इंजीनियर अजय कुमार बियानी
जीवन में कुछ चीज़ें कभी पुरानी नहीं होतीं — उनमें से दो हैं व्यक्ति और किताबें। ये दोनों हमारे विचारों की दिशा तय करते हैं और हमारी बुद्धिमत्ता को आकार देते हैं।
आज के डिजिटल युग में जहाँ सब कुछ “स्मार्ट” और “ऑटोमेटेड” हो गया है, वहीं असली समझ अब भी इंसान और उसकी किताबों में ही बसती है।
किताबें हमें सोचने की गहराई देती हैं, और व्यक्ति हमें जीवन की दिशा। हज़ारों किताबें पढ़ लेने के बाद भी अगर हमारे आसपास समझदार और सकारात्मक लोग नहीं हैं, तो वह ज्ञान अधूरा रह जाता है।
कहा भी गया है — “सत्संग से बड़ी कोई शिक्षा नहीं।”
लेकिन आज का समय कुछ और है। अब लोग किताबों से ज़्यादा मोबाइल स्क्रीन पढ़ते हैं और अच्छे लोगों से ज़्यादा “ऑनलाइन फॉलोअर्स” को महत्व देते हैं।
हम अपने विचार नहीं बनाते, बल्कि “फीड” के हिसाब से सोचते हैं। यही वजह है कि ज्ञान तो बढ़ रहा है, मगर बुद्धिमत्ता घट रही है।
किताबें हमें तर्क देती हैं, पर व्यक्ति हमें अनुभव देता है। और अनुभव ही वह शिक्षक है जो जीवन में सबसे कठिन पर सबसे सटीक सबक सिखाता है।
एक अच्छा व्यक्ति आपके जीवन की दिशा बदल सकता है — जैसे एक अच्छी किताब आपका दृष्टिकोण बदल देती है।
आज की “सॉफ्टवेयर” जिंदगी में सब कुछ वर्ज़न बदलने जैसा हो गया है। रिश्ते, सोच, नज़रिए — सब “अपडेट” होते रहते हैं।
कभी किसी का बर्ताव बदलता है, कभी हमारा विश्वास।
लेकिन असली स्थिरता वहीं मिलती है, जहाँ समझ और संवेदना का संगम होता है — और यह संगम व्यक्ति और किताबों में ही है।
कभी-कभी ज़िंदगी ऐसी स्थिति में ले आती है जब लगता है कि “सोसायटी समिति आपके विरुद्ध है।”
ऐसे में लोग टूट जाते हैं, शिकायत करते हैं।
पर आज का व्यंग्य यही है — जब दुनिया पीठ दिखाए, तब बस पलटकर एक सेल्फी ले लो।
देखो, अब पूरी दुनिया तुम्हारे साथ मुस्कुरा रही है।
यह मज़ाक लग सकता है, पर यह आज के इंसान की मनोदशा का चित्र है — दिखावे में सुख, और भीतर गहरी थकान।
“जियो जिंदगी मस्ती की, परवाह न करो सस्ती दुनिया की।”
यह सिर्फ़ एक वाक्य नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है।
जो व्यक्ति अपने आत्मसम्मान और सच्चाई पर टिके रहते हैं, उन्हें भीड़ की तालियाँ नहीं मिलतीं, पर इतिहास उनकी गवाही देता है।
सफलता दुनिया को हमारा परिचय करवाती है, जबकि असफलता हमें दुनिया का असली चेहरा दिखाती है।
किताबें हमें यह समझ सिखाती हैं कि असफलता अंत नहीं, बल्कि सुधार का अवसर है।
हर किताब में किसी न किसी की यात्रा छिपी होती है — संघर्ष, सीख और परिवर्तन की यात्रा।
और हर बुद्धिमान व्यक्ति एक जीवित किताब की तरह होता है, जिससे हम हर दिन कुछ नया सीख सकते हैं।
आज के दौर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) इंसान से तेज़ सोच सकती है, लेकिन उसमें “संवेदना” नहीं।
यही वह जगह है जहाँ व्यक्ति और किताबें हमें इंसान बनाए रखती हैं।
वे हमें सिखाती हैं कि विचारों में विनम्रता रखो, मतभेद में मर्यादा रखो और सफलता में संयम रखो।
मत ढूँढो कि दुनिया में सबसे खूबसूरत कौन है।
देखना है तो उसे देखो जिसके होने से आपकी दुनिया खूबसूरत है।
वह आपका कोई गुरु हो सकता है, माता-पिता, मित्र या वह किताब जिसने आपके भीतर की अंधेरी जगहों में रोशनी फैलाई हो।
किताबें और व्यक्ति — दोनों में अद्भुत समानता है।
एक सही किताब, सही समय पर मिल जाए, तो जीवन बदल जाती है।
और एक सच्चा व्यक्ति, सही परिस्थिति में साथ चल दे, तो मंज़िल आसान हो जाती है।
इसलिए बुद्धिमत्ता का असली अर्थ सिर्फ़ जानना नहीं, बल्कि समझना है — खुद को, दूसरों को और जीवन को।
और यह समझ वहीं से आती है जहाँ व्यक्ति और किताबें मिलते हैं।
तेज़ी से बदलते इस युग में ज्ञान के अनगिनत स्रोत हैं, पर बुद्धिमत्ता के केवल दो स्तंभ हैं —
एक अच्छा व्यक्ति और एक अच्छी किताब।
इन दोनों की संगति में ही जीवन का असली सौंदर्य और स्थिरता छिपी है।





