विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में नए संसद भवन के रूप में हुआ एक नए लोकतान्त्रिक सूर्य का उदय
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले देश भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को एक नया अध्याय लिख अपने आपको को अमर बना दिया।
मोदी ने देश की राजधानी नई दिल्ली में गुलामी की निशानियों को हटाने के अपने कृत संकल्प को साकार कर दिखाया और ढाई वर्ष से भी कम रिकार्ड समय में देश वासियों को आजादी के अमृत वर्ष में लोकतन्त्र के नए मंदिर के रूप के 1200 करोड़ रु से निर्मित नए संसद भवन की सौगात दे दी।
इसके पहले उन्होंने सेंट्रल विस्टा पुनुरुद्दार की अपनी महत्त्वाकांक्षी परियोजना के अन्तर्गत देश को राजपथ का नाम बदल कर्तव्य पथ और राष्ट्रीय शहीद स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया था ।
नए संसद भवन का उद्घाटन दो चरणों में हुआ और ये पल सभी के लिए अविस्मरणीय और ऐतिहासिक बने । पहले चरण में धार्मिक अनुष्ठान और वैदिक मंत्रों के मध्य हवन पूजन हुआ और सभी धर्मो के आचार्यों ने प्रधानमंत्री को ऐतिहासिक राजदंड सेंगोल सुपुर्द किया और सर्व धर्म प्रार्थना हुई।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सभी धर्माचार्यों और नया संसद भवन बनाने वाले श्रमिकों का शाल ओढ़ा कर अभिनन्दन किया तथा राजदंड की साक्षात दंडवत कर पूजा अर्चना की एवं उसे लोकसभा अध्यक्ष की चेयर के पास स्थापित किया ।
पी एम मोदी ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के दूसरे चरण में नव निर्मित लोकसभा के 888 सीटों की क्षमता वाले हॉल में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश, राज्य सभा और लोकसभा के दोनों सदनों के सदस्य गण, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि, विशिष्ट अतिथि आदि मौजूद थे। कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नही कराने का मुद्दा बना समारोह का बहिष्कार किया वहीं, दूसरी ओर बीएसपी सहित एनडीए समर्थित विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के संदेशों का वाचन भी किया गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में देशवासियों को नए संसद भवन की बधाई देते हुए इसके निर्माण की पृष्ठभूमि,आवश्यकता और खूबियों की विस्तार से चर्चा की और इस सुनहरे अवसर का उपयोग अपनी सरकार के 2014 से अब तक के नौ वर्षों की उपलब्धियों का बखान करने में भी किया। उन्होंने कहा कि 2026 में होने वाले परिसीमन के बाद लोकसभा में सांसदों की संख्या बढ़ कर 888 और राज्य सभा में 384 सांसदों की हो जाएगी। मोदी ने बताया कि पुराने भवन में बैठने के स्थान और प्रौद्योगिकी आदि से लेकर अनेक कठिनाइयां थी जिसकी वजह से पिछले कई वर्षों से सभी नए भवन की आवश्यकता महसूस कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इस भवन में विरासत वास्तु और कला सभी है। इसमें कौशल, संस्कृति और संविधान के स्वर भी हैं।
मोदी ने कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें, समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई, 2023 का ये दिन, ऐसा ही शुभ अवसर है। देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस महोत्सव में भारत के लोगों ने अपने लोकतंत्र को संसद के इस नए भवन का उपहार दिया है। ये सिर्फ एक भवन नहीं है। ये 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है।
मोदी ने कहा कि ये नया भवन, आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा।विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा। यह भवन, नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का आदर्श है।
नई संसद में ऐतिहासिक सेंगोल का उल्लेख करते हुए पीएम ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक अवसर पर पवित्र सेंगोल की स्थापना की गई है। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को, कर्तव्य सेवा और राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था। देश के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजाजी राजगोपालाचारी और आदीनम् के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल देश की आजादी के समय सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था।
