प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरें : भाजपा अपनी कमजोर कड़ी आदिवासी मीणा और गुर्जर इलाक़ों के वोटों को साधने की रणनीति में जुटी

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की उदयपुर और माउण्ट आबू की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी इन्ही इलाक़ों में बुधवार को हुई यात्रा ने राजस्थान की राजनीति के तापमान को बहुत अधिक बढ़ा दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछलें छह सात महीनों में राजस्थान की छह यात्राएं की हैं और प्रदेश में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए चुनावी बिगुल बजा दिया है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों दक्षिणी राजस्थान के गुजरात से सटे मेवाड़ तथा वागड़ के इलाक़ों विशेष कर आदिवासी अंचल पर अपनी पकड़ को मज़बूत करने में जुट गई है। भाजपा का फ़ोकस इस बार आदिवासियों के साथ ही पूर्वी राजस्थान को फतह करने पर भी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात विधानसभा के चुनाव से पूर्व राजस्थान मध्य प्रदेश और गुजरात की सीमाओं से सटे आदिवासियों के जलियाँवाला बाग कहें जाने वाले और उनके धार्मिक गुरु गोविन्द गुरु की धूनी मानगढ पहाड़ी पर एक बड़ी सभा कर तीनों प्रदेशों के आदिवासियों के वोट बैंक को साधने का प्रयास किया था।उसके बाद पी एम मोदी का अगला दौरा मेवाड़ के भीलवाड़ा जिले के आसींद तहसील में मालासेरी डूंगरी स्थित भगवान श्री देवनारायण के आस्था स्थल पर हुआ था तथा अब उन्होंने नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय के प्रमुख पीठ नाथद्वारा तथा गुजरात से सटे आदिवासी अंचल सिरोही जिले के आबू रोड तथा राजस्थान-गुजरात के साँझा हिल स्टेशन माउण्ट आबू को अपने दौरें का केन्द्र बनाया तथा यहाँ बड़ी सभाएँ भी की। मोदी पिछलीं बार रात हो जाने से आबू रोड में जनसभा नही कर पायें थे लेकिन उन्होंने स्थानीय जनता से वादा किया था कि वे अगली बार ज़रूर जनसभा को सम्बोधित करेंगे और उन्होंने अपना वायदा पूरा किया।

इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वी राजस्थान के दौसा और भरतपुर में भी बड़ी सभाएँ की हैं।यह इलाक़ा पिछलें विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए कमजोर कड़ी साबित हुआ था। पीएम के इन जिलों में हुए दौरें को पूर्वी राजस्थान के मीणा गुर्जर वोटों को साधने का प्रयास माना गया था।

साथ ही उन्होंने वर्चुअल ढंग से उदयपुर से असरवा (अहमदाबाद) वाया डूंगरपुर बड़ी रेल लाइन का लोकार्पण भी किया था।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी सौची समझी रणनीति के तहत मेवाड़ के क़द्दावर नेता गुलाब चन्द कटारियाँ को असम का राज्यपाल बनाने के पश्चात मेवाड़ की पुरानी राजधानी चितौडगढ़ के युवा सांसद सी पी जोशी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंप कर मेवाड़ और वागड़ के वोटरों को एक सन्देश दिया है। सी पी जोशी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से पूर्व अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और उनके समर्थक भी प्रदेश भाजपा की एक जाजम पर आ गए है।

प्रदेश में भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा वसुन्धरा राजे ने भी पिछलें दिनों आदिवासियों के प्रयाग राज तीर्थ माने जाने वाले बेणेश्वर धाम का दौरा कर अपनी पार्टी के इरादों को जाहिर कर दिया है।

इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मेवाड़ और वागड़ के अपने दौरें बहुत अधिक बढ़ा दिए है।हाल ही उन्होंने उदयपुर के कोटड़ा और डूंगरपुर के चिख़ली आदि गाँवों में महंगाई राहत शिविरों में भाग लेकर लोगों को दस जन कल्याणकारी योजनाओं के गारण्टी कार्ड प्रदान किए हैं। गहलोत ने अपने बजट में बाँसवाड़ा को नया संभागीय मुख्यालय और उदयपुर के सलुम्बर तथा भीलवाड़ा के शाहपुरा को नया जिला घोषित कर मेवाड़ तथा वागड़ के परम्परागत गढ़ पर कांग्रेस का क़ब्ज़ा बरकरार रखने का प्रयास किया है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियाँ आदिवासी अंचल में नए दल बीटीपी के प्रभाव को कम करने में जुट गए है जिनके वर्तमान में दो विधायक हैं।

