नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली। राजनीति के जादूगर माने जाने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक 92 कांग्रेस विधायकों द्वारा रविवार को जयपुर में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी को सामूहिक इस्तीफ़ा देनेसम्बन्धी उठायें गए अनपेक्षित कदम ने फ़िलहाल पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के मुख्यमंत्री के रूप में उड़ानभरने के टेक ऑफ़ मार्ग को एक बार फिर रोक दिया गया है।कांग्रेस आला कमान राजस्थान के कांग्रेसविधायकों के अनायास इस व्यवहार से सकते में है और नई दिल्ली से पर्यवेक्षकों को राजस्थान भेजने के अपनेउतावले पन के लिए हो रही राजनीतिक किरकरी के लिए आत्म मन्थन को मजबूर हो गया है।
गहलोत के समर्थक कांग्रेस विधायकों का कहना है कि वे कदापि कांग्रेस हाई कमान और गाँधी परिवार तथापार्टी के विरोध में नहीं है , यहाँ तक कि सचिन पायलट के भी व्यक्तिगत रूप से विरोधी नही है लेकिन वे इसबात पर दृढ़ है कि पिछलें वर्षों सचिन पायलट के नेतृत्व में भाजपा के साथ मिल कर कांग्रेस से बगावत करनेवाला कोई विधायक मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नही होगा। कांग्रेस हाई कमान मुख्यमंत्री के रुप में संकट केसमय पार्टी का साथ देने वाले 102 विधायकों में से किसी भी विधायक को मुख्यमंत्री बना देवें,यह बात मंज़ूरहोगी।
राजस्थान के कांग्रेस विधायकों द्वारा उठायें गए इस साहसिक कदम को राजनीतिक क्षेत्रों में एक अहम औरक्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यदि अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेस के प्रतिनिधि ऐसाकदम उठाते तों कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी नहीं छोड़ते तथा पार्टी का आज यह हश्र नहीं होता और वह रसातल मेंनही जाती ।
राजस्थान की सियासी राजनीति और नए मुख्यमंत्री चुनने की कुर्सी की रेस में रविवार को अब तक का सबसेबड़ा और ऐतिहासिक मोड़ आ गया और सत्ताधारी कांग्रेस के करीब सौ विधायकों का हाई कमान के विरुद्धसामूहिक विद्रोह कई नए संकेत दे दिए । ये सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाते है।
इन विधायकों में गहलोत मंत्रिपरिषद के मंत्री और विधायकों के साथ ही निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस मेंशामिल हुए विधायक भी शामिल थे। ये सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अपील के बावजूद उनकेसिविल लाईन स्थित निवास पर आहूत कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भाग लेने नही पहुँचें । वे वहाँ मौजूदकांग्रेस हाई कमान के पर्यवेक्षकों प्रदेश प्रभारी महामंत्री अजय माकन और मलिकार्जून खड़के के समक्षउपस्थित नही हुए बल्कि सामूहिक विद्रोह करते हुए ल वे पहले संसदीय कार्य और नगरीय विकास मंत्री शान्तिधारीवाल के सरकारी निवास पर एकत्रित हुए और रणनीति के तहत बाद में अपने-अपने इस्तीफ़ों के साथ विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी के निवास पर पहुँच गए।
जयपुर में रविवार सायं तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रमों में कांग्रेस के सभी विद्रोही रुख अख़्तियार करनेवाले विधायकों ने एक स्वर में कांग्रेस हाई कमान को यह कड़ा संदेश दिया कि उन पर ऊपर से थोपा जाने वालाकोई नेता मंज़ूर नही होगा ।विशेष कर भाजपा के साथ मिल कर कांग्रेस सरकार को गिराने की साज़िश करनेसचिन पायलट सहित उनका साथ देने वाले किसी भी विधायक को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नही कियाजायेगा। विधायकों की ओर से यह भी कहा कि अब तक हमने हाईकमान की हर बात को माना है लेकिनविधायकों की भावना को कभी नहीं समझा गया है।पिछलें दिनों राज्यसभा के तीनों उम्मीदवारों के राजस्थान सेबाहर के होने के बावजूद विधायकों ने उन्हें जिताया। इससे पहले सचिन पायलट और साथियों द्वारा राजस्थानमें भाजपा के साथ मिल कर अपनी ही सरकार को गिराने और कांग्रेस को तोड़ने का प्रयास किया गया था तबसभी ने एक जुट होकर उसे विफल किया। इस सबके बावजूद विधायकों की भावनाओं का सम्मान नही कियाजाना दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी विधायकों ने अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद भीमुख्यमंत्री रहने देने की पैरवी भी की और कहा कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रदेश में न केवल बेहतर काम कियाहै वरन बी जे पी का भी कड़ा मुक़ाबला किया जा रहा है जिससे अगले विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीदें भीबढ़ी हैं।
विधायकों ने कहा कि अशोक गहलोत ने अब तक कांग्रेस अध्यक्ष का पर्चा भी नही भरा है और उनके पास एकही पद है। फिर हाई कमान द्वारा उनके कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहलें ही जल्दबाज़ी में केन्द्रीय पर्यवेक्षकों कोजयपुर भेज कर किसी नेता को थोपने के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास कराना न उनके गले उतर रहा औरनहीं उन्हें स्वीकार ही है।
अब देखना है कि राजस्थान कांग्रेस की इस बगावत को हाई कमान कैसे निपटेगी और कांग्रेस के भावी अध्यक्षके रूप में अशोक गहलोत की ताजपोशी कैसे की जायेंगी यह भी देखना होगा।