हमारी टीम में है हॉकी विश्व कप में पदक जीतने की पूरी क्षमता : हरेन्द्र

  • हमारी टीम 2018 विश्व कप में भी थी सेमीफाइनल की हकदार
  • दुनिया के नंबर 1 ड्रैग फ्लिकर कप्तान हरमनप्रीत हैं हमारी ताकत
  • वरुण और रोहिदास के रूप में हैं पेनल्टी कॉर्नर पर और भी विकल्प
  • हमारे खिलाड़ी आज जरूरत के मुताबिक किसी भी पॉजीशन पर खेलने में सक्षम
  • हमें स्पेन व इंग्लैंड के जवाबी हमलों से चौकस रहना होगा
  • अनुभवी आकाशदीप व ललित नए खिलाडिय़ों के मार्गदर्शन की जिम्मेदारी

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : भारत के आज के जमाने की हॉकी के सबसे सक्षम और सुयोग्य हॉकी गुरू हरेन्द्र सिंह ही रहे हैं। 2016 में लखनउ में हरेन्द्र के चीफ कोच रहते भारत ने $$जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप जीता और 2018 में ब्रेडा में चैंपियंस ट्रॉफी के हॉकी के फाइनल में स्थान पाया। बतौर चीफ कोच हरेन्द्र के ही मार्गदर्शन में 2018 में भुवनेश्वर में पिछले विश्व कप में भारत ने’विवादास्पद’ क्वॉर्टर फाइनल में तब उपविजेता बनी नीदरलैंड से 1-2 से हारने से पहले तब पहली बार खिताब जीतने वाली अब दुनिया की नंबर एक टीम बेल्जियम को दो-दो की बराबरी पर रोक कर पूल सी में शीर्ष स्थान पाया था। पिछला हॉकी विश्व कप हरेन्द्र का भारत के चीफ कोच के रूप में आखिरी था। भारत की इस बार राउरकेला-भुवनेश्वर में हॉकी विश्व कप में शिरकत करने जा रही टीम में पिछली बार शिरकत करने वाली टीम के दर्जन भर खिलाड़ी हैं। हरेन्द्र सिंह 2021 से अमेरिका की पुरुष हॉकी टीम के हेड कोच हैं।

प्रस्तुत है लॉस एंजेल्स (अमेरिका) से हरेन्द्र सिंह से राउरकेला-भुवनेश्वर 2023 पुरुष हॉकी विश्व कप पर बेहद खास बातचीत।

2018 के हॉकी विश्व कप में बतौर कोच भारत कीबहुत करीबी क्वॉर्टर फाइनल में 1-2 से हार की टीस क्या आज भी महसूस करते हैं?
हमारी भारतीय टीम ने 2018 के हॉकी विश्व कप नीदरलंैंड के खिलाफ क्वॉर्टर में बेहतरीन खेल दिखाया था। हमार फॉरवर्ड का गेंद पर कब्जा नीदरलैंड से बेहतर रहा था। हम नीदरलैंड की डी में उससे ज्यादा गेंद को लेकर पहुंचे थे। हम पर नीदरलैंड के दोनों गोल अप्रत्याशित थे। हम आखिर तक क्वॉर्टर फाइनल में लड़े थे। मैं कहूंगा कि हमारी टीम 2018 विश्व कप के सेमीफाइनल में स्थान बनाने की हकदार थी। अफसोय बस यही कि जीत के लिए किस्मत का जो साथ थोड़ा जरूरी था वह हमें नहीं मिल पाया। मैं मानता 52वें अमित रोहिदास को पीला कार्ड दिखाकर बाहर भेजा जाना कतई वाजिब नहीं था। अमित की हॉकी अनजाने में नीदरलैंड के खिलाड़ी को लगी थी। तब अमित को हरा कार्ड दिखा चेतावनी देकर छोड़ देना ही मुनासिब होता। तब की हमारी टीम वाकई बहुत अच्छी थी। तब हमने एशियाई खेलों के सेमीफाइनल में हार के बाद विश्व कप के लिए अपनी जो रणनीति बदली वह खासी कारगर रही। आज भी पलटकर इस पर निगाह डालता हूं तो पाता हूं कि शीर्ष पर रहकर क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचने के बाद ही हम किस्मत से मात खां क्वॉर्टर फाइनल हार गए थे। तह अर्जेंटीना के मैक्स कालडा नीदरलैंड टीम के हेड कोच और भारतीय टीम के मौजूदा चीफ कोच ग्राहम रीड नीदरलैंड टीम के सहायक कोच थे। बेशक रीड भी मेरी इस राय से सहमत होंगे कि हम 2018 में विश्व कप के सेमीफाइनल में स्थान बनाने के हकदार थे।

