सुशील दीक्षित विचित्र
राहुल गांधी का अडाणी प्रलाप अब जुगुप्सा पैदा करने लगा है । हर मामले में अति करने से नकारात्मक वातावरण बनता है लेकिन राहुल गांधी समझते हैं कि देश के उद्योगपतियों पर हमले करके मोदी को कठघरे में खड़ा कर सकते हैं लेकिन है हर बार कुछ ऐसा होता है कि राहुल अपने बयानों को ले कर खुद न केवल उपहास के पात्र बन जाते हैं बल्कि खुद ही उस कठघरे में खड़े हो जाते जिसमें वे मोदी और उनकी सरकार को खड़ा करना चाहते हैं । अडानी के मामले में भी ऐसा ही है । राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने 2021 में अडानी को सोलर प्लांट लगाने के लिए 1600 हेक्टेअर जमीन दी । इस बारे में पूछे जाने पर राहुल गोलमोल जबाब देते हैं और अगले ही पल फिर अडानी या अंबानी समूह पर हमला करने निकल पड़ते हैं ।
लद्दाख में की गयी रैली में भी लद्दाखियों को राहुल यही समझाते नजर आये कि मोदी उनकी जमीने अडानी को दे देंगे । यह बयान राहुल की राजनीतिक बुद्धि का थर्मामीटर है । इससे पता चलता है कि वे अपने बयानों से अपने ही लोगों को संकट में दाल देते हैं । तब ऐसे बयानों की लीपापोती करते हुए उनके सिपहसालार उन पंडितों की भूमिका में दिखाई पड़ते हैं जो विद्योत्तमा के सवालों पर कालीदास के मूर्खतापूर्ण इशारों की पांडित्यपूर्ण व्याख्या करते थे । अगर अडानी को अपने राज्य में परियोजनाएं देना पाप है तो ऐसा पाप कांग्रेस की अधिकांश राज्य सरकारें कर चुकी हैं और कर रही हैं । राजस्थान की गहलोत सरकार ने अडानी समूह को सोलर प्लांट लगाने के लिए 1600 हेक्टेअर जमीन दी । यह जमीन मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी अलमारियों से निकाल कर नहीं दी बल्कि उन्हीं किसानों की दी जिनकी जमीन मोदी सरकार द्वारा छीनने का आरोप राहुल देश भर में लगाते घूम रह हैं । छत्तीगढ़ की कांग्रेस सरकार ने तो अडानी समूह के लिए राज्य के दरवाजे दोनों हाथों से खोल दिए । समूह को नौ कोल माइंस आवंटित की गयीं । इसके अलावा तीन पावर प्लांट और तीन सीमेंट फैक्ट्री भी अडानी समूह के खाते में है । कर्नाटक में सरकार बनाने के तुरंत बाद राज्य के उद्योग मंत्री ने घोषणा की कि कर्नाटक के दरवाजे अडानी के लिए लिए खुले हैं । केरल में समूह के पास विझिंजम बंदरगाह है इसे मिला कर राज्य में अडानी समूह ने 7400 करोड़ का निवेश किया है । बंगाल में अडानी समूह का 35 हजार करोड़ रूपये का , आंध्र में 60 हजार करोड़ , उड़ीसा में 57 हजार करोड़ का , तमिलनाडु में 4500 करोड़ का निवेश है । गौतम अडानी का कहना है कि उनका बिजनेश देश के 22 राज्यों में फैला है जिसमें सभी पर बीजेपी का शासन नहीं है ।
यह भी एक तथ्य है कि अडानी या अम्बानी समूह के लिए किसने देश के दरवाजे खोले ? राजनीतिक आलोचक भी यह सवाल उठा रहे हैं कि अडानी या अंबानी ग्रुप पिछले नौ साल में ही नहीं बढ़ा । दोनों को मनमोहन सिंह की उस आर्थिक नीति के तहत लाया गया था जिसका आज भी कांग्रेसी गुणगान करते नहीं थकते । अब राहुल एन्ड कम्पनी की आँखों में इसलिए चुभ रहे हैं कि उनकी सत्ता नहीं है जिससे उनमें भारी ईर्ष्या है और इसी ईर्ष्या के तहत वे भारत के अर्थतंत्र , सुरक्षा तंत्र , न्याय तंत्र सभी पर प्रहार करते घूम रहे हैं । इसी भावना के तहत कभी वे किसानों को भड़काते हैं कि तुम्हारी जमीने मोदी छीन कर अडानी को दे देंगे और कभी लद्दाखियों को भड़काते हैं की तुम्हारी जमीने छीन ली जायेंगी । इन मिथ्या आरोपों से राहुल गांधी कांग्रेस को भले ही कोई लाभ पहुंचाने में असफल रहे हों लेकिन उन्होंने अर्थव्यवस्था को हमेशा हानि पहुंचाने की कोशिश की और रक्षा मामलों में शत्रु देशों की भाषा बोली । ऐसे हमले करते समय वे भूल जाते हैं कि राफेल मामले में अनर्गल आरोपों के लिए उन्हें अदालत से माफी भी मांगनी पड़ी थी ।
मोदी पर कैसे भी आरोप लगाने के लिए राहुल गांधी स्वतंत्र हैं लेकिन आरोप लगाते समय उन्हें कांग्रेस का विगत भी याद रखना चाहिये । जिस लद्दाख में राहुल गांधी निर्भय हो कर भाषण दे रहे हैं वहां यदि आज शांति है तो धारा 370 हटने के कारण । इस धारा को हटाने का कांग्रेस विरोध कर चुकी है । राहुल गांधी की ओर से यह भी कहा जा चुका है कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार आयी तो धारा 370 फिर लागू कर दी जाएगी । कांग्रेस के शासनकाल में राजनीतिक रैलियां करना कल्पना से भी परे था । अपने दस साल के शासन काल में राहुल गांधी ने लद्दाख जाने का एक बार भी साहस नहीं किया । तब लद्दाख भारत से कटा हुआ राज्य था । धारा 370 के कारण लद्दाख भारत में होते हुए भी नहीं था । यही स्थिति कश्मीर की थी जहां भारत के पैसों पर पाकिस्तान परस्त अलगाववादियों और आतंकवादियों के समर्थकों को पाला जाता था और जहां भारत की बात करना मृत्यु दंड दिए जाने वाला गुनाह हुआ करता था। इसलिए जनता को भड़काने बरगलाने वाली कोशिशे बेकार हैं । राहुल गांधी को ऐसी राजनीति से परहेज करना चाहिए था लेकिन लगता नहीं कि वे ऐसा कुछ करेंगे । ऐसा करते रहने का एक बड़ा कारण यह है भी है कि कांग्रेस के पास न कोई मुद्दा है और न ही कोई कार्य योजना । कांग्रेस के थिंक टैंक की भी यही स्थिति है । खांटी मोदी विरोध से वह आगे नहीं बढ़ पा रहा है । यह भी कहना गलत नहीं होगा कि थिंक टैंक की थिंकिग राहुल गांधी की थिंकिंग को ही फॉलो करती है । वह उनकी सोंच से बाहर नहीं जा सकता इसलिए कांग्रेस शासित राज्यों में अडानी को निरंतर भारी भारी ठेके भी दिए जा रहे हैं और सवाल उठने पर कांग्रेसी ही अडानी मामले में ही जेपीसी की मांग करने लगते हैं ।
राहुल गांधी ऐसा तब भी करते हैं जब कि पिछले नौ वर्षों में नकारात्मक राजनीति करते उन्हें पराजय ही मिली । जिन राज्यों में कांग्रेस नौ साल पहले लीड रोल में होती थी वहाँ आज क्षेत्रीय दलों की पिछलग्गू वाली स्थिति में है । यही है नौ साल का वह हासिल जो मोदी पर व्यक्तिगत हमला कर के पाया गया है । बेहतर होता कि राहुल गांधी लद्दाखियों को यह बताते कि उनके विकास के लिए वे और उनकी कांग्रेस क्या कर सकती है । उन्हें वे योजनायें बताते जो उनके क्षेत्र की बेहतरी और जीवन स्तर को ऊँचा उठाने वाली होती । इससे ही वे पार्टी का भला कर सकते हैं ।