दीपक कुमार त्यागी
- CTI ने पेट्रोल डीजल की दरों में कटौती के लिए पीएम मोदी को लिखा पत्र
- कच्चे तेल में रिकार्ड गिरावट- 4 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल
- 116 डाॅलर प्रति बैरल से 65 डाॅलर प्रति बैरल पहुंचा कच्चा तेल
- 58198 करोड़ रुपए के मुनाफे के बावजूद मनमानी कर रही तेल कंपनियां
- 6 अप्रैल 2022 के बाद से तेल कंपनियों ने नहीं घटाई दरें
नई दिल्ली : पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव गिरने के बावजूद जनता को लाभ नहीं मिल रहा है, आज कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई है और कच्चा तेल 4 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसको लेकर दिल्ली और देश में व्यापारियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पेट्रोल-डीजल की दरों में कमी लाने की गुहार लगाई है।
CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि आज अमेरिका के बाजार में कच्चे तेल की कीमत 65 डाॅलर प्रति बैरल हो गई है जबकि ब्रैंट क्रूड ऑयल की कीमत 69 डाॅलर प्रति बैरल हो गई है , यह 2021 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। जून 2022 में कच्चे तेल की कीमत 116 डाॅलर प्रति बैरल थी, दिसंबर 2023 में कच्चा तेल 77.14 डॉलर प्रति बैरल था, कच्चे तेल में लगातार कमी आ रही है, फिर भी जनता को फायदा नहीं मिल रहा।
बृजेश गोयल ने बताया कि पेट्रोल-डीजल के भाव में 22 मई 2022 को बदलाव हुआ था। उस समय केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में कमी की थी।
सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव और गुरमीत अरोड़ा ने बताया कि पेट्रोलियम कंपनियों ने 6 अप्रैल 2022 के बाद से कटौती नहीं की है। 116 डॉलर प्रति बैरल से कच्चा तेल 65 डॉलर तक पहुंच गया है।
सीटीआई वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक गर्ग और उपाध्यक्ष राहुल अदलखा ने बताया कि सरकार कहती है कि तेल कंपनियों को अधिकार है। मगर, केंद्र सरकार पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब तो बना सकती है।
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले दिनों इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम को संयुक्त तौर पर 58,198 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। सरकार पर इन कंपनियों की माली हालत को लेकर कोई दबाव नहीं है।
सीटीआई ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि इन कंपनियों से पेट्रोल-डीजल के रेट घटाने का दबाव बनाए। पेट्रोल-डीजल पर कम से कम 10 रुपये लीटर कमी की जाए। डीजल का रेट कम होता है, तो महंगाई पर अंकुश लगता है। देश में माल ढुलाई सेक्टर डीजल पर निर्भर है। यदि ये सस्ती होगी, तो उपभोक्ताओं को लाभ होगा। जनता की जेब में पैसा जाएगा, तो मार्केट में दूसरी मदों में खर्चा होगा।