उन्होंने कहा कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। लोकतन्त्र हमारी परंपरा है। हमारे वेद हमें लोकतान्त्रिक आदर्श सिखाते हैं। महाभारत जैसे ग्रन्थों में गणों और गणतंत्रों की व्यवस्था का उल्लेख मिलता है। हमारी संसद जिस समृद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व और उद्घोष करती है- शेते निपद्य-मानस्य चराति चरतो भगः चरैवेति, चरैवेति- चरैवेति॥ कहने का तात्पर्य जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है,लेकिन जो चलता रहता है, उसका भाग्य आगे बढ़ता है, बुलंदियों को छूता है। इसलिए, चलते रहो, चलते रहो।
ग़ुलामी के बाद भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी। वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों और कई चुनौतियों को पार करते हुए, आज़ादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। यह विरासत को सहेजते हुए विकास के नए आयाम गढ़ने, अनंत सपनों और असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है।
नई संसद की विशेषताओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर और राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। संसद के प्रांगण में हमारा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी लगाया गया है। इस भवन में हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों की विविधताओ को समाहित किया गया है। इसमें राजस्थान से लाए गए ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर लगाए गए हैं। ये जो लकड़ी का काम आप देख रहे हैं न, वो महाराष्ट्र से आई है। यूपी में भदोही के कारीगरों ने इसके लिए अपने हाथ से कालीनों को बुना है। एक तरह से, इस भवन के कण-कण में हमें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के दर्शन होंगे।
मुझे खुशी है कि ये भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह लैस है। आप देख रहे हैं कि इस समय भी इस हॉल में सूरज का प्रकाश सीधे आ रहा है। बिजली कम से कम खर्च हो, हर तरफ लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाले गैजेट्स हों, इन सभी का इसमें पूरा ध्यान रखा गया है।
मोदी ने बताया कि संसद भवन ने करीब 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का भी काम किया है। उन्होंने इस नई इमारत के लिए अपना पसीना बहाया है। मुझे खुशी है कि इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी भी संसद में बनाई गई हैऔर विश्व में शायद ये पहली बार हुआ होगा। संसद के निर्माण में अब उनका योगदान भी अमर हो गया है।
प्रधानमंत्री यहां तक ही नही रुके । उन्होंने अपनी सरकार को नौ साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में ये 9 वर्ष नव निर्माण और गरीब कल्याण के रहे हैं। आज हमें संसद की नई इमारत के निर्माण का गर्व है, तो पिछले 9 साल में गरीबों के 4 करोड़ घर एवं 11 करोड़ शौचालय बनने का भी संतोष है, जिन्होंने महिलाओं की गरिमा की रक्षा की, उनका सिर ऊंचा कर दिया। हमने गांवों को जोड़ने के लिए 4 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा सड़कों का निर्माण किया। साथ ही पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण किया है। आज जब हम इस नए संसद भवन को देखकर उत्सव मना रहे हैं तो मुझे संतोष है कि हमने देश में 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं।
मोदी ने कहा कि आज से 25 साल बाद, भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा। इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। एक राष्ट्र के रूप में हम सभी 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प ही, इस नई संसद की प्राण-प्रतिष्ठा है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां होने वाला हर निर्णय, आने वाली सदियों को सजाने-संवारने और सशक्त करने वाला तथा भारत के उज्ज्वल भविष्य का आधार बनेगा। नए भवन में बनने वाले नए कानून, भारत को विकसित भारत तथा गरीबी से बाहर निकालने में मदद करेंगे। साथ ही देश के युवाओं के लिए, महिलाओं के लिए नए अवसरों का निर्माण करेंगे।
नई संसद के भव्य उद्घाटन समारोह से सभी गदगद दिखे लेकिन यह खुशी कई गुणा अधिक हो सकती थी यदि लोकतन्त्र के इस नए मंदिर में सभी दलों के पुजारी एक साथ एकजुट कर सामुहिक अनुष्ठान करते तो न केवल यह समारोह और अधिक सार्थक होता वरन करोड़ों भारतीयों तक एक अच्छा संकेत भी जाता । अब इसमें होने वाला संसद का पहला यानि मानसून सत्र सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में और निर्बाध गति से हो पायेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है।यह तो भविष्य के गर्भ में ही छुपा हुआ है।