पहाड़ों की खूबसूरती बनाए रखें

Preserve the beauty of the mountains

ओम प्रकाश उनियाल

पहाड़ों की सुन्दरता हर किसी का मन मोह लेती है। स्वच्छ हवा-पानी एवं शुद्ध वातावरण का आनंद भला कौन नहीं उठाना चाहता? जिधर नजर घुमाओ उधर प्राकृतिक छटा बिखरी नजर आती है। कल-कल बहती छोटी-बड़ी जल-धाराएं, कलरव करते पक्षियों की आवाज, कहीं हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाएं तो कहीं हरी मखमली घास के बुग्याल। सचमुच ऐसे दृश्यों की परिकल्पना करना मन को आल्हादित कर देती है। मन विवश हो उठता है ऐसी परिकल्पना को साकार करने के लिए। पहाड़ कहीं के हों पहाड़ तो पहाड़ ही होता है। अटल, अडिग और दृढता का संदेश देते हुए मुसीबतों के आगे न झुकने की प्रेरणा देता है पहाड़।

आज अंधाधुंध विकास के नाम पर जिस तरह पहाड़ों का सीना उधेड़ा जा रहा है उसका प्रतिफल विनाश लीला के रूप में हर साल देखने को मिल रहा है। यहीं नहीं जिन पहाड़ों के मनमोहक दृश्यों की एक झलक देखने को लोगों की आँखें तरसती रहती हैं वे पहाड़ों को केवल सैरगाह समझकर वहां हर प्रकार की गंदगी फैलाकर मन ही मन खुश होते हैं। क्या पहाड़ों को केवल सैरगाह समझने वालों ने कभी यह सोचा कि पहाड़ यदि प्रदूषित होंगे तो उसका प्रतिकूल प्रभाव इंसान के साथ-साथ तमाम प्राणियों व प्रकृति प्रदत्त संपदा पर भी पड़ेगा? नहीं ना?

पहाड़वासी हों या पहाड़ आने वाले लोगों को जागरूक होना चाहिए कि पहाड़ों पर किसी भी प्रकार का प्रदूषण न फैलाएं। प्रकृति के बेशुमार खजाने की बर्बादी न होने दें।