ओवैसी को सांसद रहने का नैतिक अधिकार नहीं

Owaisi has no moral right to be an MP

गिरीश पंकज

इस देश में धीरे-धीरे देश-विरोधी मानसिकता वाले लोग बढ़ते जा रहे हैं । ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह’ का नारा हो,चाहे भारत माता को डायन कहना; लोग पूरी बेशर्मी के साथ ऐसी बातें कह देते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती । दिखावे के लिए तात्कालिक कार्रवाई तो होती है लेकिन लंबे समय के बाद उसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आता। मामले को ठंडा बस्ते में डाल दिया जाता है। अभी हाल ही में 18 वीं लोकसभा के निर्वाचन के बाद सदन में शपथ ग्रहण करने के बाद एआइएमआइएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अंत में जय फिलिस्तीन का नारा लगा दिया। निःसन्देह यह देशविरोधी हरकत थी। उनके इस नारे का गंभीरतापूर्वक संज्ञान लिया जाना चाहिए ,और कायदे से संविधान के अनुच्छेद 102 (4) के तहत मामला पंजीबद्ध करके इनकी सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए। इस अनुच्छेद में साफ-साफ लिखा है कि कोई भी सांसद किसी अन्य देश के प्रति निष्ठा जताएगा तो उसकी सदस्यता छीनी जा सकती है । और ओवैसी ने स्पष्ट रूप से फिलिस्तीन का नाम लिया। उन्होंने हिंदुस्तान की जय या भारत माता की जय नहीं कहा। (ऐसा तो खैर वह कभी कह भी नहीं सकते) पूरी दुनिया को पता है कि फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास ने किस तरह से इज़राइल के लोगों को तबाह करने की हिमाकत की । इज़राइल ने भी जवाबी हमले कि और फिलिस्तीन को उसने भी नुकसान पहुंचाया। दो देश आपस में युद्ध कर रहे हैं । यह उनका अपना मामला है । लेकिन भारत का कोई सांसद लोकसभा में शपथ लेते हुए फिलिस्तीन की जय का नारा लगाए, तो इससे समझ में आता है कि उसका अपना एजेंडा क्या है । इसी आधार पर कायदे से ओवैसी की सदस्यता समाप्त की जानी चाहिए ।

राष्ट्रपति महोदया को ओवैसी पर फौरन कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन हमारे यहां दिक्कत यही है कि हम लोग किसी भी मामले को टाल देते हैं। जबकि टाला नहीं चाहिए। खास कर जब बात देश की गरिमा की हो। भारत देश के संसद के भीतर ओवैसी में भारत माता की जय नहीं कहा, हिंदुस्तान की जय नहीं कहा, उसने फिलिस्तीन की जय कहा। यह अपने आप में बहुत गंभीर मामला है। इसे हल्के में कदापि नहीं लेना चाहिए। संतोष की बात है कि प्रतिरोध करने वाले कुछ लोग हमारे यहां मौजूद हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक वकील हरिशंकर जैन ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर मांग की है कि देशविरोधी हरकत करने वाले ओवैसी पर कार्रवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद्द करें । हालाँकि यह भी हो सकता है कि आजकल में ओवैसी अपने इस कृत्य के लिए माफी भी मांग ले लेकिन मुझे लगता है उन्हें माफ नहीं करना चाहिए। और कम-से-कम एक-दो वर्ष के लिए उनकी सदस्यता को निलंबित किया जाना चाहिए ताकि उनको सबक मिले और दूसरे भी सावधान हो जाएँ कि भारत की संसद के भीतर भारत माता या भारत/हिंदुस्तान की जय ही का ही नारा लगाया जा सकता है ।

ठीक है कि एक सांसद ने हिंदू राष्ट्र की जय कहा। उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए क्योंकि भारत अभी संवैधानिक रूप से हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं हुआ है । लेकिन इस नारे के पीछे देश विरोधी मानसिकता नहीं है। वह अपने सनातन धर्म के प्रति अतिरिक्त लगाव के कारण वैसा कह गए, जो नहीं कहा जाना चाहिए था। क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। फिर भी उनकी गलती क्षम्य है क्योंकि इस देश का एक नाम हिंदुस्तान भी है। लेकिन ओवैसी की गलती अक्षम्य है। यह साफ है कि हिंदू राष्ट्र की जय के नारे से चिढ़ कर ओवैसी ने फिलिस्तीन की जय का नारा लगाए । उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया इसलिए उनकी हरकत देश विरोधी कही जाएगी। और कायदे से उन पर कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए। और उन्हें फौरन सांसद पद के अयोग्य घोषित कर देना चाहिए। फिलिस्तीन की जय बोलने के बाद जब कुछ लोगों ने ओवैसी से प्रश्न किया कि आपने ऐसा क्यों कहा तो मसीहाई अंदाज में कहने लगे कि वह हाशिये पर पड़े लोगों के मामले उठाते रहेंगे । हालांकि ऐसा कुछ नहीं है कि फिलिस्तीनी लोग हाशिये पर पड़े हैं। उनकी क्रूर हरकतें पूरी दुनिया ने देखी हैं।हाशिये के लोग इतने बर्बर नहीं होते। तरह खून खराबा नहीं करते। तो हाशिये की बात तो बेमानी है। हाशिये के लोगों की आवाज आपको उठानी है तो उन देशों के लोगों की आवाज उठा सकते थे,जहां के बच्चे भुखमरी के शिकार हैं। पीओके और पाक के बलूचियों पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठा सकते थे । आपने ईरान की महिलाओं का मामला नहीं उठाया, जो बुर्के के विरुद्ध संघर्ष कर रही हैं और इस कारण उन पर अत्याचार भी हो रहे हैं ।वे औरतें हाशिये की औरतें हैं। लेकिन फिलिस्तीन के लोगों को हाशिये में पड़े लोगों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

बहरहाल, अगर समय रहते ओवैसी पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो हो सकता है कल को भावावेश में आकर कोई मुस्लिम सांसद पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा दे । इस देश में कुछ भी संभव है। समय-समय पर हम इन खबरों से दो-चार होते ही रहते हैं कि जुलूस में कोई पाकिस्तान के झंडे दिखा रहा है, कोई पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहा है। इस देश में एक अजीब किस्म का लोकतंत्र है। यहां सबको अभिव्यक्ति की आजादी मिली हुई है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोग देशविरोधी आचरण करने लगें। देश के खिलाफ नारे लगाने लगे! विदेशी देश का झंडा लहराने लगे!! लेकिन यह सारी विसंगति इस देश में दिखाई देती है। और संसद में ओवैसी ने जो हरकत की वह तो विसंगति की पराकाष्ठा ही कही जाएगी। कायदे से तो उन्हें सदन में बने रहने का नैतिक अधिकार भी नहीं है। उन्हें तो फिलिस्तीन की नागरिकता ग्रहण कर लेनी चाहिए।

उम्मीद की जानी चाहिए कि राष्ट्रपति महोदया ओवैसी के बयान को गंभीरता से लेंगी और अनुच्छेद 102 के तहत जो प्रावधान किए गए हैं ,उसके तहत ओवैसी की सदस्यता समाप्त करने पर विचार करेंगी। अगर ओवैसी अपने कुकृत्य के लिए माफी मांग लेते हैं, तो भी उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई तो जरूर की जानी चाहिए और कुछ समय के लिए ही सही, उनकी सदस्यता निलंबित की जानी चाहिए। ताकि दोबारा कोई भी सदन में ऐसी हरकत न कर सके । सदन में ही क्यों, बाहर भी किसी भी देश के समर्थन में नारे नहीं लगने चाहिए। नारे लगे तो सिर्फ और सिर्फ भारत माता की जय के ही लगने चाहिए।