सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : देश के चैंपियन खिलाड़ी तैयार करने के लिए खिलाड़ी के खुद के कौशल और उस्तादों के मार्गदर्शन के साथ आज के नए जमाने में खेल विज्ञान , डॉक्टरों और उसके लिए सही पोषण की जरूरत पड़ती है। इसी मकसद से यहां शुक्रवार से आईआईटी मद्रास ने दो दिन के स्पोटर्स टैक स्टार्ट-अप कॉन्कलेव २०२४ सेंटर ऑफ एक्सिलेंसस इन स्पोटर्स साइंस एनालिटिक्स (सीईएसएसए) , आईआईटी मद्रास के तत्वाधान में शुरू हुआ। इस कॉन्क्लेव का मकसद खेल में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य से स्वदेशीकरण और प्रोद्योगिकी सहयोग को बढ़ाना है। इस कॉन्क्लेव में नैशनल सेंटर स्पोटर्स साइंस एंड रिसर्च (एनसीएसएसआर) के डायरेक्टर इनचार्ज एंड हेड ब्रिगेडियर डॉ. बिभु कल्याण नायक, आईआईटी मद्रास के डायेक्टर प्रोफेसर डॉ. वी कामाकोटी और सेंटर ऑफ एक्सिलेंसस इन स्पोटर्स साइंस एनालिटिक्स , आईआईटी मद्रास के हेड डॉ. महेश पंचांगुला ने शिरकत की। इस दौरान खेल डॉ.महेश ने खेल में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर भारत को अत्याधुनिक प्रोद्योगिकी से मजबूत बनाने का खाका और विजन पेश किया। इस मौके पर खिलाड़ियों को अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए प्रोद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए डॉ. बिभु नायक की मध्यस्थता में पैनल चर्चा शिरकत करने वाले देश के पूर्व चैंपियन डॉ.आर नटराजन ने कहा भारत को चैंपियन एथलीट तैयार करने हैं तो बराबर बदलते दौड़ के ट्रैक के मुताबिक धावकों को खुद को तैयार करना जरूरी है उन्हें आज के जमाने के मुताबिक जूते सहित अन्य आधुनिक सामान भी मुहैया कराने की जरूरत है। नटराजन ने इस पैनल चर्चा में कहा कि इस बार पेरिस ओलंपिक में १०० मीटर की फर्राटा दौड़ में उसेन बोल्ट का रिकॉर्ड टूट जाएगा।
भारतीय खिलाड़ियों को शारिरिक रूप से फिट और चोट से मुक्त रखने के साथ चोट लगने पर उसे फिर से मैदान में खेलने के काबिल बनाने में नैशनल सेंटर स्पोटर्स साइंस एंड रिसर्च (एनसीएसएसआर) के डायरेक्टर इनचार्ज एंड हेड ब्रिगेडियर डॉ. बिभु कल्याण नायक जैसे काबिल डॉक्टरों का मार्गदर्शन और सहयोग अहम है। डॉ. नायक ने कहा, ज्हमारी कोशिश एनसीएसएसआर को एक ऐसा वैश्विक ख्याति प्राप्त खेल विज्ञान और खेल औषधि संस्थान बनाना है, जो अनुसंधान में बेजोड़ हो और जिसका फोकस भारतीय एथलीटों से ओलंपिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन कराने पर हो। हमारा मकसद विशिष्ट ए़थलीटों के वैज्ञानिक रूप से मजबूत एकीकृत खेल विज्ञान और खेल चिकित्सा ढांचा बना उसे कार्यान्वित करना है। साथ ही भारतीय एथलीटों को प्रतिस्पर्धी उत्कृष्टता और समग्र कल्याण के लिए बेहतरीन खेल विज्ञान, खेल चिकित्सा संकाय और जरूरत पर सही सलाह की जरूरत होती है। हमारा लक्ष्य संस्थागत दक्षता का लाभ उठाते हुए खेल विज्ञान और खेल चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान के ढांचे को मजबूत बढ़ाना है।
खेल प्रोद्योगिकी का बाजार अच्छा खासा बड़ा होने वाला है : कामाकोटी
इस मौके पर आईआईटी मद्रास के डायेक्टर प्रोफेसर डॉ. वी कामाकोटी ने इस कॉन्क्लेव की अहमियत बताते हुए कहा, ज् आज के जमाने में खेलों में प्रोद्योगिकी की मदद लेने का चलन बराबर बढ़ रहा है। आईटीटी मद्रास खेल और प्रोद्योगिकी को एक साथ ले कर चलने को प्रतिबद्ध है।हमें पूरा विश्वास है की खेल प्रोद्योगिकी का बाजार अच्छा खासा बड़ा होने वाला है। ऐसे में जरूरत भारतीय खिलाड़ियों के लिए स्वदेशी सामान और उपकरण तैयार करने की है। खिलाड़ियों के स्वा्स्थ्य पर निगाह रखने के साथ खिलाड़ी विशेष की प्रगति पर निगाह रखने के लिए भी उपकरणों की जरूरत है। आईआईटी मद्रास इस दिशा में काम करता रहेगा।
इस कॉन्क्लेव में छांटे गए स्पोटर्स टेक स्टार्ट अप एक सम्मानीय ज्यूरी पनल के सामने अपने उत्पादों को प्रस्तुत करेंगे। अंतिम रूप से चुनी गई कंपनियों को आईआईटीएम प्रवर्तक टेक्नालजी से वित्तीय मदद मिलेगी। आईआईटीएम की योजना पांच साल में 200 सपोटर्स टेक स्टार्ट अप को मदद देने की है।
दूरदर्शी स्टार्ट अप को समर्थन दे भारत में खेल प्रोद्योगिकी का नया दौर शुरू का रहे हैं : डॉ. महेश
सेंटर ऑफ एक्सिलेंसस इन स्पोटर्स साइंस एनालिटिक्स , आईआईटी मद्रास के हेड डॉ. महेश पंचांगुला ने कहा, ज् यह कॉन्क्लेव खेलों में नवाचार को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। हम दूरदर्शी स्टार्ट अप को एकजुट कर पुरजोर समर्थन दे भारत में खेल प्रोद्योगिकी का नया दौर शुरू का रहे हैं। हमारी यह कोशिश हमारे लक्ष्य के अनुरूप है। इसका मकसद खेल में उत्कृष्टता लाकर वैश्विक खेल मंच पर भारत के सपनों को पूरा करने में योगदान कना है।