कांवड़ यात्रा के साथ आम यातायात पर भी ध्यान दें

Pay attention to general traffic along with Kanwar Yatra

अशोक मधुप

अबसे एक दिन बाद 23 जुलाई को शिवरात्रि का पर्व है। लगभग एक सप्ताह से कावंड़ यात्रा चल रही है।सड़कों पर कांवड़ियों के समूह पवित्र नदियों से जल लेकर अपने गन्तव्यों के लिए रवाना हो चुके हैं। शिवरात्रि पर जलाभिषेक के बाद कावंड़ यात्रा पूर्ण हो जाएगी।सड़कों से गुजरते भोले के भक्तों के काफले अपनी मंजिल पर पंहुचकर अगले छह माह के लिए रूक जाएंगे।।जाड़ों में दुबारा शिवरात्रि पड़ेगी, तब ये यात्रा फिर शुरू होगी।फिर कांवड़ियों के काफलें सड़कों पर होंगे। ज्योतिर्लिंग वाले सभी प्रदेशों में इस यात्रा को देखते हुए व्यापक व्यवस्था की जाती है। अन्य शिवालयों पर भी भारी तादाद में श्रद्धालु जल चढ़ाते हैं।कई बार किसी कांवड़ से किसी के टकराने या कावड़िए के दुर्घटनाग्रस्त होने पर कावड़िए प्रायः हंगामा करते हैं। कई जगह तोड़−फोड आगजनी आदि पर उतर आते हैं,इसलिए प्रशासन पहले से सचेत रहता है। केंद्र में भाजपा सरकार आने और कई प्रदेशों में भाजपा की सरकार होने के बाद से इस कांवड़ यात्रा पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा।इनके लिए आने −जाने के मार्ग निर्धारित होने लगे।इन कांवड़ियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। अधिकतर महत्वपूर्ण मार्ग इनके लिए आरक्षित किए जाने के कारण इन मार्ग के वाहन दूसरे मार्ग पर भेजे जाने लगे। इससे आम लोगों को परेशानी होने लगी। तीन घंटे का रास्ता छह से सात घंटे में पूरा होने लगा। वाहनों को 60 से 70 किलो मीटर ज्यादा चलना पड़ा। वाहनों के ज्यादा चलने के तेल ज्यादा लगा। तेल का ज्यादा लगना राष्ट्रीय नुकसान है और व्यक्ति की समय की बरबादी। व्यवस्था ऐसी बनाई जाए कि कांवड़ यात्रा भी निर्विघ्न रूप से पूरी हो और दूसरे वाहन और यात्रियों को कोई परेशानी न हो। नियमित यातायात इस यात्रा के दौरान सुगमता से चलता रहे।

आज हालत यह है कि कई दिन से उत्तर प्रदेश− दिल्ली एनसीआर और उत्तरांचल के मार्गों पर दिन में ट्रकों की आवाजाही बंद है।सड़कों के किनारे ट्रकों की लंबी− लंबी लाइन लगी है।पूरे दिन वह सड़क किनारे खड़े रहते हैं। रात में उन्हें चलने की अनुमति मिलती है। इस प्रक्रिया से राष्ट्र की कितनी शक्ति व्यर्थ जाती है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

शिवरात्रि भगवान शिव का पर्व है।यह पर्व पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है।करोड़ों की संख्या में शिव के उपासक पवित्र नदियों के स्थलों से उनका जल कांवड़ में लेकर आते और शिवालयों पर जाकर चढ़ाते हैं। ज्योतिर्लिंग पर तो शिवरात्रि पर जल चढ़ाने के साथ उत्तर भारत क्या पूरे देश में यह पर्व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कांवड़ यात्रा कई –दिन चलती है। सड़कों पर कावड़ियों का रेला ही रेला दिखाई देता है। श्रद्धालु कावंड़ियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा उपलब्ध कराकर पुण्य लाभ पाने के लिए तत्पर रहतें हैं।ये कांवड़ियों मार्ग पर उनके खाने –पीने की ठहरने आदि की निशुल्क व्यवस्था करते हैं।भंडारे लगाते हैं। यात्रा पर निकलने से पहले कावंड़िए तैयारी करते हैं।कांवड़ , उसके सजाने आदि और अपनी यात्रा का सामान खरीदते हैं।अपने साथ चलने वाले वाहन किराए पर लेते हैं। इन पर किराए का म्युजिक सिस्टम लगाते हैं।कांवडिए की अलग तरह की भगवा रंग की टीशर्ट चल पड़ी ।इसका ही अब लाखों रूपये का कारोबार बन गया। कांवड़ यात्रा से हजारों लोगों का रोजगार चलता है। इस यात्रा पर खरबों रूपये का बिजनेस होता है। इसलिए ये यात्रा होनी चाहिए ।इस यात्रा की व्यवस्थाएं भी भव्य होनी चाहिए।कांवड़ियों की व्यापक सुरक्षा और बढ़िया मार्ग की व्यवस्था होनी चाहिए।जगह− जगह आपातकाल में इनके उपचार के प्रबंध हों । इनकी सुविधा के लिए कोई कसर उठकर नही रखी जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस व्यवस्था पर स्वंय नजर रखते हैं।वे हैलिकाप्टर से कांवड़ियों पर फूलों की वर्षा भी करते हैं।

उत्तर भारत में सावन की शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह रहता है।कावड़ यात्रा के कारण उत्तर भारत में यातायात बुरी तरह प्रभावित होता है। हरिद्वार प्रशासन के अनुसार पिछले साल साढ़े चार करोड़ से ज्यादा शिवभक्त जल लेने हरिद्वार पंहुचे।2023 में चार करोड़ श्रद्धालु आए थे।ये यात्रा अभी चल रही है,अनुमान है कि इस बार अकेले हरिद्वार से ही कांवड़ लाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पांच करोड़ से ज्यादा हो जाएगी,किंतु कुछ स्थानों पर पूरे सावन कांवड़ चढ़ती हैं।श्रद्धालु के समूह हरिद्वार आते और जल लेकर अपने गंत्व्यों की ओर रवाना होते रहते हैं।

उत्तर भारत की इस कांवड़ यात्रा को देखते हुए उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश,दिल्ली और हरियाणा सरकार व्यापक व्यवस्थाएं करती हैं, किंतु यात्रा के समय ये सब व्यवस्थांए बौनी पड़ जाती हैं।इसी कारण कई जगह कांवड़ियों के हंगामा करने की सूचनाएं आती हैं।कुछ जगह तोड़फोड़ और आगजनी तक हो जाती है।इस सबका कारण यात्रा से कुछ पहले तैयारी करना है, जबकि इसके लिए पूरे साल तैयारी की जाती चाहिए। इसके लिए अलग से विभाग होना चाहिए, किंतु ऐसा होता नहीं।

केंद्र और राज्य सरकारों को कावंड़ियों की सुविधा के साथ आम आदमी की सुविधा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। व्यवस्था की जानी चाहिए कि कांवड़ यात्रा के दौरान आम यातायात प्रभावित न हो।केंद्र एक्सप्रेस वे बना रहा है ताकि यातायात के किसी वाहन को परेशानी न हो। इसके लिए कांवड यात्रा वाले प्रदेश की सरकारों का केंद्र के साथ मिल बैठ कर प्लान करना चाहिए। कावंड यात्रा वाले मार्ग पहले ही इस तरह बनाए जांए कि उसकी साइड से आम यातायात सुगमता से अनवरत चलता रहे। कांवड1 यात्रा वाले मार्ग पर कांवड़ यात्रियों के लिए पहले से ही दो अलग लेन बनाकर रखी जा सकती हैं। यात्रा के समय में इन पर कांवड़िए और उनके वाहन चलें , बाद में ये लेन आम ट्रैफिक के लिए प्रयोग हों।कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर कांवड़ यात्रियों के आराम रूकने के स्थान पहले से चिंहित हों।स्थान ऐसे हों कि यहीं कांवड़ शिविर भी लग सकें।

1990 के आसपास कांवड़ यात्रा का इतना प्रचलन नही था। आज यह बढ़ता जा रहा है।अब साढे चार करोड़ के आसपास कांवड़िए हरिद्वार से कांवड़ ला रहे हैं। इनकी बढ़ती संख्या को देखते हुए हो सकता है कि आने वाले कुछ सालों में यह संख्या बढ़कर दुगनी या उससे भी ज्यादा हो जाए। इसलिए हमें अभी से इसके लिए व्यवस्था बनानी होगी। प्लानिंग करनी होगी। हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए हरिद्वार के लिए अतिरिक्त ट्रेन चलानी होंगी। कावंड़ यात्रा के समय आम यात्री को कांवडियों की भीड़ के कारण भारी परेशानी होती है। ट्रेन के साथ –साथ इनकी संख्या को देखते हुए स्पेशल बसे चलाईं जांए।कांवड़ यात्रा के कारण छात्रों की परेशानी को देखते हुए कई जगह स्कूल काँलेज बंद करने पड़तें हैं। शहरों के स्थानीय निवासियों की गतिविधि और आवागमन प्रभावित होता है,व्यवस्था ऐसे बनाई जाए कि कांवड़ यात्रा भी चले और उस क्षेत्र के आम निवासी की गतिविधि और दिनचर्या भी प्रभावित न हों। इस पार उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल सरकार ने हुडदंग करने वाले कांवड़ियों के विरूद्ध कार्रवाई शुरू की है। ये व्यवस्था तो पहले से होनी चाहिए।भगवान शिव के भक्तों को तो बहुत सरल और सौम्य होना होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)