जब आपने 2018 के हॉकी विश्व कप के बाद भारत के चीफ कोच का पद छोड़ा तब आपको टीम से क्या उम्मीदें थीं?
मैंने 2018 के पुरुष हॉकी विश्व कप के बाद जब भारतीय हॉकी टीम के चीफ कोच का पद छोड़ा तो मैंने यही भविष्यवाणी की थी हमारी यही टीम टोक्यो ओलंपिक 2021में जरूर पदक जीतेगी और इसका रंग हमारे खिलाड़ी तय करेंगे। मुझे इस बात की आज बेहद खुशी है कि हमारी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में 41 बरस लंबे अंतराल के बाद कांसे के रूप में फिर पदक जीता। मैं अब इसी अंदाज में फिर कहूंगा कि अब मेरा मानना है कि राउरकेला-भुवनेश्वर 2023 पुरुष हॉकी विश्व कप में शिरकत करने जा रही हमारी भारतीय हॉकी टीम के पदक जीतने की संभावना ही नहीं बल्कि पूरी क्षमता है। बेशक इस बार हम साढ़े चार दशक के बाद फिर हॉकी विश्व कप में जरूर पदक जीतेंगे। इस पदक का रंग क्या होगा बस यह नहीं कह सकता।

क्या भारत कप्तान ड्रैग फ्लिकर से हॉकी विश्व कप में जरूरत से ज्यादा उम्मीदें लगाए है?
मेरी बतौर कोच दुनिया भर की दिग्गज टीमों के हॉकी कोचों से जब भी बात होती है तो कमोबेश सभी एक सुर में हमारी भारतीय हॉकी टीम के कप्तान डै्रग फ्लिकर को दुनिया का नंबर एक डै्रग फ्लिकर मानते हैं। अब तक हुए 14 पुरुष हॉकी विश्व कप के इतिहास पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि 1971 में बार्सीलोना में पहले संस्करण में पाकिस्तान के पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ तनवीर दार , १९७३ में ताके ताकेमा(नीदरलैंड), और 2018 में अलेक्जेंडर हेंड्रिक्स (बेल्जियम) भुवनेश्वर मे सबसे ज्यादा गोल करं अपनी अपनी टीमों को खिताब जिताने में अहम भूमिका अदा की। पाकिस्तान कें सुहेल अब्बास, नीदरलैंड के लिए बोवलेंडर, ताके ताकेमा,ब्रैम लोमंस और ऑस्ट्रलिया के लिए ब्लैक गोवर्स $$जैसे ड्रैग फ्लिकरों ने अपनी अपनी टीमों को विश्व कप और ओलंपिक जैसे दुनिया के सबसे बड़े टूर्नामेंट फाइनल तक पहुंचाने और खिताब जिताने में अहम भूमिक निभााई। भारत के लिए बतौर डै्रग फ्लिकर कप्तान हरमनप्रीत सिंह में यही भूमिका निभाने की पूरी क्षमता है। मैं साफ तौर पर कहूंगा कि हरमनप्रीत सिंह से भारतीय टीम , टीम साथी खिलाडिय़ों और चीफ कोच ग्राहम रीड, और मेरे और मुझ सरीखे हर भारतीय हॉकी के हर समर्थक का ड्रैग फ्लिक पर गोल उसकी चुनौती से आगे से आगे ले जाने की आस करना एकदम सही है। हरमनप्रीत सिंह बेशक बतौर ड्रैग फ्लिकर पेनल्टी कॉर्नर पर भारत की तुरुप के इक्के साबित होंगे। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि हरमनप्रीत के साथ पेनल्टी कॉर्नर पर वरुण कुमार का इनडायरेक्ट और अमित रोहिदास से डायरेक्ट यानी सीधे शॉट से गोल करने में कोई जवाब नहीं है। ऐसे मे चीफ कोच ग्राहम रीड को पपेनल्टी कॉर्नर पर वरुण और अमित रोहिदास बहुत विकल्प देते हैं।

