आर.के. सिन्हा
यह कोई पुरानी बात नहीं है जब क्रिकेट को लेकर कहा जाता था कि यह भारत में धर्म के समान है। क्रिकेट देश को जोड़ता है। यह जाति, मजहब, वर्ग, लिंग की दीवारों को ध्वस्त करता है। पर नब्बे के दशक में क्रिकेट में सट्टेबाजी में अजय जड़ेजा, मनोज प्रभाकर, मोहम्मद अजहरउद्दीन जैसे भारतीय खिलाड़ियों और कई विदेशी खिलाड़ियों के फंसने के बाद करोड़ों क्रिकेट प्रेमी घोर निराश अवश्य हुए थे। उन्हें लगा था कि क्रिकेट में अब कोई पवित्रता नहीं रही। पर वक्त गुजरने के साथ ही क्रिकेट को लेकर भारत में क्रेज पहले की तरह ही हो गया। फिर से भारत की जीत पर देश खुश होने लगा और पराजय पर उदास। बेशक, क्रिकेट प्लेयर्स को लेकर करोड़ों क्रिकेट के दीवाने जान निसार करते हैं। पर जरा गौर करें कि यह सब तब हो रहा है जब क्रिकेट में शर्ते लगनी या यूँ कहें कि सट्टेबाजी खूब जमकर होने लगी है।
अब जरा देखिए कि भारत में घुड़सवारी को छोड़कर सारे खेलों की सट्टेबाजी पर बैन है। पर इसके बावजूद क्रिकेट में ऑनलाइन सट्टेबाजी (बेट्टिंग) का बाज़ार गरम रहता है। विडम्बना यह है कि एक तरफ़ तो हम पाकिस्तान के खिलाड़ियों को इंडिय़न प्रीमियर लीग (आइपीएल) में खेलने पर बैन लगाते हैं; एक तरफ़ तो उन्हें अपने देश में आतंक और अशांति फैलाने के लिए जी भर के कोसते हैं और दूसरी तरफ़ उनकी क्रिकेट, जिसका आधार उनकी पाकिस्तान सुपर लीग (पीसीएल) है, उसे स्पांसर हम भारतीयों के पैसे से ही किया जाता है।
एक वेबसाइट है sky247.net। ये खुलकर कहती है कि हम बेट्टिंग वेब साइट है। इसके लगभग 70 फ़ीसदी ग्राहक भारतीय हैं। यानी कि इनकी कमाईं का सबसे बड़ा सहारा हम भारतीय ही हैं। हम से पैसा कमा के ये हमारे दुश्मन मुल्क कि क्रिकेट का सहारा बन बैठी है; पाकिस्तान की वैश्विक छवि निखारने में मदद करती है। यह बताना जरूरी है कि पाकिस्तान सुपर लीग की कुल वैल्यूशन 2,640 करोड़ रूपए आंकी गई है। यही नहीं, इसी 247.net ने पाकिस्तान-दक्षिण अफ़्रीका की पिछले साल अबु धाबी में खेली गयी टी20 श्रृंखला को हम भारतीयों के पैसे से ही स्पांसर किया था। यह जानकार किसी भी राष्ट्र भक्त स्वाभिमानी भारतीय के तन बदन में आग लग सकती है।
कितनी बड़ी है यह वेबसाइट। यह जानने के लिए उसके होम पेज पर जाना चाहिए। इसमें उन तमाम सीरिज का नाम है जो इस वेबसाइट ने सिर्फ़ पिछले दो सालों में प्रायोजित की हैं। जैसे कि श्रीलंका प्रीमियर लीग, यूएई और आयरलैंड के बीच खेली गयी एक दिवसीय सीरिज। इसके अलावा दुनिया भर के टी10 और टी20 टुर्नामेंट और यहाँ तक की भारतीय क्रिकेट टीम का पिछले साल 2021 का श्रीलंका का दौरा भी शामिल है।
सुनने को तो यह भी ख़बर आयी थी की बॉलीवुड के सबसे चमकीले प्रोग्राम आईफा अवार्ड्स भी अबु धाबी में यही वेबसाइट स्पांसर कर रही है। अब हम सब जानते हैं की आईफा अवार्ड्स के आयोजन में कई सौ करोड़ रुपय खर्च होते है। साफ़ है कि इस वेबसाइट की भारत से मोटी कमाई होती है। हैरानी की बात यह है की यह बेवसाइट सिर्फ़ दो साल पहले ही रजिस्टर हुई है। दो साल में इतनी कमाई। और वो भी हमारे पैसे से हमारे ही दुश्मन देश को फलने फूलने में मदद करती हो। यह काफ़ी दुखदायक है।
इन सब बातों के बाद एक सवाल बरबस किसी के मस्तिष्क में कौंध उठता है। क्या ऑनलाइन सट्टेबाजी भारत में क़ानूनी रूप से वैध है? भारत में सट्टेबाज़ी के ख़िलाफ़ कार्रवाई तब ही हो सकती है जब पुलिस सट्टेबाजों को सट्टेबाजी करते हुए रंगे हाथों पकड़े। लेकिन, आई.टी. मंत्रालय इस बेबसाइट को भारत में बैन करके भारतीयों को सट्टेबाजी से बचा तो सकता ही है I
इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने 27 नवंबर, 2019 में एक मुक़दमे में अपना पल्ला झड़ते हुए सरकार से कहा था कि वो बताएँ कि वो ऑनलाइन सट्टेबाज़ी पर क्या सोच रखती है।
इन सारे मसले पर तब केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का जवाब था कि वह ऐसी वेबसाइट पर रोक नहीं लगा सकते जो विदेश से संचालित हो। यह भी बताना जरूरी है कि खेलों की ऑनलाइन सट्टेबाजी खिलवाने वाली यह वेबसाइट वेस्ट इंडीज के कूराकाओ (Curaçao ) टापू देश से संचालित होती है ।
होने को तो हम और आप खुश हो सकते हैं की सीबीआई देश भर में आईपीएल के मैच फ़िक्सिंग को लेकर धड़ पकड़ कर रही है। यह भी मान रही है कि उसके तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। पर यह सतही कार्रवाई है। ज़रूरत है तो ऑनलाइन बेट्टिंग के बारे में गहन सोच और एक्शन लेने की है। अब यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि गेमिंग और बेट्टिंग वेबसाइट खुल के अपने विज्ञापन देती है। हमारे सारे खिलाड़ी ऐसी ही कम्पनियों के लिए टीवी पर थिरकते नज़र आते हैं। पर इस चमक के पीछे क्या भारत ही चोट नहीं खा रहा है, यह आँकलन अब ज़रूरी हो चला है।
तो संक्षेप में कहा जा सकता है कि फिलहाल तो भारत से पाकिस्तान क्रिकेट चांदी काटती रहेगी। भारत को इस तरह के उपाय तो करने होंगे ताकि ऑनलाइन सट्टेबाजी पर लगाम लग जाए। सिर्फ हाथ खड़े करने से तो बात नहीं बनेगी। आखिर हम अपने शत्रु मुल्क को क्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद देने के बारे में सोच भी सकते हैं? देखिए इस मामले में सरकार की चुप्पी से यही संदेश जाएगा कि भारत ने खेलों की सट्टेबाजी को लेकर एतराज करना छोड़ दिया है।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)