प्रधानमन्त्री मोदी की यूएस यात्रा से लोकतन्त्र की दो सबसे बड़ी शक्तियों के मध्य शुरू हुआ नया अध्याय

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की पहली तीन दिवसीय राजकीय यात्रा भारत और अमरीका केमध्य रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू होने के साथ ही संपन्न हो गई। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के गहरे मित्र माने जानेवाले मोदी की इस ऐतिहासिक यात्रा से मोदी-बाइडेन की दोस्ती भी बढ़ी और अधिक प्रगाढ़ हुई तथा राष्ट्रपतिजो बाइडेन गदगद दिखें। बाइडेन दंपती और भारतीय मूल की उप राष्ट्र पति कमला हैरिस के निर्देश परअमेरिकन प्रशासन ने इस यात्रा के दौरान मोदी के लिए लाल कालीन बिछाने और आतिथ्य सत्कार में कोईकमी नहीं रखी । मोदी की यात्रा को अमेरिकी मीडिया ने भी विशेष कवरेज दी और प्रमुख समाचार पत्रों नेपहले पन्नों पर सचित्र खबरे प्रकाशित की ।

अपनी यात्रा के अन्तिम दौर में मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। इस मौके पर लगा किअमरीका में प्रधानमंत्री के इर्द गिर्द एक मिनी इंडिया सिमट कर आ गया हो।

अमेरिका यात्रा के बाद मोदी मिस्र की यात्रा के लिए काहिरा पहुंचें। मोदी अमेरिका में चार दिनों 20 से 24 जूनतक रहे और कई उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। मोदी ने अपनी व्यस्त्तता भरे दौरे के आखिरी दिन न्यूयॉर्क के रोनाल्ड रीगन सेंटर में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने एन आर आई से कहा कि आपनेइस हॉल में एक प्रकार से भारत का पूरा नक्शा ही उकेर दिया है। मुझे हिन्दुस्तान के हर कोने के लोग यहां नजरआ रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि इस हॉल में जैसे मिनी इंडिया समा गया है।

मोदी ने यूएस यात्रा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ कई द्विपक्षीय बैठकों के साथ ही अंतर राष्ट्रीययोग दिवस को लीड किया एवं अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया। उन्होंने कई प्रतिनिधि मंडलों से मुलाकातकरने के साथ ही कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी तथा संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के प्रश्नों केसटीक जवाब भी दिए। मोदी ने दिग्गज कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक कर उन्हें भारत में निवेश के लिएआमंत्रित किया। सबसे महत्वपूर्ण बात भारत यूएस के मध्य कई बड़े समझौते हुए। आने वाले दिनों में दुनियाको इनके दूरगामी परिणाम दिखाई देंगे।

कई समझौतों पर लगी मुहर

व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक के बाद एक कई समझौतोंपर मुहर लगाई ।इनमें भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट, रेलवे, तकनीक, ड्रोन, जेट इंजन और स्पेस सेक्टर आदि मेंकरार किए गए हैं। दोनों देशों के बीच जटिल तकनीकों को सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता भीहुआ ।

गुजरात में लगेगा सेमीकंडक्टर प्लांट

अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रॉन गुजरात में अपना प्लांट लगाएगी. इसके तहत कंपनी की ओर से 2.7 अरब डॉलर का निवेश करेग। इस समझौते के तहत अमेरिकी सेमिकंडक्टर कंपनी को 1.34 अरब डॉलर केप्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव का भी लाभ मिलेगा।

भारतीय रेलवे ने किया अहम करार

भारतीय रेलवे ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए ।इसके अलावा क्लीन एनर्जी और ऊर्जा दक्षता समाधानों पर भी सहयोग की परिकल्पना की गई। वहीं मिशननेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने के लिए भारतीय रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने का प्रयासकिया गया है।

अर्टेमिस एकॉर्ड्स समझौता

इनके अलावा जिस सबसे खास समझौते पर मुहर लगी है,उनमें से एक ‘अर्टेमिस एकॉर्ड्स’ भी शामिल है। नासाऔर इसरो 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं। इस समझौतेसे भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी हैं।

फाइटर जेट्स इंजन प्लांट

भारत में जी ई एयरोस्पेस कंपनी के इंजन मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को भी लगाया जाएगा। इसके बाद फाइटरजेट्स के इंजन भी भारत में ही बनने शुरू हो जाएंगे।इसमें भारत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जीईएयरोस्पेस की मदद करेगी। इससे भारतीय वायुसेना सशक्त होगी और उसकी ताकत भी बढ़ेगी।

