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आलेख
धीरेन्द्र शास्त्री पर अंधविश्वास का आरोप तो बहाना है
सुशील दीक्षित विचित्र बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री लिवरल बुद्धिजीवियों , मीडिया के एक वर्ग ही नहीं कांग्रेस के भी निशाने पर हैं। उन पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाने…
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आलेख
बच्चों के भविष्य के लिए मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी है
रेखा शाह आरबी हर परिवार ,समाज, देश की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी वर्तमान जिम्मेदारियों को समझते हुए भविष्य की जिम्मेदारियों को भी गंभीरता पूर्वक समझे और उसकी जिम्मेदारी…
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खेल
बेल्जियम व ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल में पहुंचे
ऑस्ट्रेलिया 0-2 से पिछडऩे के बाद स्पेन से जीता बेल्जियम ने मुस्तैदी से किले की चौकसी कर न्यूजीलैंड को हराया रविवार दिल्ली नेटवर्क भुवनेश्वर : मौजूदा ओलंपिक व विश्व कप…
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खेल
ऑस्ट्रेलिया की टीम स्पेन पर रोमांचक जीत से सेमीफाइनल में
ऑस्ट्रेलिया की जीत में ड्रैग जेरमी हेवर्ड के दो गोल मिरालेज के पेनल्टी स्ट्रोक पर चूकने से स्पेन बराबरी से चूका सत्येन्द्र पाल सिंह भुवनेश्वर : जेविसर गिसपर्ट और मार्क…
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आलेख
अमेरिका हिंसामुक्त कैसे हो?
डॉ. वेदप्रताप वैदिक अमेरिका दुनिया का सबसे संपन्न और शक्तिशाली देश है लेकिन यह भी सच है कि वह सबसे बड़ा हिंसक देश भी है। जितनी हिंसा अमेरिका में होती…
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आलेख
मोढेरा नृत्य महोत्सव : कला और संस्कृति को सजीव रखने का प्रयास
नीलेश शुक्ला नए साल की शुरुआत के साथ ही देशभर में कई उत्सवों का आयोजन किया जाता है। इन उत्सवों के माध्यम से हमारे देश की कला और संस्कृति को…
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आलेख
महासंघ से पहलवानों की कुश्ती का उजागर हो सच
नरेंद्र तिवारी ‘पत्रकार’ कुश्ती के भारतीय खिलाड़ियों का महासंघ के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरने पर बैठना भारतीय कुश्ती इतिहास की अप्रत्याक्षित घटना है। इस घटना के पीछे की सम्पूर्ण सच्चाई…
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आलेख
बहुसंख्य समाज की आस्था पर चोट कब तक?
ललित गर्ग देश में अनेक राजनीति एवं गैर-राजनीतिक स्वार्थों से प्रेरित अराष्ट्रवादी एवं अराजक शक्तियां हैं जो अपने तथाकथित संकीर्ण एवं देश तोड़क बयानों से देश की एकता, शांति एवं…
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आलेख
नये भारत को आकार देने के संकल्पों का गणतंत्र
ललित गर्ग गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इसी दिन 26 जनवरी, 1950 को हमारी संसद ने भारतीय संविधान को पास किया। इस दिन भारत ने खुद को संप्रभु, लोकतांत्रिक…
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आलेख
बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल
हमारा देश वैज्ञानिक दृष्टि से कितना पिछड़ा हुआ है, यह सब रोज-रोज के ऐसे कारनामे देखकर हम समझ सकते हैं, हमारे भारत की महिलाओं में कभी माताएं आती रहती है…
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