निर्मल रानी
यह एक आम परन्तु सही व स्थापित धारणा है कि कोई भी व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में पूरे दावे के साथ कुछ भी नहीं कह सकता। ख़ासतौर पर मृत्यु के बारे में तो कोई भी नहीं जानता कि उसकी मौत कब,किस क्षण,किस जगह और किन परिस्थितियों में व किन कारणों से आनी है। परन्तु इसी संसार में अपवाद स्वरूप कुछ गिनी चुनी ऐसी हस्तियां भी हुई हैं जिन्होंने जहाँ अनेकानेक विश्वस्तरीय व चौंकाने वाली भविष्यवाणियां तो की ही हैं साथ ही अपनी मृत्यु की भी सटीक भविष्वाणी कर दुनिया के उस वर्ग को हैरानी में डाल दिया जो वर्ग यह दृढ़ विश्वास करता था की ‘किसी को भी अपने मरने का समय नहीं पता ‘। जिन लोगों ने अपने मरने के सही समय की मृत्यु से पहले ही भविष्यवाणी की थी उनमें एक नाम महान फ़्रेंच एस्ट्रोलॉजर नास्त्रेदमस का है। कहा जाता है कि अपनी मृत्यु से एक दिन पूर्व नास्त्रेदमस ने अपने सचिव को बता दिया था। कि ‘कल सूर्योदय के समय मैं तुम्हें ज़िंदा नहीं मिलूंगा’। और वही हुआ,जब अगले दिन का सूर्योदय हुआ तो नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी सही साबित हुई और वे सूर्योदय से पहले ही मृत्युलोक को प्रस्थान कर चुके थे। इसी तरह बाबा वेंगा के बारे में भी यही कहा जाता है कि उन्होंने भी अपने मरने से काफ़ी पूर्व अपनी मृत्यु की तिथि व समय घोषित कर दिया था। जो बिल्कुल सही साबित हुआ।
इसी तरह हमारे देश में चंडीगढ़ स्थित राम दरबार नामक एक प्रसिद्ध सूफ़ी स्थान है। यहाँ की गद्दीनशीन माता राम बाई जी ‘अम्मी हुज़ूर ‘ अत्यंत प्रसिद्ध,प्रतिष्ठित व प्रभावी फ़क़ीर थीं। देश विदेश में तथा नौकरशाही व फ़िल्म जगत में उनके काफ़ी मुरीद थे और अभी भी हैं। ‘अम्मी हुज़ूर ‘ ने अपने वारिस,गद्दीनशीन शहज़ादा पप्पू सरकार को अन्य भक्तजनों की उपस्थिति में अपनी मृत्यु से छः महीने पूर्व ही यह बता दिया था कि उनका देहावसान 20 जनवरी 1983 को होगा। और उन्होंन अपने वारिस पप्पू सरकार को ही यह वसीयत भी की थी कि ‘मैं इस जगह (दरबार में ) परलोक सिधारूंगी और इस स्थान पर तुम अपने हाथों से मेरा अंतिम संस्कार करना।और सब कुछ उसी तरह हुआ। आज भी 14 से 20 जनवरी तक उसी स्थान पर ‘अम्मी हुज़ूर ‘ की याद में उनका साप्ताहिक विशाल उर्स विशाल आयोजित होता है।
परन्तु यह तो चंद ऐसे लोगों की अपनी मृत्यु सम्बन्धी भविष्यवाणियां हैं जिन्हें जानकर लोग आश्चर्यचकित होते हैं। परन्तु आम जीवन में भी तमाम लोग ऐसे मिल जाते हैं जो बिना कुछ जाने बुझे,बिना किसी तर्क व तथ्य के इस तरह की बातें करते रहते हैं। सीधे शब्दों में प्रकृति की व्यवस्था पर भी अपना नियंत्रण बताने जैसे भद्दा प्रयास करते हैं। ऐसे ही मेरे एक पारिवारिक सम्बन्धी थे श्याम लाल जी। बेहद चुस्त दुरुस्त व साफ़ सुथरे रहने वाले श्याम लाल जी 75 वर्ष की आयु में साईकिल चलाकर लगभग प्रतिदिन मेरे घर आते थे। एक बार बातों बातों में उनके मुंह से निकला कि ‘100 साल तक तो मैं कहीं नहीं जाता। मेरी बात नोट कर लो’। इसके पहले उन्होंने कभी इस तरह की बात नहीं की थी। इस भविष्यवाणी के बाद श्यामलाल जी पूरा एक वर्ष भी नहीं गुज़ार सके और चल बसे।
पिछले दिनों ऐसा ही एक दावा उस समय चर्चा में आया जबकि 89 वर्ष की आयु में हरियाणा के 5 बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का निधन हो गया। अभी कुछ महीने पहले ही हरियाणा का विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ है। चुनाव में उन्होंने काफ़ी सक्रिय भूमिका निभाई थी। चुनाव से पहले उन्होंने खुद को स्वस्थ बताया था और न केवल सार्वजनिक सभाओं में बल्कि मीडिया से निजी बातचीत के दौरान भी कहा था कि मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ और मैं 115 साल तक जिऊंगा। परन्तु गत 20 दिसंबर को जब 89 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने नश्वर शरीर को त्यागा उस समय जहां उनके राजनैतिक जीवन व हरियाणा के विकास के लिये उनके द्वारा किये गए कार्यों को याद किया जा रहा था वहीँ उनकी मृत्यु सम्बन्धी भविष्यवाणी को भी लोगों ने याद किया कि वह किस तरह ग़लत साबित हुई।
अब एक बार फिर इसी तरह की अपनी ही मृत्यु की भविष्यवाणी को लेकर तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा का नाम चर्चा में आया है। गत दिनों हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में दलाई लामा की दीर्घायु के लिए एक प्रार्थना सभा आयोजित की गयी। इसे संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि वह 100 से 110 वर्ष की आयु तक जीवित रहेंगे। “मेरा पूरा जीवन बौद्ध धर्म के प्रति समर्पित रहा है और आगे भी ऐसे ही समर्पण की भावना से बौद्ध धर्म के प्रचार व प्रसार सहित तिब्बती समुदाय के लोकहित के प्रति काम करता रहूंगा।” दलाई लामा ने अपने अनुयायियों को पूरा भरोसा दिलाया कि वह 100 से 110 वर्ष की आयु तक उनकी सेवा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि “मेरा यह आत्मबल भी है और प्रार्थना भी है। मैं इसके लिए प्रार्थना भी करता हूं कि मेरा यह प्रयास दूसरों के हितों की रक्षा करने व उनकी मदद करने को लेकर सफल हो।” अब देखना होगा कि 89 वर्ष की आयु में उनके 100 से 110 वर्ष की आयु तक जीवित रहने का उनका आत्मबल व उनकी प्रार्थना कितनी कारगर व सटीक साबित होती है।
परन्तु वास्तविकताओं पर आधारित इन धारणाओं के बीच कि मृत्यु के बारे में कोई नहीं जानता कि उसकी मौत कब,कहाँ और कैसे आनी है। उसके बावजूद यदि अपवाद स्वरूप किसी भविष्यवक्ता,अध्यात्मवादी संत अथवा महापुरुष की ऐसे भविष्यवाणी सही हो जाये तो निश्चित रूप से उसकी भविष्यवाणी उसके व उसके अद्वितीय व्यक्तित्व के विषय में बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देती है। अन्यथा सामान्य लोगों को तो इस तरह की भविष्यवाणियों से परहेज़ ही करना चाहिये। क्योंकि ऐसी भविष्यवाणियों का सीधा सा अर्थ है उस सर्वशक्तिमान अथवा ईश्वरीय सत्ता व उसकी व्यवस्था में दख़ल अंदाज़ी की कोशिश करना जोकि सर्वथा अनुचित है।