हमारी भारतीय टीम की सबसे बड़ी ताकत इस विश्व कप में ?
हमारी इस 2023 के विश्व कप में खेलने जा रही टीम की सबसे बड़ी ताकत यही है कि हमारे सभी खिलाड़ी आज के जमाने की हॉकी से कदमताल करते हुए किसी भी पॉजीशन पर खेलने की क्षमता रखते हैं। हमारी टीम के खिलाडिय़ों में आज के जमाने की हॉकी के जरूरी हर का तकनीकी हॉकी कौशल। हमारे खिलाडिय़ों की पासिंग बढिय़ा है। हमारे खिलाडिय़ों के पास थ्री डी स्किल है के साथ खतरनाक डै्रग फ्लिक भी है। कहने का मकसद यही है कि हमारी मौजूदा हॉकी टीम आज की हॉकी के जरूरी हर तरह के कौशल में पारंपगत है। हमारी टीम आज भी उसी शैली से खेल रही है जिससे 2018 सेे खेल रहे है। हमारी टीम आक्रामक हॉकी खेलती नजर आ रही है। हमारी टीम की ताकत भी आक्रामक हा़की है। इसी से भारत की प्रतिद्वंद्वी टीमे खौफ खाती है। भारत के कोच स्पेन के हेड कोच मैक्स कालडा को जानते हैं क्योंकि पिछले विश्व कप में मैक्स उपविजेता रही नीदरलैंड टीम के हेड कोच थे और रीड सहायक कोच। मैक्स और रीड दोनों अनुभवी कोच हैंऔर एक दूसरे की रणनीति को जानते हैं और उसकी काट भी। दोनों की रणनीति का स्पेन और भारत के पहे ही मेच में इम्तिहान होगा। खासतौर पर भारतीय टीम को ओडिशा में हॉकी विश्व कप में घरेलू दर्शकों के अपार समर्थन का मेजबान टीम को बहुत लाभ मिलेगा और उसके लिए हौसला बढ़ाने वाला साबित होगा।

फिर 2023 हॉकी विश्व कप में हमें किस चीज पर खास ध्यान देना होगा?
हमें इस बार 2023 के हॉकी विश्व कप में खासतौर पर अपने पूल डी में इंग्लैंड और स्पेन के जवाबी हमलों से चौकस रहना होगा। हमारी टीम को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि क्वॉर्टर फाइनल और सेमीफाइनल जैसे नॉकआउट पूल से एकदम अलग होते हैं और इसमें आप जरा सी भी ढील या गलती गवारा नहीं कर सकते हैं। क्वॉर्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल के फैसले हॉकी विश्व कप जैसे बड़े नॉकआउट में ज्यादातर 60 मिनट की बजाय शूटआउट में ही ज्यादा होते हैं। इसमें आठ 22 गज से मात्र 8 सेकंड के भीतर गोल करने में सक्षम सात आठ खिलाडिय़ों की सूची बना कोच अपने जेहन में रखता है। उसमें मैच के दिन के मुताबिक किसी भी खिलाड़ी और गोलरक्षक के दिन विशेष के प्रदर्शन को जेहन में रख कर शूटआउट के लिए चुना जाता है। मुमकिन है कि किसी गोलरक्षक का प्रदर्शन मैच के दिन अच्छा न रहे या फिर शूटआउट में गोल करने के लिए पहले से कोच के जेहन मे खिलाड़ी का नामं चल रहा हो वह मैच अच्छा न खेला हो। मसलन पिछले मैच जो खिाड़ी बाहर बैठता है वह शूटआउट मेंं उतर गोल बाजी मार अपनी टीम का तारणहार बन सकता है। भारत और ऑस्टे्रेलिया के बीच हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुई पांच टेस्ट मैच की सीरीज मे मेजबान टीम के हाथों 1-4 हार के नतीजे को मैं बहुत तवज्जो नहीं देना चाहूंगा। भारत के चीफ कोच ग्राहम रीड को इस हॉकी विश्व कप के लिए अपने 18 इससे पहले ही मालूम थे। इसीलिए रीड ने चोट के बाद वापसी करने वाले खिलाडिय़ों को ज्यादा आजमाया। मैं इसीलिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के नतीजे से ज्यादा अहम इससे मिली सीख को मानता हूं।

भारत के लिय गोलरक्षक पीआर श्रीजेश अपना लगातार चौथा, आकाशदीप, मनप्रीत, मनदीप और ललित उपाध्याय लगातार तीसरा विश्व कप खेलेेंगे। भारत के लिए इस विश्व कप में इन चारों का रोल आपकी राय में…

सच कहूंगा कि पीआर श्रीजेश, आकाशदीप, मनदीप, मनप्रीत अैर ललित उपाध्याय के रूप में विश्व कप में खेलने के लिहाज से भारत की झोली अनुभव से लबालब भरी हैे। ये पांचों दिग्गज भी दिल से यह बात जानते होंगे कि यह उनका अपने घर में विश्व कप के रूप में आखिरी सबसे बड़ा टूर्नामेंट है। ऐसे में भारतीय हॉकी टीम के इस सभी दिग्गजों के लिए जरूरी वे अपने पूरे अनुभव का इसतेमाल भारतीय टीम के नए खिलाडिय़ों के एक सूत्र में पिरोए और उसे इस बार विश्व कप में पदक जिताने तक ले जाए।