
अशोक भाटिया
साल 2008 के मुंबई हमलों में 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इसके साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा चुका है। राणा को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। जहां कोर्ट ने 18 दिन की हिरासत में भेज दिया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने देर रात तक सुनवाई चली। इसके बाद 18 दिन की NIA कस्टडी में भेजने का आदेश दिया गया है। जांच एजेंसी ने तहव्वुर राणा की 20 दिन की हिरासत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने 18 दिन की कस्टडी मंजूर की है। उसे कड़ी सुरक्षा में NIA हेडक्वार्टर ले जाया गया, जहां दिन में उससे पूछताछ शुरू हो रही है ।अब जो मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा जो भारत लाया गया है इसे भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। राणा को अमेरिका से भारत लाने का मिशन बेहद कठिन और संवेदनशील था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राणा को भारत लाने में करीब 4 करोड़ रुपये लगे हैं।
बताया जाता है कि राणा को अमेरिका से भारत विमान में बैठाकर लाने में करीब 40 घंटों का समय लगा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पूरे सफर में करीब 4 करोड़ खर्च हुए हैं। दरअसल, तहव्वुर राणा को लाने के लिए एक लग्जरी प्लेन गुल्फस्ट्रीम G-550 किराए पर लिया गया था, जिसमें राणा को बैठाकर अमेरिका के मियामी से भारत लाया गया। इस खास विमान की प्रति घंटे उड़ान की लागत करीब 9 लाख रुपये है। यही कारण है कि भारत सरकार को राणा को वापस लाने में सामान्य खर्च से सौ गुना अधिक खर्च लगा है।गुल्फस्ट्रीम G-550 विमान को भारत द्वारा विएना के एयरक्राफ्ट चार्टर सर्विस से किराए पर लिया गया था। यह विमान मियामी से 9 अप्रैल को रोमानिया जाने के लिए रवाना हुआ था। जिसके बाद यह विमान 10 अप्रैल को निर्धारित समय और स्थान पर पहुंचा। जहां से राणा को चार्ट में बैठाकर भारत लाया गया। इस ऑपरेशन को पूरा होने में करीब 40 घंटों का समय लगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, NIA ने कोर्ट में कहा कि मुंबई हमले की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए राणा को हिरासत में लेकर पूछताछ करना बहुत जरूरी था । आतंकी हमलों को अंजाम देने में राणा की भूमिका की भी जांच जरुरी । मुंबई हमले के दूसरे आरोपी डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले तहव्वुर राणा के साथ पूरे ऑपरेशन पर चर्चा की थी। हमले के दौरान चुनौतियों का अनुमान लगाते हुए हेडली ने राणा को एक ईमेल भेजा था। जिसमें उसने अपने सामान और संपत्तियों का ब्योरा दिया था। हेडली ने राणा को साजिश में इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान के शामिल होने की भी जानकारी दी थी। NIA की तरफ से वकील दयान कृष्णन ने पक्ष रखा। वहीं राणा की तरफ से वकील पीयूष सचदेवा ने मामले की पैरवी की थी।
गौरतलब है कि तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले में हुआ था। वहां से राणा ने मेडिकल की पढ़ाई की। इसके बाद पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में भर्ती हो गया। एक डॉक्टर के रूप में उसकी पहचान एक जिम्मेदार और शिक्षित व्यक्ति की थी, लेकिन साल 1990 के दशक के आखिर में उसने सेना को अलविदा कहा और कनाडा चला गया। कनाडा में नागरिकता पाने के बाद उसने इमिग्रेशन सर्विस का बिजनेस शुरू किया। जिसका नाम ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ रखा। फिर अमेरिका पहुंच गया। यहां से शिकागो में अपना दफ्तर खोल लिया। बाहर से एक सफल प्रवासी उद्यमी दिखने वाला राणा, अंदर से भारत के विरुद्ध साजिश रच रहा था।
देखा जाय तो आतंकी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए बड़ी सफलता है। अब उसका भी हिसाब कसाब की तरह ही होगा। उसके ऊपर जो धाराएं लगी हैं, वे उसे मौत के मुंह तक पहुंचाने के लिए काफी हैं। तहव्वुर राणा आज से 18 दिनों तक मुंबई अटैक का पूरा सच उगलेगा। आतंकी तहव्वुर राणा की वजह से ही मुंबई अटैक हुआ और कसाब समेत आतंकियों ने मायानगरी में कत्लेआम मचाया। इसमें लश्कर, आईएसआई और पाकिस्तान का कितना हाथ है।
तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी के बाद उसके अन्दर का पाप झलकने लगा है । हालफिलहाल पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा है कि उसका 26 नवम्बर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा से कोई लेना-देना नहीं है। वह एक कनाडाई नागरिक है और उसने लगभग दो दशकों से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। तहव्वुर राणा का पाकिस्तान में 1961 में जन्म हुआ था और उसने पाकिस्तान आर्मी मेडिकल कोर में सेवाएं दी थीं और इसके बाद वह 1990 के दशक में कनाडा चला गया, जहां उसे नागरिकता दी गई।उसके प्रत्यर्पण को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने उसे कनाडाई नागरिक बताया और उसका पाकिस्तान कनेक्शन होने से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि तहव्वुर राणा ने पिछले दो दशकों में अपने पाक दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। उसकी कनाडाई नागरिकता बहुत साफ है। अब सवाल ये है कि पाकिस्तान को सबसे बड़ा क्या डर है? वो क्यों घबराया हुआ है? तो इसकी पहली वजह तहव्वुर राणा का पाकिस्तानी सेना से सीधा रिश्ता है। उसके पास भले ही कनाडा की नागरिकती हो, लेकिन उसका जन्म पाकिस्तान में हुआ है।तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का करीबी रहा है और चूँकि वह पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रहा है। इसलिए पाकिस्तान को अब डर लग रहा है कि तहव्वुर राणा 26/11 के मामले में पाकिस्तान की पूरी पोल खोल देगा। दुनिया को बता देगा कि पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और पाक सरकार सब मिलकर आतंक फैलाते हैं। तीन साल पहले ही पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आया है। इसका कारण बताया गया कि उसने आतंकियों की फंडिंग रोकी है।
हालांकि, हकीकत ये है कि जब पाकिस्तान को ये राहत दी गई तभी पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े ठिकाने का विस्तार हो रहा था। पाकिस्तान एक तरफ आतंक को लेकर दुनिया की आंख में धूल झोंक रहा है, तो वहीं हाफिज-मसूद की सुरक्षा को लेकर डरा हुआ है। पाकिस्तान का असली डर हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को लेकर है कि कहीं भारत उनको भी सौंपे जाने की मांग तेज न कर दे।इसके अलावा जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान के अंदर भारत में हमला करने वाले ढेर हो रहे हैं, उससे पहले ही घबराया हुआ है। ये खौफ हाफिज सईद के करीबी अबू कताल की हत्या के बाद बढ़ गया है। हाफिज के इस करीबी ने कश्मीर में तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया था, लेकिन उसे आईएसआई भी नहीं बचा पाई। पाकिस्तान की मुसीबत ये है कि उसे तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद हाफिज-मसूद को लेकर दबाव बढ़ने का डर है।
इसलिए उसकी तरफ से अब घबराहट में 26/11 हमले को लेकर ऐसी बातें कही जा रही हैं, जिस पर कोई यकीन नहीं करेगा। 26/11 को झूठा हमला बताकर पाकिस्तान की कोशिश भारत को कटघरे में खड़ा करने की है, लेकिन अब उसकी दाल गलनी मुश्किल है, क्योंकि दुनिया उसकी हकीकत जान चुकी है। इस पर तहव्वुर राणा की गवाही पाकिस्तान के मुंह पर तमाचे की तरह होगी, क्योंकि वो आतंक की साजिश रचने वाले पाक का बड़ा सूत्रधार है।वैसे पाकिस्तान के झूठ का खुलासा को अमेरिका पहले ही कर चुका है। एफबीआई ने तहव्वुर राणा को जब पकड़ा तो उसके लश्कर से संबंधों का खुलासा हुआ था। दुनिया जानती है कि लश्कर पाकिस्तान का आतंकी संगठन है। राणा को साल 2009 में गिरफ्तार किया गया था। उसको अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया था। जो कि लॉस एंजेंल्स के एक टिडेंसन सेंटर में बंद था। उस पर मुंबई और कोपेनहेगन में हमले का आरोप है।
इसके पहले भी मुंबई 26/11 हमलों में डेविड कोलमेन हेडली की गवाही के आधार पर कई पाकिस्तानी आतंकियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अफसरों के नाम सामने आए थे। तहव्वुर राणा अब इसे लेकर कई और राज खोल सकता है। इनमें सबसे बड़ा नाम हाफिज सईद का है, जिसके बारे में हेडली ने कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक 26/11 हमलों का मुख्य सूत्रधार है। इसके बाद दूसरा नाम जकी-उर-रहमान लखवी का है।हेडली ने लखवी को लश्कर का ऑपरेशनल कमांडर बताया, जिसने हमले की योजना बनाई और आतंकियों को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद तीसरा नाम साजिद मीर है। हेडली ने उसको अपना मुख्य हैंडलर बताया, जो हमले के दौरान कराची से आतंकियों को निर्देश दे रहा था चौथा नाम मेजर इकबाल का है। हेडली ने उसको आईएसआई का अधिकारी बताया, जिसने उसे 25 हजार डॉलर दिए। मुंबई हमले की निगरानी के लिए प्रशिक्षण में मदद की थी।
अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार