पिंकी सिंघल
बहुत ही हर्ष की बात है कि हमारा राष्ट्र साल दर साल विकास की राह पर अग्रसर हो रहा है।दशकों पहले की यदि बात की जाए तो तब देश के विकास की रफ्तार इतनी अधिक तीव्र नहीं थी जितनी कि पिछले 10 सालों के समय में देखने को मिली है। विकास की दर तेजी से बढ़ रही है जो कि अति सुखद है।
आज भारत विश्व के बड़े-बड़े देशों के साथ अपने राजनयिक संबंध मजबूत कर रहा है और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर विश्व में अपनी एक अलग पहचान भी बना रहा है।किसी भी देश के आर्थिक सामाजिक राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास में उस देश के नागरिकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है।हां, यह भी उतना ही सत्य है कि इस विकास हेतु देश की बागडोर संभालने वाले राजनेताओं का भी योगदान कुछ कम नहीं होता क्योंकि उन्हीं के मार्गदर्शन और अगुवाई में राष्ट्र प्रगति करता है और नित नई ऊंचाइयों को छूता है।परंतु ,एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता यह भी सत्य है ,इसलिए किसी भी देश की सरकार और राजनेताओं को उस देश के नागरिकों को साथ लेकर ही चलना होता है क्योंकि बिना सामाजिक सहयोग और सौहार्दपूर्ण रिश्तों के किसी भी देश के विकास और उत्थान की कल्पना की ही नहीं जा सकती।
आज 1 मई,2022 को अवसर है- देशभर के सभी मेहनती और परिश्रमी मजदूरों को धन्यवाद ज्ञापित करने का। देशभर में मजदूर दिवस 1 मई को प्रतिवर्ष अति उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। मजदूर दिवस को मई दिवस अथवा श्रमिक दिवस की संज्ञा भी दी जाती है। 1 मई मजदूर दिवस के दिन देश के सभी मजदूरों का राष्ट्रीय अवकाश होता है इस दिन कोई भी मजदूर अपने औजार नहीं उठाता और ना ही कोई काम करता।
इस दिवस को मनाए जाने के पीछे मंतव्य देशभर के मजदूरों के प्रति कृतज्ञता जाहिर करना है ।किसी भी देश का मजदूर वर्ग उस देश की रीढ़ माना जाता है। देश के विकास और उत्थान में जितना सहयोग उस देश के मजदूरों का होता है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।देश के मजदूरों को उनके योगदान हेतु प्रोत्साहित एवम प्रेरित करने हेतु भी मजदूर दिवस मनाया जाता है। यह भी कहा जा सकता है कि मजदूरों के प्रति आदर और सम्मान व्यक्त करने का यह एक खूबसूरत जरिया है।
विश्व में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस सबसे पहली बार 1 मई को 1886 में अमेरिका में मनाया गया था। भारत में श्रमिक दिवस पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया था। मजदूर दिवस को मनाए जाने की शुरूआत वहीं से हुई थी। उस समय मजदूर यूनियन के नेताओं ने मजदूरों के काम के घंटे निश्चित करने की मांग उठाई थी और अपील की थी कि दिन भर में 10 घंटे के स्थान पर केवल 8 घंटे ही मजदूर अपना कार्य करेंगे। मजदूर दिवस मजदूरों के प्रति आभार व्यक्त करने और उनके परिश्रम को सलाम करने का दिन है।
इस दिन दुनिया भर के लोगों को मजदूरों के राष्ट्र विकास में योगदान से रूबरू कराया जाता है ,उनकी भूरी भूरी प्रशंसा भी की जाती है। वास्तव में यह दिवस उन सभी मजदूरों और श्रमिकों को समर्पित है जिन्होंने जी जान से पूरी मेहनत कर अपने दम पर अपने देश और समाज को आगे ले जाने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
वैसे तो पूरा वर्ष ही मजदूरों के प्रति हमें अपना आभार व्यक्त करना चाहिए क्योंकि बिना मजदूरों के किसी भी देश के विकास की कल्पना की ही नहीं जा सकती। हम अपने हर छोटे बड़े काम के लिए उन्हीं पर निर्भर करते हैं। मजदूर वर्ग का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में सबसे महत्वपूर्ण हाथ होता है,इसलिए उनके प्रति हमें कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उनके हक़ के समर्थन में नि:संकोच आगे भी आना चाहिए। देश के विकास और उत्थान में मजदूरों का जो भी योगदान होता है उसे सराहने और प्रोत्साहित करने हेतु भी मजदूर दिवस मनाया जाता है ताकि मजदूरों को भविष्य में और भी अधिक जज्बे और मेहनत के साथ काम करने का प्रोत्साहन मिले, उनकी दशा में सुधार हो उनका जायज़ हक़ उन्हें मिले जिससे हमारा देश नित नई सफलताएं हासिल करे एवम भारत का विश्व गुरु बनने का सपना बहुत जल्द साकार हो सके।