प्रभुनाथ शुक्ल
जीवन एक कला है और राजनीति एक बाजीगरी।अगर आपके पास कलाबाजी, जादूगारी, झूठगिरी, बेशर्मी, मक्कारी, धोखेबाजी, पल्टीबाजी का गुण नहीं है तो आप सफल राजनीतिज्ञ नहीं हैं। सच मानिए, सियासत में आप जीतनी बार धोखा देंगे उतने बड़े आप सच्चे पलटी मार कह लाएंगे। जितनी बार आप थूक कर चाटेंगे उतने महान और शीर्ष नेता होंगे। जितना झूठ बोलेंगे उतना आप सच के करीब माने जाएंगे। अगर चुनाव का मौसम करीब हैं और उस समय आप पलटी मारते हैं तो आप गंगोत्री स्न्नान से निकले चमत्कारी देव माने जाएंगे। आपके सारे गिले- शिकवे भुला दिए जाएंगे। आप दूध के धुले होंगे। आप जैसा राजनेता त्रिलोक में खोजने से भी नहीं मिलेगा।
राजनीति में वैसे भी पल्टूराम नामक जीव सबसे पवित्र और पूज्यनीय माना जाता है। पल्टी मारना उसका धर्म -कर्म है। पल्टी मारना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। राजनीति में पल्टी मारने की कला को वह अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष से जोड़ते हैं। सत्ता हो या विपक्ष पल्टूराम को सभी गले लगाना चाहते हैं। उसकी बेशर्मी, पलटीमारी और बार-बार थूक कर चाटने की प्रवृत्ति को लोग सियासत की अद्भुत, अतुलनीय प्रकृति और विशेषण समझते हैं। राजनीति सबसे चोखा धंधा है। यहाँ कभी मंदी का दौर नहीं होता है। बस अपने फायदे के लिए कायदे बिगाडिए और तलवे चाटिए। यहाँ कोई दुसाध नहीं होता। क्योंकि सियासत की पवित्र गंगोत्री में जो एक बार डुबकी लगा लेता है वह इस कलयुग में देवतुल्य हो जाता है। वैसे भी आजकल देवता से अधिक राजनेता पूजे जाते हैं।
राजनीति में सौ-सौ चूहे निगलने वाले लोगों को सत्ता इनाम में मिलती है। लोकतंत्र में अब ऐसे लोग ही सबसे पावरफुल माने जाते हैं। अगर वे किसी विशेष जाति का नेतृत्व करते हैं जिससे सत्ता आसानी से हासिल होती है फिर तो आपका जलवा है। पल्टूराम का इतिहास रहा है वे नीतियों और सिद्धांतों के लिए कभी नहीं पल्टे। सियासत में उन्होंने आया राम और गया राम की भूमिका सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए निभाई। राजनीति में उनका ऐसा कोई सगा नहीं होगा जिसको उन्होंने कभी ठगा न हो। इसलिए सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए पल्टूराम पूज्यनीय हैं। वर्तमान राजनीति में पल्टूराम ने इतिहास रचा है। उनके जैसा राजनेता राजनीति में भूतो न भविष्यति होगा। हमेशा से उनका धर्म सिर्फ कुर्सी रहीं है। वह कुर्सी के लिए जीते और मरते आए हैं। आने वाला वक्त पल्टूराम का है। राजनीति में पल्टीमार का विशेष गुण ईजाद करने वाले पल्टूराम पर शीघ्र ही एक पल्टू पुराण की रचना की जाएगी। राजनीति में आने वालों के लिए उस पुराण का अध्ययन अनिवार्य बनाया जाएगा। अगर इसी तरह उपकार करते रहे तो आनेवाले दिनों में उनके कार्य को देखते हुए उन्हें पल्टू रत्न से भी सम्मानित किया जाएगा।
पल्टूराम ने इस बार मुख्यमंत्री की शपथ कुछ इस तरह लिया है। मैं पल्टूराम वल्द झूठाराम पद और गोपनीयता की शपथ लेता हूँ कि मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए ही जिऊंगा और उसी के लिए मरूंगा। मेरा न कोई नीति है और न सिद्धांत है। मेरा न कोई दोस्त है न दुश्मन है। मैं राजनीति का पक्का खिलाड़ी हूँ। हम सिर्फ कुर्सी के लिए जीते और कुर्सी के लिए मरते हैं। हमने जो मरने जीने की कसम खाई थीं वह हमारा झूठापन था। हमने किसी के साथ कभी धोखा नहीं किया। लोग बार-बार धोखाखाने के बाद मुझे समझ नहीं पाए। मुझे गले लगाने के लिए व्याकुल रहे। ऐसे में मेरी क्या गलती है। लोग मेरे कसम और वायदे में उलझ गए मेरे पवित्र इरादे नहीं भांप पाए।
मैं पल्टूराम सियासत का मैं सबसे बड़ा बाजीगर हूँ। सियासत में बड़े-बड़े बाजीगरों को मैं धूल चटाता आया हूँ। बड़े-बड़े सियासी बाजीगर मेरी सारी धोखेबाजी को भूल कर मेरी गोंद में मिमियांने को बेताब हैं। मैं पल्टूराम यह दावे और विश्वास के साथ कहता हूँ की हमने राजनीति अपने सिद्धांतों और शर्तो पर किया है। मैं अपने सियासी दोस्तों को बारबार धोखा दिया है, लेकिन हम क्या बताएं मेरे दोस्त कितने बेवकूफ़ हैं जो मेरी ठगी को मेरी मासूमियत समझते हैं। अब यह मेरी गलती है या मेरे सियासी दोस्तों की। दुनिया मुझे जादूगर कहे या बाजीगर लेकिन मेरी यारी तो सिर्फ कुर्सी से है।