
सुनील कुमार महला
वर्ष वर्ष 2025 का आगमन हो चुका है। नया साल भारत के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत ही शानदार उपलब्धियों व कीर्तिमान स्थापित करने वाला होने वाला है। मीडिया के हवाले से खबरें आ रहीं हैं इस वर्ष यानी कि 2025 में इसरो चार जीएसएलवी, तीन पीएसएलवी और एक एसएसएलवी रॉकेट लॉन्च करेगा। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि स्पेस मिनिस्टर श्री जितेंद्र सिंह ने इसरो की उपलब्धियों पर जोर देते हुए कुछ समय पहले यह कहा था कि एक समय अमेरिका चंद्रमा मिशन में व्यस्त था और आज इसरो अमेरिकी उपग्रहों को लॉन्च कर रहा है। उन्होंने कहा था कि ‘यह वर्ष यानी कि 2025, न केवल इसरो की तकनीकी प्रगति का गवाह बनेगा, बल्कि भारत की अंतरिक्ष शक्ति को वैश्विक स्तर पर और अधिक सशक्त करेगा।’ जानकारी के अनुसार ‘नए साल(2025) के पहले छह महीनों में छह बड़े मिशन लॉन्च होंगे।’ पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि इसरो वर्ष 2024 के अंत में अपने स्पैडेक्स मिशन को लांच कर चुका है और यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि अब जनवरी-2025 में इसरो अपने 100 वें मिशन को लांच करने जा रहा है। इस मिशन को जीएसएलवी एफ-15/एनवीएस-02 नाम दिया गया है। यह सेकंड जनरेशन का सैटेलाइट होगा, हालांकि, इसे जनवरी में कब लॉन्च किया जाएगा, इसकी आधिकारिक तारीख अभी जारी नहीं की गई है। सौंवा मिशन जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी जीएसएलवी एमके-II रॉकेट के जरिए भेजा जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय उपग्रह नेविगेशन का विस्तार करना है। नेविगेशन पेलोड के जरिए ही धरती पर यूजर्स तक सिग्नल्स पहुंचाए जाते हैं। ऐसा तीन बैंड एल-1, एल-5 और S के स्पेक्ट्रम के जरिए होता है।मिशन के जरिए भेजा जाने वाला नेविगेशन सैटेलाइट(एनपीएस)भारतीय जीपीएस नेविगेशन विद इंडियन कॉस्टेलेशन का हिस्सा रहेगा। इस मिशन से फायदा यह होगा कि इससे आर्मी की लोकेशन के साथ जमीन, हवा और पानी में नजर रखी जा सकेगी। इससे एक ओर जहां खेती-किसानी में मदद मिलेगी वहीं पर दूसरी ओर इससे इमरजेंसी सर्विस भी बेहतर हो सकेगी। मोबाइल में लोकेशन से जुड़ी सर्विसेस को भी इससे बेहतर बनाया जा सकेगा। इतना ही नहीं, इससे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, पावर ग्रिड और सरकारी एजेंसी को टाइमिंग सर्विस उपलब्ध कराई जा सकेगी तथा साथ ही साथ इससे इंटरनेट बेस्ड ऐप और अधिक बेहतर हो सकेंगी। बहरहाल, उल्लेखनीय है कि इस साल यानी कि 2025 में इसरो द्वारा निसार, महिला रोबोट ‘व्योममित्र'(महिला ह्यूमनॉइड व्योममित्र), गगनयान सहित अन्य मिशन लॉन्च होंगे। उल्लेखनीय है कि ‘व्योममित्र’ मिशन गगनयान के मानव मिशन(व्योम मित्र रोबोट) की तैयारी का एक महत्वपूर्ण कदम है। दरअसल, ‘व्योम मित्र’ मिशन फाइनल मानव मिशन जैसा ही होगा, बस इसमें इंसान नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि गगनयान के पहले मानवरहित मिशन को भी नए साल की पहली तिमाही में लॉन्च किया जा सकता है। जानकारी मिलती है कि नासा- इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) सैटेलाइट लॉन्च कर सकता है, जो कि अपनी तरह का सबसे महंगा सैटेलाइट है,जिसकी अनुमानित लागत 12,505 करोड़ बताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि यह भारत-अमेरिका द्वारा विकसित मिशन है। यह उपग्रह हर 12 दिन में पृथ्वी की सतह और बर्फ की निगरानी करेगा, जिसमें उच्च रेजोल्यूशन की क्षमताएं होंगी। कहना ग़लत नहीं होगा कि, इसरो का गगनयान मिशन एक दमदार मिशन होगा। इस संबंध में जानकारी मिलती है कि मानव युक्त अंतरिक्ष उड़ान गगनयान 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत में होगा। उल्लेखनीय है कि इसरो ने मार्च से पहले गगनयान मिशन के लिए ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ का परीक्षण करने की भी योजना बनाई है। इतना ही नहीं,एक अमेरिकी कस्टमर के लिए मोबाइल कम्युनिकेशन सैटेलाइट का कमर्शियल लॉन्च भी जल्द ही होने वाला है। पाठकों को बताता चलूं कि केंद्रीय मंत्री ने बताया था कि ‘पहली तिमाही में एक अंतरराष्ट्रीय कस्टमर के लिए एलवीएम 3-एम-5 मिशन निर्धारित है। फरवरी या मार्च तक अमेरिका के लिए डायरेक्ट मोबाइल कम्युनिकेशन के लिए एक उपग्रह भी लॉन्च किया जा रहा है।’ यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसरो द्वारा की अन्य महत्वपूर्ण मिशन भी अभी पाइपलाइन में हैं। निश्चित ही ये सारे मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को और अधिक मजबूत करेंगे। कहना ग़लत नहीं होगा कि इसरो न सिर्फ देश के लिए बल्कि दुनियाभर के लिए स्पेस साइंस में योगदान दे रहा है। अंत में, यही कहूंगा कि इस साल जहां एक ओर एनवीएस-02 हमारे देश के नेविगेशन सिस्टम को बेहतर बनाएगा, वहीं दूसरी ओर ‘निसार'(भारत -अमेरिका द्वारा विकसित)पृथ्वी की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि भारत का व्योममित्र मिशन गगनयान के लिए रास्ता तैयार करेगा, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवान्वित करने वाली उपलब्धि होगी। इसी बीच, हाल ही में केंद्र सरकार ने वी नारायणन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है और वे 14 जनवरी 2025 को इसरो के वर्तमान प्रमुख एस सोमनाथ से पदभार ग्रहण करने जा रहे हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि अब इसरो को एक नया चेहरा मिलने जा रहा है, जो कि इसरो में काफी बड़ा नाम है। जानकारी के अनुसार वे 1984 में इसरो में शामिल हुए थे तथा उन्होंने करीब चार दशकों तक अंतरिक्ष संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। आपकी विशेषज्ञता रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रोपल्शन में है। उल्लेखनीय है कि डॉ. नारायणन का आदित्य अंतरिक्ष यान और जीएसएलवी एमके-III मिशन, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के प्रणोदन प्रणालियों में भी योगदान रहा है। कहना चाहूंगा कि निश्चित ही डॉ. वी. नारायणन के सानिध्य और अनुभवों के चलते इसरो इस साल में निश्चित ही और अधिक ऊंचाइयों को छूएगा और भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक विश्व शक्ति बनकर उभरेगा। सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।