प्रवासी भारतीय अशोक भट्ट ने आँखों की रोशनी खो चुके रजाक भाई को रिश्तों की अंतरंगता से किया रोशन

गोपेंद्र नाथ भट्ट

डूंगरपुर : इन्दौर में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस में भाग लेने आयें अमरीका के केलिफ़ोर्निया स्टेट के पूर्व वाटर कमीशनर अशोक भट्ट ने अपनी आँखों की रोशनी खो चुके 82 वर्ष के मोहम्मद रजाक को डूंगरपुर जिले के अपने पैतृक गाँव जसेला में आमन्त्रित किया और उनका मेवाड़ी पगड़ी पहना शाल ओढ़ा एवं नगद सम्मान देकर कर न केवल रिश्तों की अंतरंगता से उन्हें रोशन किया वरन ग्राम वासियों को इस हृदय स्पर्शी दृश्य से गदगद कर दिया।

दक्षिणी राजस्थान के वागड़ क्षेत्र के डूंगरपुर नगर के घाँटी मोहल्ला के निवासी रजाक भाई 50-60 वर्षों पूर्व बस ड्राइवर थे और सागवाडा-खड़गदा-चीख़ली-गलियाकोट मार्ग पर बस चलाते थे। वे अक्सर मार्ग में पैदल चल कर स्कूल जाने वाले गरीब बच्चों को देख बस रोक देते थे और उन्हें निःशुल्क बस में बिठा कर गन्तव्य तक पहुँचा देते थे और अन्य वृद्ध यात्रियों को भी उनका सामान चढ़ाने और उतारने में मदद करते थे। अशोक भट्ट उन्हीं बच्चों में से एक थे। कालान्तर में भट्ट पढ़ लिख कर अमरीका चले गए और वहीं बस गए लेकिन रजाक भाई जैसे नेक इन्सान के साथ ही अपने गाँव प्रदेश और देश को कभी नही भूलें और हमेशा अपनी से जड़ों से जुड़ें हुए है। उनकी इसी ख़ासियत के सभी मुरीद है। पिछलें महीनों उन्होंने अपने गाँव की एक आदिवासी बेटी को गौद लेकर उसकी धूमधाम से शादी करवा समाज के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया।

कुछ वर्षों पूर्व ऐसिड गिरने से आखों की रोशनी खो चुके रजाक भाई ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरे जीवन का यह मर्म स्पर्शी क्षण है और मैं अशोक भाई की सौच और महानता का क़ायल हो गया हूँ।मेरे अंतर्मन को उनकी सहृदयता ने दिव्य ज्योति से रोशन कर दिया है। अशोक भाई ने अपने प्रारम्भिक जीवन के संघर्ष के दिनों में उन्हें मदद करने वाले हर व्यक्ति को ढूँढ ढूँढ कर उन्हें और उनके परिवार को हर सम्भव मदद देकर एक नजीर पेश की है। कई को अमरीका भी ले गए हैं।