विनोद तकियावाला
विश्व के सबसे बड़े लोक के मन्दिर जिसे हमारे संविधान निर्माताओं नें संसद का नाम दिया गया है। जिस में दो सदन है।लोक सभा व राज्य सभा। लोक सभा में जनता के द्वारा चुनने गये प्रतिनिधि होते है जबकि राज्य में राज्यों के प्रतिनिधि होते है।दोनो सदन के प्रतिनिधि को सांसद के नाम से जाना जाता है।खैर भारतीय संसद के रूप रेखा पर किसी अन्य आलेख में हम चर्चा करेगे।आप हम विगत दिनों संसद के मानसून सत्र जो कि 20 जुलाई को शुरू हो कर 11अगस्त तक सत्रावसान हो चुका है।इस पर चर्चा कर रहे है।जैसा कि सर्व विदित है कि संसद का मानसुन सत्र में मणिपुर हिंसा को लेकर खूब हंगामेदार रहा है।संसद में मणिपुर की घटना व दिल्ली सर्विस बिल पर विपक्षी गठन बन्धन अथार्त I.N.D.I.Aआई एन डी आई ए एकजुट रहा।
आप को बता दे कि मानसून सत्र शुरू होने से पहले मणिपुर की एक वीडियो वायरल हुई थी। जिसमें भीड़ ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया था।इस वीडियो के सामने आने के बाद संसद में हंगामे के आसार थे।मणिपुर हिंसा को लेकर एकजुट हुए विपक्ष ने संसद में केंद्र सरकार को घेर लिया।विपक्षी गठबंधन इंडिया ने इस मुद्दे पर सदन में चर्चा और पीएम मोदी के बयान की मांग की।
मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष की मांग को लेकर मानसून सत्र का ज्यादातर हिस्सा बाधित रहा। सरकार ने कहा कि वे चर्चा के लिए तैयार हैं,लेकिन इस मुद्दे पर अमित शाह जवाब देंगे. हालांकि विपक्ष पीएम मोदी के बयान की मांग पर अड़ा था।मणिपुर में बीती तीन मई को मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में जातीय हिंसा भड़की थी।जिसमें अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
इस बीच हरियाणा के नूंह जिले में हुई हिंसा का मुद्दा भी सदन में गूंजा. विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में नूंह हिंसा पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था।नूंह में 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद की शोभायात्रा पर पथराव के बाद हिंसा भड़की थी।बाद में ये हिंसा गुरुग्राम तक फैल गई थी।इसमें दो होम गॉर्ड के जवान समेत छह लोगों की मौत हुई थी।
दिल्ली सेवा बिल हुआ पास
मानसून सत्र में दिल्ली अध्यादेश से जुड़ा विधेयक भी पेश किया तथा लोकसभा में मह बिल 3 अगस्त को पारित किया गया।लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है इसलिए वहां से बिल को पारित कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई।बीजेपी के सामने बिल को राज्यसभा में पास कराने की चुनौती थी। हालांकि,सरकार को वहां भी कामयाबी मिली और ये बिल7अगस्त को राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया।राज्यसभा में बिल के पक्ष में131और विपक्ष में 102 वोट पड़े। आम आदमी पार्टी,कांग्रेस के अलावा विपक्षी गठबंधन इंडिया के सभी सहयोगी दलों ने बिल का विरोध किया ।राज्यसभा में बिल पास होने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसे भारत के लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया और कहा कि ये कानून दिल्ली की चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने देगा ।मणिपुर हिंसा के मुद्दे को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिस पर 8 से लेकर 10 अगस्त तक चर्चा हुई ।कांग्रेस के गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत की थी जिसमें राहुल गांधी,अमित शाह,स्मृति ईरानी,अन्य प्रमुख सांसदों ने भाग लिया।10अगस्त को पीएम मोदी ने प्रस्ताव पर जवाब दिया।सदन से विपक्ष के वॉकआउट के कारण अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया।
अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष पर जोरदार हमला बोला और 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत का दावा किया।पीएम ने कहा कि मैंने2018में कहा था कि ये 2023 में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे. अविश्वास प्रस्ताव हमारी सरकार का टेस्ट नहीं है,बल्कि ये विपक्ष का टेस्ट है।देश की जनता को हमारी सरकार पर भरोसा है । एनडीए और बीजेपी 2024 के चुनाव में पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़कर बड़ी जीत के साथ जनता के आशीर्वाद से वापस आएगी. 2028में विपक्ष फिर से अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारें ये सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हुँ कि आने वाले समय में मणिपुर में शांति बहाल कीजाएगी ।मैं मणिपुर की महिलाओं और बेटियों सहित मणिपुर के लोगों को बताना चाहता हूं कि देश आपके साथ है ।उन्होंने सदन के सांसदों से मणिपुर मुद्दे का राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया।संसद का यह मानसुन कांग्रेस पार्टी के लिए शुभ समाचार ले कर आया।सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को 4 अगस्त को बड़ी राहत देते हुए उनको मोदी सरनेम मामले में मिली सजा पर रोक लगा दी थी।इसके बाद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता बहाल हो गई।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 7अगस्त को उन्हें संसद में शामिल होने की अनुमति दी।जिसके बाद राहुल गांधी सदन में आए।राहुल गांधी ने संसद में दिए अपने भाषण में केंद्र पर जोरदार हमला बोला और कहा कि मोदी सरकार ने मणिपुर में भारत माता की हत्या की है।विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसद मणिपुर मुद्दे पर विरोध जताने के लिए 27 जुलाई को संसद में काले कपड़े पहनकर पहुंचे।विपक्षी सांसदों ने परिसर में प्रदर्शन भी किया था।कांग्रेस सासंद शशि थरूर ने कहा था कि काले कपड़े पहनने के पीछे विचार ये है कि देश में अंधेरा है तो हमारे कपड़ों में भी अंधेरा होना चाहिए।वहीं राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा था कि जिनका मन और तन काला है उनके दिल में क्या छुपा है।इनका वर्तमान,भूत और भविष्य काला है,लेकिन हमें उम्मीद है कि उनकी जिंदगी में भी रोशनी आएगी।मानसून सत्र में आम आदमी पार्टी के तीन और कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को सस्पेंड किया गया।आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा और लोकसभा सांसद सुशील कुमार रिंकू को निलंबन का सामना करना पडा।राघव चड्ढा को नियमों के उल्लंघन, अवमाननापूर्ण आचरण, विशेषाधिकार समिति की लंबित रिपोर्ट के लिए राज्यसभा से निलंबित किया गया।कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान पीए मोदी पर टिप्पणियों और उनकेआचरण के कारण10अगस्त को निलंबित किया गया था।संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को मानसून सत्र में हुआ कामकाज की जानकारी देते हुए बताया कि 23 दिनों तक चले सत्र के दौरान कुल 17 बैठकें हुईं। लोकसभा में कुल 20 बिल पेश किए गए और 5 बिल राज्यसभा में पेश किए गए. लोकसभा में कुल 22 विधेयक पारित हुए,राज्यसभा में 25 विधेयक और दोनों सदनों में कुल 23 विधेयक पारित हुए । तीन बिल को राज्यसभा स्टेंडिंग कमेटी को भेजा गया। सता पक्ष – विपक्ष को लेकर कई चर्चा चिन्तन का दौर जारी है। इस संदर्भ में एक पत्र के संपादकीय का सहारा लेना पड़ रहा है।
शिवसेना के मुख पत्र’सामना में पी एम के द्वारा लोकसभा में दिये गये भाषण पर निशाना साधा है सामना के संपादकीय में पीएम मोदी के लोकसभा में दिए भाषण को घिसा-पिटा बताया गया और कहा गया कि इसने कांग्रेस को बड़ा बना दिया।पत्र के संपादकीय में कहा गया, प्रधान मंत्री के ‘दो घंटे के भाषण में वे सिर्फ तीन मिनट मणिपुर पर बोले। उन्होंने वही रटा रटाया कांग्रेस पुराण सुनाया।शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में कहा गया कि विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के कारण प्रधानमंत्री को लोकसभा में आकर बोलना पड़ा।कांग्रेस पर पीएम मोदी के हमले का जिक्र करते हुए सामना ने लिखा’पंडित नेहरू की वैश्विक आभा और स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस के काम मोदी के लिए यातना की तरह हैं।दस साल सत्ता में रहने के बाद भी मोदी इस यातना से अभी उबर नहीं पाए हैं।पत्र संपादकीय आगे लिखता है,’मणिपुर समस्या का ठीकरा उन्होंने पंडित नेहरू पर फोड़ा,तो फिर पिछले दस वर्षों में सत्ता में रहकर आपने क्या किया?दस वर्ष प्रधानमंत्री रहने के बावजूद मणिपुर का ठीकरा नेहरू पर फोड़ना यह राजनीतिक दिवालियापन ही है।पी एम के संसद में दिये गए मणिपुर में जल्द ही शांति का सुरज निकेलगा। इस पर तंज कसते हुए अखबार ने लिखा,जब आप कहेंगे उगने के लिए,तभी उगेगा.क्या सूर्य पर बीजेपी का मालिकाना हक है? अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कइयों के मुखौटे उतर गए और सत्ता पक्ष का चिड़चिड़ापन सभी के सामने आ गया ।
राहुल गांधी का भाषण ही इस चिड़चिड़ेपन की मुख्य वजह रही ।आज राहुल गांधी दस साल पहले वाले नहीं रहे।मणिपुर के मुद्दे पर पीएम मोदी ने राजनीति नहीं करने का आह्वान किया।मोदी ने 2 घंटे 13 मिनट मिनट का भाषण किया,जिसमें से 2 घंटे 10 मिनट राजनीति पर बोले और बचे 3 मिनट मणिपुर के लिए थे।पीएम ने कहा था, ‘पूर्वोत्तर भारत से मेरा खुद का भावनात्मक नाता है।इस बयान पर अखबार ने कहा,यदि इतने भावनात्मक नाते-रिश्ते हैं तो फिर मणिपुर में जब निर्वस्त्र कर महिलाओं के बार-बार जुलूस निकाले जा रहे थे,तब प्रधानमंत्री मोदी की भावनाएं क्यों जम गई थीं?यदि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया होता तो मोदी मणिपुर का मौन कभी तोड़ते ही नही।मोदी को आखिर कार मणिपुर पर अपना मुंह खोलना पड़ा और अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य सफल हो गया ।’संपादकीय के आखिर में कहा गया कि बीजेपी के पास मोदी और दंगे के सिवा कोई दूसरा नही है।राजनैतिक बाजार पूरी तरह से बदल चुका होगा।भारतीय राजनीति के पंडितो का मानना है कि मणिपुर पर अपना अभिभाषण यदि उन्होंने संसद के दोनों सदनों में किया होता तो विपक्षी गठबन्धन ‘इंडिया’ पक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाना नहीं पड़ता।मोदी को इस उम्र में 2 घंटे 13 मिनट तक चिड़चिड़ नहीं करनी पड़ती।मोदी ने अपने भाषण से कांग्रेस को बड़ा बना दिया। भारतीय राजनीति में एक कहावत बडी महसूर है कि राजनीति में ना कोई स्थाई दोस्त होता है,ना ही कोई स्थाई दुश्मन।
भारतीय राजनीति का ऊँट किस करवटें बदलेगा यह तो अतीत के गर्भ में छुपा है। इसका फैसला आने वाले समय में भारतीय मतदाता की सोच – समझ पर र्निभर करेगा।