स्वदेश कुमार
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दो नावों की सवारी कर रही है.एक तरफ वह प्रदेश में विकास के साथ कानून व्यवस्था मजबूत करने में लगी है तो दूसरी ओर हिन्दुत्व को भी धार दे रही है.योगी सरकार के तमाम फैसले इस बात के संकेत हैं कि योगी सरकार द्वारा अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में हिन्दुत्व की बिसात बिछाई जा रही है. अयोध्या में रामलला के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण को जहां बढ़-चढ़कर ढिंढोरा पीटा जा रहा है तो अयोध्या में योगी कैबिनेट की बैठक भी इसी का एक हिस्सा है.
लोकसभा चुनाव 2024 के मिशन को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी अपने धार्मिक एजेंडे को सेट करने में तेजी से लग गई है। इसी कारण योगी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव के साथ 9 नवंबर को अपनी कैबिनेट मीटिंग आयोजित करने जा रही है। राजनीतिक जानकर बताते हैं कि भाजपा सरकार मिशन 2024 को साधने के लिए धर्म, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद व विकास पर तेजी से काम कर रही है। 11 नवंबर को अयोध्या में भव्य दीपोत्सव से पहले 9 नवंबर को योगी सरकार की पूरी कैबिनेट यहां बैठेगी। यहां की बैठक के लिए ऐसे प्रस्तावों को चुना गया है, जो धर्म व संस्कृति से जुड़े हुए हैं। 22 जनवरी को राम मंदिर में होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले अयोध्या में कैबिनेट बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कैबिनेट बैठक में अयोध्या से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी चर्चा हो सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक प्रसून कहते हैं कि मुख्यमंत्री द्वारा अयोध्या में कैबिनेट बैठक धार्मिक और राष्ट्रवाद के मुद्दे को धार देने के रूप में देखा जा रहा है। सरकार हर बड़े इवेंट को महत्वपूर्ण बनाने के लिए ऐसे कार्यक्रम करती हैं, जिससे संदेश भी जाए। इससे पहले 29 जनवरी 2019 को कुंभ मेला के दौरान सभी कैबिनेट मंत्रियों ने गंगा में डुबकी लगाई थी। इसके बाद बैठक की थी। 2017 में सरकार बनने के बाद भाजपा सरकार के शीर्ष एजेंडे में अयोध्या ही रहा है। सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में भी राजधानी के बाहर एक बार कैबिनेट बैठक की थी। कहते हैं कि योगी सरकार 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को पहले ऐसा माहौल बनाना चाहती है जिसके दूरगामी संदेश हों, और इसका फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनाव में भी मिले.
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी,योगी सरकार और आरएसएस के बीच इस बात को लेकर हमेशा मेल-मुलाकात होती रहती है कि किस तरह से हिन्दुत्व की अलख को जलाये रखा जाये. बीजेपी यूपी में लोकसभा में सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर चुकी है और कैसे अपनी मंज़िल तक पहुंचा जाये, इसके लिए हिंदुत्व से लेकर धर्मांतरण तक तमाम ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी के भीतर बात होती रहती है. लेकिन, सबसे अहम है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति और रणनीति जिस पर संघ को भी भरोसा है. सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि मुख्यमंत्री योगी के कामकाज से संघ ख़ुश है.
सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि क़ानून व्यवस्था के मोर्चे पर संघ योगी सरकार से संतुष्ट है. यानी क़ानून व्यवस्था को लेकर जिस तरह के कई सख्त फ़ैसले सरकार ने लिए हैं, उससे संघ सहमत है. प्रदेश में क़ानून व्यवस्था को लेकर जनता के बीच जो संदेश है, उसे लेकर संघ के पास सकारात्मक फीडबैक है. सूत्रों का दावा है कि संघ ने इतने बड़े सूबे में क़ानून का राज स्थापित करने के लिए गए योगी सरकार के कई फ़ैसलों को सही ठहराया है. संघ ने क़ानून व्यवस्था को लेकर जो पैमाना तय किया था, वो जनहित में सरकार के प्रति स्वीकार्यता है. संघ ने माना कि योगी सरकार में क़ानून व्यवस्था को लेकर जनता के बीच भरोसे का भाव है. इसलिए इसे और बेहतर बनाने पर चर्चा हुई. साथ ही इस दिशा में खुलकर फ़ैसले लेने पर सहमति जताई गई. ख़बर यह भी है कि बंद कमरे के भीतर हिंदुत्ववादी मुद्दों पर मुख्यमंत्री योगी के मुखर और प्रखर अंदाज़ की संघ भी सराहना करता है. 2017 के बाद से लगातार सीएम योगी को देश के कई राज्यों में हिंदुत्व का पोस्टर ब्वॉय बनाकर प्रचारित किया जा रहा है. संघ को मुख्यमंत्री योगी की ये छवि निखरती नज़र आ रही है. इसी क्रम में अयोध्या में भव्य राममंदिर से जुड़ी तैयारियों और वहां होने वाले आयोजनों को लेकर कुछ विशेष बातें निकट भविष्य में तय हो सकती हैं. सूत्रों का दावा है कि हिंदुत्ववादी मोर्चे पर सीएम योगी को आगे बढ़ने के लिए ग्रीन सिग्नल मिल गया है. यानी रैलियों, जनसभाओं और जनहित के हर मंच से साफ संदेश जाना चाहिए. मुख्यमंत्री योगी अपने बयानों से लेकर ट्वीट तक बहुत स्पष्ट तरीक़े से अपनी बात एक बड़े संदेश के साथ पहुंचाते रहे हैं. उनकी हिंदुत्ववादी छवि को लेकर किसी तरह का कोई कन्फ़्यूज़न नहीं है, इसीलिए संघ ने इस मोर्चे पर एक तरह से सीएम योगी की पीठ थपथपाई है.