गोपेन्द्र नाथ भट्ट
देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राजस्थान के साथ एक मजबूत आध्यात्मिक सम्बंध और बंधन है। विशेष कर माउंट आबू स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय संस्थान के साथ उनका वर्षों से गहरा रिश्ता रहा है। यह रिश्ता उनके राष्ट्रपति बनने से काफी पहले से है। राष्ट्रपति मुर्मू माउंट आबू लगातार आती रही हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू पिछले दो दिनों से दक्षिणी राजस्थान के राजकीय दौरे पर रही। राष्ट्रपति मुर्मू गुरुवार को उदयपुर के मोहन लाल सुखाड़िया विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह के भाग लेने के बाद माउंट आबू पहुंची थी । राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू का माउंट आबू प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय संस्थान में यह दूसरा दौरा था। इसके पहले 2023 में उनका दौरा हुआ था। पहले भी 8 फरवरी, 2020 को उन्होंने यहां वैल्यू एजुकेशन फेस्टिवल में हिस्सा लिया था।
द्रौपदी मुर्मू पहली बार 13 साल पहले यहां आईं थी तथा माउंट आबू में ब्रह्म कुमारी संस्थान से जुड़ी थीं। समय के साथ, इस संस्था के साथ उनके संबंध मजबूत हुए और उन्होंने तनाव दूर करने के लिए राज योग सीखा। कालांतर में, वह संस्थान के कई कार्यक्रमों का हिस्सा रही।
2009 में वह पहली बार यहां आई और राजयोग सीखा,तब से वह लगातार संस्थान के संपर्क में हैं. जब वह झारखंड की राज्यपाल थीं, तब भी उन्होंने दो बार ब्रह्म कुमारी संस्थान का दौरा किया था।
दरअसल, ओडिशा के संथाल आदिवासी समुदाय से आने वाली मुर्मू ने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया है। वर्ष 2009 से 2015 के मध्य महज छह साल में मुर्मू ने अपने परिवार में पति, दो बेटों, मां और भाई को खो दिया। दुःख के इस वज्रपात में द्रौपदी मुर्मू टूट सी गई थी लेकिन उस विकट समय के दौरान मुर्मू को ब्रह्म कुमारियों की ध्यान तकनीकों से बहुत सम्बल मिला और वे इन ध्यान तकनीकों की एक गहरी अभ्यासी बन गईं जिससे उन्हे न केवल दुःख के बहुत बड़े पहाड़ से बाहर आने में मदद मिली वरन उनके आत्म विश्वास में भी बहुत वृद्धि हुई तथा उन्होंने जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को नए सिरे से बांधा और परम परमेश्वर में आत्मसात करते हुए आत्म दृष्टि से रूबरू हुई। यह उनके व्यक्तिगत जीवन का वो आंदोलन था जो उन्होंने अपने सबसे बड़े व्यक्तिगत नुकसान के बाद किया था। उसके बाद उन्होंने अपने आपको सार्वजनिक जीवन में और समाज सेवा को समर्पित कर दिया तथा जीवन पथ पर चलते हुए वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंची।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने आस्था स्थल माउंट आबू में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में 4 अक्टूबर, 2024 को आयोजित एक वैश्विक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन का विषय था, ‘आध्यात्मिकता द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज’। इस मौके पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े भी उनके साथ रहें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आध्यात्मिकता हमारे निजी जीवन के अलावा, समाज और धरती से जुड़े कई मुद्दों को भी शक्ति देती है। जब हम अपनी आंतरिक पवित्रता को पहचानेंगे, तभी हम एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण समाज की स्थापना में योगदान दे पाएंगे।आत्मा स्वच्छ और स्वस्थ हो तो अपने आप सभी अच्छा हो जाता है. ब्रह्माकुमारी के वरिष्ठ पदाधिकारी के साथ समय बिताने का मौका मिला। आध्यात्मिकता का मतलब अपनी भीतर की शक्ति को पहचानना है. अपने आचरण विचारों में शुद्धता लाना है। मनुष्य अपने कर्मों को सुधार कर अच्छा इंसान बन सकता है। विचारों की शुद्धता जीवन में संतुलन शांति लाने का मार्ग है. यह एक स्वस्थ समाज के लिए आवश्यक है. यह माना जाता है स्वस्थ शरीर में ही पवित्र आत्मा निवास करती है। सभी परंपराओं में स्वच्छता को महत्व दिया जाता है। कोई भी पवित्र क्रिया करने से पहले स्वयं को साफ सफाई का ध्यान रखा जाता है,लेकिन स्वच्छता केवल बाहरी नहीं हो, बल्कि हमारे विचार कर्मों में भी स्वच्छता हो।भावनात्मक एवं मानसिक स्वच्छता शुद्धता पर ही केंद्रित है। तभी हमारे विचार और शब्द व्यवहार का रूप देते हैं। इसलिए दूसरों के प्रति राय बनाने से पहले हमें अपने अंतर मन में झांकना चाहिए। किसी दूसरे की स्थिति में अपने आप को रखकर देखें तो सही राय बनेगी। केन्द्र सरकार द्वारा रासायनिक खाद की जगह प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा हैय जैसा अन्न खाएंगे वैसा ही मन बनेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत संतों की भूमि हैं, तपस्वियों की धरा हैं।भारतीय संस्कृति में व्यक्तिव विकास, जीवन की स्वच्छता, विचारों की स्वच्छता पर जोर दिया गया है. भारतीय संस्कृति वासुदेव कुटुम्बकम पर आधारित है, सभी सुखी रहे, सभी निरोग रहें। उन्होंने कहा कि विश्व में शांति स्थापित करने के लिए ब्रह्मकुमारीज का विशेष योगदान है।
राष्ट्रपति मुर्मू दिल्ली रवाना होने से पूर्व शुक्रवार को बांसवाड़ा गुजरात की सीमा पर पहाड़ी पर स्थित आदिवासियों के जलियावाला बाग माने जाने वाले मानगढ़ धाम भी गई और वहां एक कार्यक्रम में भाग लेकर आदिम जाति अवार्ड प्रदान किए। इस समारोह में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ भागड़े के साथ मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी शिरकत की।
राष्ट्रपति का नवरात्री के शुभारंभ पर राजस्थान की भूमि पर यह संदेश निश्चित रूप से विश्व युद्ध की दलहीज पर खड़ी दुनिया के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा और नई पीढ़ी के साथ ही आने वाली पीढ़ी का भी पथ प्रदर्शक बनेगा ऐसी उम्मीद है।