कृपा से ही श्री राम जी की भक्ति प्राप्त होती है शिव की भक्ति करने से स्वतः ही राम जी की कृपा प्राप्त होती है।

आगे बोलते हुए कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने कहा की :-
मनुष्य को अपने जीवन में भावना को बढ़ाना चाहिए | मनुष्य के जीवन में भावना जगने से ही मानवता जगती है और भावना समाप्त होने से यही मानव दानव बन जाता है।

किसी भी व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए उसके जीवन में उत्साह और द्रढ़ इक्छाशक्ति होनी चाहिए और परमात्मा व गुरु पर श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए। इनके बल पर ही व्यक्ति असभव कार्य को भी सम्भव कर सकता है। राम जी ने जीवन में जो तप किया है उसी के कारण उनकी कथा अमृत कथा हो गयी जिसे भगवन श्री राम जन जन के राम हो गए | राम नाम की चर्चा राम नाम की चर्चा करते हुए कहा कि राम ने तो केवल एक-एक व्यक्ति को तारा लेकिन राम के नाम ने कोटी कोटि लोगों को भवसागर से पर किया है इसलिए राम के जीवन के चरित्र का अनुसरण हमें जीवन में करना चाहिए।

कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने कहा कि हमें अपने परिवार, समाज, धर्म व राष्ट्र की सेवा निस्वार्थ भाव से ये भगवान की सेवा ऐसा मानकर करनी चाहिए मानस में भगवान शंकर ने पार्वती जी से कहा है जो लोग निस्वार्थ सेवा और प्रेम करते है भगवान उनकी प्रशंसा स्वयं अपने मुख से करते है।

आज कथा में मुख्य यजमान सुनील कुमार सिंघल व आदित्य गुप्ता, जयभगवान गुप्ता, गाजियाबाद दैनिक यजमान सन्दीप कुमार गुड्डू, व अन्य लोगों में उपेंद्र तोमर, अजय वीर तेवतिया, इंद्रपाल प्रधान, कृष्ण पाल सिंह, डॉक्टर कवेंद्र, डॉक्टर देवेंद्र, निशा चौधरी, सरोज देवी आदि उपस्थित रहे।