कर्नाटक के चुनाव परिणाम तेरह मई को आने वाले हैं और एग्जीट पोल के अनुमानों के अनुसार वहाँ त्रिशंकु विधान सभा के आसार बन रहें है। कर्नाटक में सरकार गठन के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व का हमला राजस्थान सहित इस वर्ष होने वाले अन्य चुनावी राज्यों पर होगा। विशेष कर भाजपा राजस्थान और अन्य प्रदेशों में कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाज़ी तथा एंटी इनकम्बेसी का फ़ायदा उठाने के लिए सुनियोजित ढंग से जुट गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बुधवार को हुई राजस्थान यात्रा में हालाँकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री गहलोत एक जैसे परिधानों में थे।उन्होंने एक दूसरे के प्रति ज़बर्दस्त शिष्टता भी प्रदर्शित की लेकिन अपने भाषणों में वे एक दूसरे पर राजनीतिक प्रहार करने से नहीं चुके। मोदी ने कांग्रेस पर अपने हमलावर भाषण से भाजपा के इरादे उजागर कर दिए है।पीएम मोदी ने कहा कि राजस्थान में बीते वर्षों में सभी ने राजनीति का विकृत रूप देखा है । राजस्थान में कुर्सी लूटने और बचाने का खेल चल रहा है । मोदी ने चुटकी ली कि यह कैसी सरकार है कि मुख्यमंत्री को विधायकों पर और विधायकों को अपने सीएम पर ही भरोसा नहीं है। सब एक दूसरे को अपमानित करने की होड़ में लगे हैं तथा राजस्थान के विकास की किसी को परवाह नहीं है। शनिवार 13 मई को जयपुर बम धमाकों की बरसी है लेकिन राज्य सरकार की ढिलाई से उसके आरोपी छूट गए है। यह कांग्रेस का असली चरित्र है। इसी प्रकार आदिवासी समाज ने दशकों तक कांग्रेस पर विश्वास किया बावजूद इसके सिरोही, जैसलमेर, करौली, बारां आदि जिलों में कांग्रेस के कुशासन के कारण अपेक्षित विकास नहीं हुआ है ।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार राजस्थान के विकास में किसी प्रकार का राजनीतिक भेदभाव नहीं करती है बल्कि रेल बजट वर्ष 2014 की तुलना में 14 गुणा बढ़ा है।

इधर प्रधानमंत्री के तीखे प्रहारों का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने तरीके से जवाब देते हुए कहा कि हम गुजरात से पहले सड़कों को लेकर तुलना और मुकाबला करते थे लेकिन अब हम इस मामले में गुजरात से आगे है। उन्होंने बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम रेल लाइन सहित करौली,टोंक आदि रेल लाइनों से विहीन ज़िला मुख्यालयों का मुद्दा भी उठाया और कहा कि, पिछली बार हमने बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम रेल लाइन के लिए दो सौ पचास करोड़ रुपए दिए थे लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। इसी तरह भीलवाड़ा में मेमु रेल इंजन कारख़ाना के शिलान्यास के बावजूद काम रोक दिया गया।

गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) का मामला फिर से उठाते हुए कहा कि प्रधान मंत्री जी मैं फिर कहना चाहता हूं आप इसको फिर से एक्जामिन कराएं।

गहलोत ने कहा कि यह लोकतंत्र की खासियत है कि आज कांग्रेस और भाजपा के नेता एक मंच पर बैठे है। यह कांग्रेस की देन है। हमारी लड़ाई मात्र विचारधारा की है, देश में प्रेम और भाईचारा बना रहे और विकास का मार्ग अवरुद्ध नहीं होवें यही हमारा मुख्य धेय होना चाहिए।

राजस्थान में विधान सभा चुनाव मेंअब छह महीनों का समय ही बचा है ऐसे में आने वाले दिनों में राजस्थान में राजनीतिक घटनाओं का उबाल दिन प्रतिदिन बढ़ता जायेगा। प्रधानमंत्री के बाद उनके चाणक्य अमित शाह की एंट्री से प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी और अधिक बढ़ेगी तथा कांग्रेस भी अपने नेताओं सोनिया गांधी,राहुल गाँधी,प्रियंका गाँधी और अन्य नेताओं को प्रदेश के चुनावी समर में उतारेंगी। दोनों प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के साथ ही इस बार प्रदेश की अन्य पार्टियों के साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी के झाड़ूँ को भी मरुभूमि की सफ़ाई करते हुए देखना दिलचस्प होगा।