पीकेसी और ईआरसीपी प्रोजेक्ट के कार्यों की प्रधानमंत्री के हाथों शुभारंभ की तैयारी

Prime Minister prepares to inaugurate the works of PKC and ERCP projects

चार लिंक प्रोजेक्टस के कार्यों की क्रियान्विति की तैयारी, महत्वाकांशी परियोजना से लाभान्वित होंगे राजस्थान के 21 जिले

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

भजनलाल सरकार पीकेसी और ईआरसीपी प्रोजेक्ट के कार्यों की प्रधानमंत्री के हाथों शुभारंभ की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के साथ एम ओ यू के बाद पीकेसी और ईआरसीपी लिंक प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम धरातल पर शुरू हो गया और अगले चार साल में ईसरदा और बीसलपुर तक चंबल का पानी पहुंच जाएगा. उधर, ईआरसीपी से जुड़े चार अन्य लिंक प्रोजेक्ट की क्रियान्विति भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है ताकि प्रदेश के 21 जिलों को जल्द से जल्द चंबल का पानी मिल सके. चारों लिंक प्रोजेक्ट की बात करें तो 140 से अधिक बांध और तालाब जोड़े जा सकेंगे. बड़ी बात यह है कि प्रोजेक्ट के तहत नहरी तंत्र पर ज्यादा जोर रहेगा. चारों प्रोजेक्ट में आखिर क्या-क्या हो सकता है.

पी के सी और ई आर सी पी लिंक प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के 21 जिलों में चंबल का पानी देना है और पहले प्रोजेक्ट की शुरुआत हो चुकी है. टोंक जिले के 75 गांवों का सर्वे चल रहा है और जल्द ही सुनवाई भी शुरू होगी. इसके साथ ही चार अन्य लिंक प्रोजेक्ट की क्रियान्विति भी जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है. केन्द्र से हरी झंडी मिलते ही इन प्रोजेक्ट को लेकर तेजी आएगी. बता दें कि राजस्थान ने अपनी डीपीआर सौंप दी है और जल्द ही संयुक्त डीपीआर तैयार हो सकेगी. उसके पहले राजस्थान अपने स्तर पर सभी तैयारी पूरी कर चुका है.

बीसलपुर बांध से मोर सागर अजमेर प्रोजेक्ट के तहत करीब 100 किलोमीटर तक नहरी तंत्र व पाइप लाइन
2.8 मीटर व्यास की पाइप लाइन डालना प्रस्तावित है। इससे करीब 35 बांध और तालाब लबालब होंगे।मोर सागर पर 200 मिलियन क्यूबिक मीटर का रिजर्व वायर प्रस्तावित है।

मोर सागर से अजमेर के लिए पेयजल व्यवस्था होगी। इसी प्रकार ईसरदा से रामगढ़ बांध प्रोजेक्टभी अंतर्गत 130 किलोमीटर लंबा नहरी तंत्र व पाइप लाइन डाली जाएगी।रामगढ़ में 55 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की होगी व्यवस्था होगी।

प्रोजेक्ट के तहत तीन जगह पाइप डालना प्रस्तावित है।ईसरदा से पानी को पंब किया जाएगा । निवाई के पास छोटा बांध बनाया जाएगा।चाकसू के पास ढूंढ नदी के किनारे बनेगा आर्टिफिशियल रिजर्व वायर बनेगा। यह आर्टिफिशियल रिजर्व वायर करीब 18 बीघा में बनाया जाना प्रस्तावित है।रिजर्व वाटर से करीब 70 किमी लाइन रामगढ़ बांध तक डाली जाएगी। रामगढ़ के कालख व छापरवाड़ा सहित 10 बांधों को पानी मिलेगा।

इसके अलावा मेज से डूंगरी व डूंगरी से अलवर प्रोजेक्ट के तहत मेज से डूंगरी तक 111 किमी. तक पाइप लाइन प्रस्तावित ही।डूंगरी से अलवर तक 220 किमी. नहरी तंत्र व पाइप लाइन डाली जाएगी।150 किमी. नहरी तंत्र और 30 किमी. पाइप लाइन का ढांचा तैयार होगा।13 किमी. की दो टनल भी प्रस्तावित है।30 नेचुरल रेन का पानी के ढांचे होंगे। इस डूंगरी पर ईआरसीपी का सबसे बड़ा बांध प्रस्तावित है।मेज और निमोद राठौड़ पर बैराज भी प्रस्तावित है।

इसी तरह डूंगरी से बंध बरेठा नहरी तंत्र प्रोजेक्ट में करीब 60 किलोमीटर का नहरी तंत्र प्रस्तावित है।यहां सिंचाई और पेयजल की व्यवस्था होगी ।बरसात का पानी नहरी तंत्र से दिया जाएगा।साथ ही डूंगरी बांध में स्टोरेज पानी नहरी तंत्र से सिंचाई के लिए मिल सकेगा ।

ईआरसीपी के सभी प्रोजेक्ट मिलाकर देखें तो प्रदेश के 160 बांध और तालाब को भरने की योजना है. ढाई लाख हैक्टेयर में सिंचाई का पानी उपलब्ध हो सकेगा. बड़ी बात यह है कि प्रोजेक्ट की डीपीआर नए सिरे से बनाने के बाद ज्यादा लोगों तक योजना का लाभ पहुंच सकेगा. अब तो बस चार लिंक प्रोजेक्ट की क्रियान्विति का इंतजार है ताकि प्रदेश के लाखों लोग ईआरसीपी का काम धरातल पर होते देख सकेंगे।

देखना है प्रदेश का यह महत्वाकांशी प्रोजेक्ट कब पूर्वी राजस्थान की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।