इंडस-एक्स की शुरुआत

एक और बड़े करार की बात करें तो भारत और अमेरिका मिलकर यूएस-इंडिया डिफेंस एक्सीलेरेशनइकोसिस्टम शुरू करने पर सहमत हुए हैं. इस नेटवर्क में दोनों देशों की यूनिवर्सिटी, स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री औरथिंक टैंक्स शामिल होंगे. इस समझौते के जरिए संयुक्त रूप से रक्षा टेक्नोलॉजी संबंधी इनोवेशन देखने कोमिलेंगे।इसी क्रम में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस स्पेस फोर्स ने भारत के स्टार्टअप्स 114 ए आई औरथर्ड आई टेक के साथ समझौता किया है।

आईसीईटी की शुरुआत का ऐलान

भारत और अमेरिका दोनों के बीच जटिल तकनीकों को सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता भीहुआ है।इसके साथ ही इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) की शुरुआत भी कीगई है. हालांकि इसकी शुरुआत इस साल जनवरी में हो गई थी, लेकिन आधिकारिक घोषणा पीएम मोदी कीअमेरिका यात्रा के दौरान की गई है।

प्रीडेटर ड्रोन (एमक्यू-9 रीपर)

प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाईडन ने जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीदपर एक मेगा डील का ऐलान भी किया है। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुतमहत्वपूर्ण है। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षासुनिश्चित करेगी।करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे।

भारत में दो नए अमेरिकी दूतावास

अमेरिका भारत में बेंगलुरु और अहमदाबाद में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलने वाला है।इसके अलावाभारतीयों के मध्य संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सिएटल में एक मिशन स्थापित किया जाएगा।

समझौतों के दौरान राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी ने 200 से अधिक अमेरिकी निर्मित विमान प्राप्तकरने के लिए बोइंग के साथ ही एयर इंडिया के ऐतिहासिक समझौते का फिर से स्वागत किया। वहीं सुरक्षितऔर विश्वसनीय दूरसंचार, लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने और वैश्विक डिजिटल समावेशन को सक्षम करने परभी एकमत नजर आए. अमेरिका ने एआई पर वैश्विक साझेदारी के अध्यक्ष के रूप में भारत के नेतृत्व का भीसमर्थन किया. दोनों नेताओं ने भारत में 10 अरब डॉलर के भारत डिजिटलीकरण फंड के माध्यम से निवेश जारीरखने की गूगल की पहल की सराहना की। उल्लेखनीय है कि भारत में अपने एआई रिसर्च सेंटर के माध्यम से, गुगल 100 से अधिक भारतीय भाषाओं का समर्थन करने के लिए मॉडल बना रहा है।

असहमति के क्षेत्रों को रखा गया किनारे

मोदी के दौरे की एक अहम बात यह भी रही कि दोनों देशों ने असहमति के क्षेत्रों – जैसे यूक्रेन में रूसी युद्ध कोलेकर नीतियों में मतभेद, और चीन के साथ टकराव, आदि को किनारे रखा।

भारत में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की दशा (जिसे अमेरिकी कांग्रेस के 75 सदस्यों ने बाइडेन को पत्रलिखकर उठाया) पर लगातार तेज हो रहे सवालों को दरकिनार करना शायद ज्यादा मुश्किल था। कुछ अति-उदारवादी डेमोक्रेट सांसदों ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र में मोदी के संबोधन के बहिष्कार का अतिवादी कदमउठाया। ठीक उसी दिन, एक इंटरव्यू में, भारत में अल्पसंख्यक अधिकारों पर ओबामा ने निशाना साधा लेकिनबाइडेन के साथ प्रेस के सामने पी एम मोदी ने अपने जवाब में इन संदेहों को खारिज किया। उन्होंनेअल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित भेदभाव और असहमति को कुचले जाने की बात से इनकार किया और कहाकि भारत और अमरीका दोनों के डी एन ए में लोकतन्त्र है। लोकतंत्र हमारी जननी है। उन्होंने कहा कि ।जब मैंडिलीवरी की बात करता हूं तो उसमें कोई भेदभाव का सवाल नहीं उठता। साथ ही यदि अगर कोई मानवीयमूल्य नहीं हैं कोई मानवता नहीं है, कोई मानवाधिकार नहीं हैं, तो इसे लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता।’

विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक यूएस यात्रा से विश्व मेंलोकतन्त्र की दो सबसे बड़ी शक्तियों भारत और अमरीका के मध्य रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू हुआ है अब इसमें किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए।